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अफगानिस्तान में तालिबान का आना, पाक व चीन के लिए खुशखबरी

तालिबानियों का पुनः प्रभाव में आना कोई संयोग नहीं है। यह मान लीजिए कि अब भारत के लिए बहुत दुष्कर होने जा रही है राह।

Hemendra Tomar
Written By Hemendra TomarPublished By Monika
Published on: 17 Aug 2021 6:35 AM GMT (Updated on: 17 Aug 2021 6:50 AM GMT)
Taliban in Afghanistan
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अफगानिस्तान में तालिबान ने किया कब्ज़ा (फोटो : सोशल मीडिया ) 

अफगानिस्तान में तालिबान का आना और उस पर पाक व चीन का जश्न मनाना उतना ही घातक है, जितना इस घटना पर भारत के मुसलमानों का विरोध न कर के सन्नाटा खींचे रखना। मतलब यह है कि मन ही मन यह भी प्रसन्न हैं अफगानिस्तान में तालिबान के आने से।

तालिबानियों का पुनः प्रभाव में आना कोई संयोग नहीं है। यह मान लीजिए कि अब भारत के लिए बहुत दुष्कर होने जा रही है राह। चीन की यह नई चाल है जो उसने भारत के खिलाफ चली है। 370 के हटने से हताश पाकिस्तान सरकार को लग गया था कि अगला कदम भारत का उस क्षेत्र को अपने कब्जे में करना होगा। यह बात चीन को भी समझ आ रही थी कि गलवान में दिखाई गई भारतीय सैनिकों की प्रतिक्रिया यूं ही नहीं है बल्कि भारत की वर्तमान सरकार इसी तरह बनी रही तो कल अक्साई चीन भी वापस लेने को कुछ भी कर डालेगी। कोरोना को लेकर ट्रम्प की प्रतिक्रिया से तिलमिलाए और सहमे चीन ने डब्लूएचओ से लेकर अमेरिका तक सब मैनेज किया। ट्रम्प को हरवा कर सो-कॉल्ड सॉफ्ट-लेफ्टिस्ट बाइडेन को राष्ट्रपति बनवाने में भी चीन की भूमिका की चर्चा सामने आई। इस बात को पुष्टि तब मिली, जब कोरोना की उत्पत्ति की जांच के लिए अमेरिका की टीम बाइडेन के आने के बाद वुहान नहीं गयी अन्यथा ट्रम्प के रहने तक हम रोज सोचा करते थे कि हो न हो, अमेरिका इसी कोरोना को ले कर किसी न किसी दिन चीन पर हमला कर देगा।

पर, बाइडेन के आने के बाद चीन को उधर से राहत मिली लेकिन भारत ने अपने सारे जतन जारी रखे। यही बात चीन को नागवार गुजरती रही। इधर, इस बार परम पावन दलाई लामा जी के जन्मदिन पर पीएम मोदी की ओर से बधाई दिया जाना तो चीन को अपनी इंटरनेशनल बेइज़्ज़ती सी लगी। और उसने पूरे प्रयास किये कि भारत के खिलाफ कोई ऐसा मोर्चा खोला जाये, जिसमे भारत न केवल उलझ कर रह जाये बल्कि आतंकित हो जाये। और उसने खुद तालिबानियों को अफगान में राज करने को आमंत्रित किया और सहयोग किया। गौर करिये कि दो हफ्ते पहले आखिर तालिबानियों के प्रतिनिधि मंडल के साथ चीन ने क्या बातें की थी कि तालिबानियों ने इस बैठक के बाद खुश हो कि कहा कि सब ठीक जा रहा। मतलब, प्लानिंग के हिसाब से हम और चीन मिल के ठीक कर रहे।

आतंकी मुसलमानों को सपोर्ट करता है चीन

आपको आश्चर्य नहीं होता कि दुनिया का कोई भी मुसलमान और मुस्लिम देश चीन के उइगर प्रांत में मुसलमानों के साथ होने वाले भीषण अत्याचार पर कुछ भी नहीं बोलता। और, तालिबान का साथ देने पर भी उसे अचरज नहीं होता। यही तो मुसलमानों की असलियत है। हमास का इस्राएल पर हजारों बम बरसा कर एक युध्द की पहल करने पर दुनिया भर के मुसलमान खुश होता है और बदले में इस्रायल की कार्रवाई से फिलस्तीनी जितना रोये, उससे ज़्यादा दुनिया के मुसलमान कलपना शुरू कर दिए। यह डीएनए है दुनिया के मुसलमानों का, जो उन्हें एक करता है। चीन अपने घर के अंदर के मुसलमानों को मारता है और बाहर के आतंकी मुसलमानों को सपोर्ट इसलिए करता है कि उनसे हिंदुस्तान के खिलाफ लड़वाया जा सके। चीन यह जानता है कि हिंदुस्तान में 50 करोड़ मुसलमान (सरकारी जनगणना में इन्हें कम क्यों दिखाया जाता है, सबको इसका मतलब मालूम है) दबा-कुचला मुसलमान नहीं बल्कि घोर प्रतिक्रियावादी है, हमलावर है और वह इस्लाम के नाम पर भड़काने के बाद कुछ भी कर सकता है। इसलिए चीन का यह दांव भारत और हिंदुओं के लिए भारी पड़ने जा रहा है। सनातनियों की ही एक बड़ी शाखा बौद्ध पंथ के लोग कुछ नहीं कर पाए, जब उन्होंने इसी चीन के हाथों अपना तिब्बत देश गंवा दिया। दुनिया भर के बौद्ध तब भी कुछ नहीं कर पाए, जब इसी अफगानिस्तान में तालिबानियों के शासन में बुद्ध की सबसे ऊंची मूर्ति बामियान में थी, जो तोड़ी गई। और हां, हम सनातनी गौपुत्र होने का स्वांग जरूर करते हैं, वह दम्भ हमारा भी महज नाटक रहा जब तालिबानियों ने हजार गायों को निर्ममता से सिर्फ इसलिए काटा क्योंकि बुद्ध की प्रतिमा तोड़ने में थोड़ा ज़्यादा समय उनसे लग गया था और इसके लिए उन्हें अपने खुदा के सामने प्रायश्चित जो करना था।

आइये, हम पुनः वर्तमान में लौटें। सुब्रमण्यम स्वामी ने कल कह ही दिया है कि अब आसार हैं कि अगले एक साल के अंदर चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान मिल कर भारत पर एक बड़ा हमला कर दें।

हम-आप भला क्या कर सकते हैं, तब भी मोदी की कमी निकाल रहे होंगे और तब तक 50 करोड़ हिंदुस्तान में रहने वाला मुसलमान ( जिसका डीएनए पूरी तरह तालिबानियों से मिल रहा है), वो आपके गले पर छुरा रख कर अल्लाह-हु-अकबर कह के आपको जिबह कर रहा होगा। उस वक्त भी आपको मोदी अपना दुश्मन नज़र आ रहा होगा। आप या तो वो मोदी के कहे 15 लाख रुपये आपके खाते में न आने के लिए उन्हें गालियां दे रहे होंगे या फिर कोस रहे होंगे कि मोदी ने आपके लिए कुछ किया नहीं।

चलिये, ठीक है न। मोदी से ही सारी उम्मीद आप भी करिये और अपना गला कैसे रेतवाया जाये कि दर्द कम हो, यह गूगल पर सर्च कर के अपने पड़ोस में रहने वाले मुसलमान भाइयों को बता दीजिए।

चीन ने फिर घेरा

एक बात और, चीन ने हम-आपको इस बार फिर घेर लिया है। जरा नक्शा उठा कर देखियेगा कि उत्तर-पूर्व के राज्यों की घेराबंदी उसने इस तरह की है कि 3500 किलोमीटर की तिब्बत की सीमा पर खड़ा चीन अब 1650 किलोमीटर की भारत-म्यंमार सीमा पर भी अप्रत्यक्ष आ खड़ा हुआ है। म्यंमार (पहले बर्मा था और उसके पहले ब्रह्मदेश) की आँग सान सू की को उसने जेल में डलवा दिया और आतंकी मुसलमानों के लिए काल बने बौद्ध भिक्षु विराथू को उसने चारों तरफ बदनाम कर के घेर दिया, ताकि वहां भी धीरे-धीरे कब्जा किया जा सके।

बंधुओं, आगे की राह और अधिक कठिन होने जा रही है। बंगाल की हिन्दू महिलाओं से पूछिए। केरल में तो गैर-मुस्लिम के लिए धर्म-कर्म केवल घर के अंदर तक ही सीमित रह गया है। देवभूमि उत्तराखण्ड में शायद ही कोई पहाड़ी अब बची हुई हो, जहां मुस्लिम न हों। मुसलमान आज भी दमदार योगी के राज में हिन्दू लड़कियों को भगा ले जा रहे। गायें कहां नहीं कट रहीं और हम बन्द कमरे में बैठ कर हिन्दू राष्ट्र के बनने का सपना देख रहे। वो भी इस तरह कि यह काम मोदी को करना चाहिए। यही न।

थोड़ा धैर्य रखिये। इसी तरह घर में बैठे रहिए। और भगवान से कहिये कि वह धर्म बचाएं और भूल कर भी यह न सोचिए कि भगवान उसी की मदद करते हैं, जो खुद की मदद करता है। सोमनाथ मंदिर पर महमूद गजनवी के हमले को तो सपने तक में मत लाइये, जहां 50 हजार ब्राह्मण खड़े हो के शंकर भगवान के खुद प्रगट हो कर गजनवी के खत्म किये जाने के चमत्कार की प्रतीक्षा कर रहे थे और गजनवी ने सब का कत्ल कर दिया।

क्योंकि हम ईश्वर को मानने में इतने अतिरेक भाव में रहते हैं कि ईश्वर की बातों को नजरअंदाज कर के बस अपने को सुख देने वाली बातें ही गढ़ के मेहनत करने से बचते हैं।

तर्क मत करिए किसी से, स्वयं को तैयार करिये, युध्द के लिए

आज यहां लिखने का मतलब यही है कि तर्क मत करिए किसी से। स्वयं को तैयार करिये, युध्द के लिए। तिब्बत की लड़ाई लड़नी है और अब स्वयं को बचाने की भी। जिसके लिए कोई न आएगा आपकी सहायता के लिए। भगवान भी नहीं क्योंकि आपने खुद की मदद जो समय रहते नहीं की थी। एक रोटी कम खाइए और पैसे बचाइए और अभी से अपने जिलाधिकारी कार्यालय में शस्त्र के लिए आवेदन कर दीजिए। आपको खुद को बचाने की दिशा में पहला कदम यह होगा। बाकी बातें तो बहुत होगी।

हम श्रावण महासंकल्प में लगे हैं न। दशहरा में भी कुछ ऐसे ही लगें कि शत्रु कांप उठे। यही महादेव भी चाहते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हृदय में करुणा नहीं है। इसलिए हमें तैयारी करनी पड़ेगी। और हमें ही करना होगा।

हर हर महादेव।

जय भारत-जय तिब्बत।।

(हेमेन्द्र तोमर, केंद्रीय संयोजक, भारत-तिब्बत समन्वय संघ)

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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