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J&K Article 370 and 35-A: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35- ए हटने की बहस पर पूर्ण विराम, अब विकास का नया सूर्योदय

J&K Article 370 and 35-A: मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी। अदालत ने कहा कि भारत का संविधान जम्मू कश्मीर के संविधान से ऊंचा है।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay Dixit
Published on: 13 Dec 2023 3:56 PM IST
Article 370 and 35-A Jammu and Kashmir
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Article 370 and 35-A Jammu and Kashmir  (photo: social media )

J&K Article 370 and 35-A: भारत की संप्रभुता और जम्मू कश्मीर प्रान्त के लिए 11 दिसंबर, 2023 एक ऐतिहासिक दिन बनकर आया। इस दिन उच्चतम न्यायालय की पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने के निर्णय को वैध ठहराते हुए कहा कि यह एक अस्थाई धारा थी । जिसे आज नहीं तो कल हटना ही था। मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी। अदालत ने कहा कि भारत का संविधान जम्मू कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद- 370 को बेअसर करने से जम्मू कश्मीर को भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि धारा 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है और केंद्र सरकार का निर्णय बिल्कुल सही है।

सितंबर,2024 तक चुनाव के आदेश

उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में कई महत्वपूर्ण व ऐतिहासक टिप्पणियां की हैं जिनमे कहा गया है कि विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं है। जम्मू कश्मीर के लिए कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। राष्ट्रपति की शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति के शासन के उद्देश्य के साथ उचित संबंध होना चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जब संविधान सभा भंग कर दी गई तो सभा की केवल अस्थायी शक्ति समाप्त हो गई और राष्ट्रपति के आदेश पर कोई प्रतिबंध नहीं रहा। राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का उपयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं था। राज्य के साथ किसी सहमति की आवश्यकता नहीं थी। राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का निरंतर प्रयोग दर्शाता है कि एकीकरण की प्रक्रिया जारी थी।इस प्रकार से सीओ 273 अवैध है। जम्मू कश्मीर का संविधान क्रियाशील है। इसे निरर्थक घोषित कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जायेगा। हम लद्दाख को अलग करने के फैसले को बरकरार रखते हैं। उच्चतम न्यायालय ने अंत में कहा कि हम चुनाव आयोग को निर्देश करते हैं कि पुनर्गठन अधिनियम और राज्य के दर्ज 14 की धारा के अंतर्गत 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराये जायें।

कश्मीर पीड़ितों लिए न्याय ज़रूरी

न्यायालय ने एक यह व्यवस्था भी दी है कि राज्य में 1980 के बाद हुई सभी प्रकार की आतंकवादी /पलायन की घटनाओं की जांच के लिए एक कमेटी बनायी जाये जो एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय प्राप्ति का मार्ग खोलती है। इस व्यवस्था के आने के बाद 1980 के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो वारदातें हुई हैं उनकी जांच अब की जा सकेगी । उच्चतम न्यायालय की इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ कर रहे थे। बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

जस्टिस कौल की ऐतिहासिक टिप्पणी

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर अपने फैसले में जस्टिस संजय किशन कौल ने कश्मीरी पंडितों के पलायन का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हाने 1980 से राज्य में हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक सत्य और सुलह आयोग बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि यह आयोग आपराधिक जांच आयोग की तरह काम नहीं करेगा। जस्टिस कौल का मानना है कि आतंक के चलते राज्य की महिलाओं, बच्चों और पुरुषों ने बहुत कुछ झेला है।इसे भुलाकर आगे बढ़ने के लिए जख्मों को ठीक करने की जरूरत है। राज्य एवं राज्य से बाहर के तत्वों के द्वारा यहां के लोगों के विरुद्ध किये गये मानवाधिकारों के हनन की सामूहिक समझ विकसित करना ही मरहम लगाने की दिशा में पहला निष्पक्ष प्रयास होगा। आयोग के सहारे काफी हद तक उनकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है।

सोलह दिन चली सुनवाई

5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटाने से सम्बंधित विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाने के बाद जम्मू कश्मीर राज्य के परिवारवादी नेता फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे लोग व कई अन्य संगठन इसके विरुद्ध उच्चतम न्यायालय पहुंच गये थे। उन सभी की याचिकाओं पर अगस्त से सितंबर माह के बीच 16 दिन चली सुनवाई के बाद यह ऐतिहासिक निर्णय आया है जिस पर पर सभी देशवासियों और राजनैतिक दलों सहित अलगाववादी नेताओं और पाकिस्तान की भी दृष्टि थी।

जायज़ नहीं है विपक्ष की नाराज़गी, अलगवादियों की भाषा मत बोलें

मुख्य न्यायाधीश वाई. वी. चंद्रचूड़ वाली खंडपीठ के फैसले के बाद पाक परस्त अलगाववादी नेताओं व कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष के पैरों तले जमीन खिसक गयी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद -370 व 35- ए को हटाने का निर्णय वैध बताये जाने के बाद जहाँ एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के निर्णय को अब संवैधानिक मान्यता मिल गयी है वहीं दूसरी और कांग्रेस सहित उस संपूर्ण विपक्ष की राजनीति को बहुत गहरा आघात लगा है जो राष्ट्रीय संप्रभुता के इस विषय को भी तुष्टिकरण की राजनीति के चश्मे से देख रही थी।

अनुच्छेद 370 पर विपक्षी नेता और अलगाववादी जो अनर्गल प्रश्न उठा रहे रहे थे।उन सभी प्रश्नों का उत्तर उच्चतम न्यायालय ने दे दिया है।यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब धारा 370 पर पूर्ण विराम लग चुका है। उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद अब जम्मू कश्मीर देश के अन्य राज्यों की तरह समान व्यवस्था वाला राज्य बन गया है। उच्चतम फैसला आ जाने के बाद जम्मू कश्मीर के गुपकार गठबंधन के नेताओं व अलगावादियों के होश उड़ गये हैं । जम्मू कश्मीर में गुपकार गठबंधन के सभी नेता जिस प्रकार अदालत के निर्णय को मानने से इनकार करते हुए जिस प्रकार एक लंबे संघर्ष की बात कर रहे हैं, वह एक चिंतनीय विषय है। उच्चतम निर्णय पर पाकिस्तान से भी प्रतिक्रिया सामने आ गयी है और वहां पर खलबली मची है।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर लिखा कि अनुच्छेद -370 को निरस्त करने का निर्णय ऐतिहासिक है। यह जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाईयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से एकता के मूल सार को मजबूत किया है। जिसे हम भारतीय होने के नाते बाकी सबसे प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई भाजपा नेताओं ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि यह निर्णय राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। अनुच्छेद -370 के कारण जम्मू कश्मीर में वर्षों से अन्याय सह रहे लोगों को इस निर्णय से मुक्ति मिली है।

राज्य में विकास का नया सूर्योदय

अनुच्छेद -370 के रद्द किये जाने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में विकास की राह खुली है । पर अब उच्चतम न्यायालय का निर्णय आ जाने के बाद वहां विकास का नया सूर्योदय होने जा रहा है। वर्ष 2024 में कश्मीर घाटी तक ट्रेन पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जम्मू कश्मीर में सड़कों, पुलों एवं सुरंगो के निर्माण से तस्वीर बदल रही है। माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हर साल पहुंचने वाले एक करोड़ श्रद्धालुओं के लिए दिल्ली -अमृतसर- कटरा एक्सप्रेस वे को मंजूरी दी है। जम्मू कश्मीर राज्य भी तीव्र गति से डिजिटल हो रहा है और कई योजनाएं व सेवाएं ई- मोड पर उपलब्ध हो चुकी हैं। पर्यटन उद्योग को विकास के नये पंख लग रहे हैं जिसके अंतर्गत जनवरी- 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक राज्य में एक करोड़ 88 लाख 84 हजार 317 रिकार्ड पर्यटक आये । श्रीनगर की डल झील की रौनक वापस आ गयी है। फिल्मों की शूटिंग भी एक बार फिर प्रारंभ हो चुकी है।राज्य में औद्योगिक गतिविधियां अब चल पड़ी हैं ।जिसके कारण बेरोजगारी की समस्या में भी कमी आ रही है। कुछ माह पूर्व हुई जी 20 की बैठक के माध्यम से पूरे विश्व ने एक नया कश्मीर देखा ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की सधी हुई और ठोस रणनीति के कारण अब राज्य में आतंकवाद और अलगाववाद धीरे -धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है।राज्य में पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं।कश्मीर में 2010 में पत्थरबाजी से 112 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2023 में पत्थरबाजी से एक भी मौत नहीं हुई। अब यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि अनुच्छेद -370 के कारण ही राज्य में अलगाववाद का जहर पनप रहा था वह मूल अब समाप्त हो चुका है किंतु राज्य की सुरक्षा के लिए वहां की जनसांख्यिकीय को भारत के पक्ष में करना ही होगा। अनुच्छेद- 370 के समापन के बाद राज्य में विकास का नया सूर्योदय होने जा रहा है जिसमें समाज के सभी वर्गों को न्याय मिलेगा।

( लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं।)



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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