×

चाय की बात ही निराली

कहने को चाय बस एक पेय पदार्थ है पर इसको सिंपल सा पेय पदार्थ नहीं माना जा सकता। क्योंकि जिंदगी की कई छोटी-बड़ी घटनाओं की साथी है चाय।

Daksham Dwivedi
Written By Daksham DwivediPublished By Shweta
Published on: 9 May 2021 10:52 AM GMT
चाय
X

चाय फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया

कहने को चाय बस एक पेय पदार्थ है पर इसको सिंपल सा पेय पदार्थ नहीं माना जा सकता। क्योंकि जिंदगी की कई छोटी-बड़ी घटनाओं की साथी है चाय। इसके साथ जुड़ाव ताउम्र आपके साथ रहता है। देश का शायद ही कोई हिस्सा हो जहां चाय न पी जाती हो। चाय अपने आप में इतना कुछ समेटे हुए है कि शब्द कम पड़ जाएंगे पर चाय से जुड़े किस्से कभी कम नहीं पड़ेंगे। घर की दहलीज से निकलते ही दुनियादारी को जैसे ही समझने के लिए कोई शख्स बाहर निकलता है।

वहीं से शुरू हो जाती है चाय की यात्रा जो बुढ़ापे तक हमारा साथ देती हैय़ कोई दोस्त परेशान है तो चलो यार फलां चाय की दुकान पर आ जाओ वहीं बैठकर तुम्हारी परेशानी के बारे में डिटेल से बात होगी। चाय की चुस्कियां स्कूली जीवन से शुरू होकर आपकी लाइफ के अंतिम क्षणों तक किसी न किसी रूप में साथ होती हैं। चाय के साम्राज्य की बात की जाए तो कोई शहर ऐसा नहीं होगा. जहां चाय का प्रभुत्व न दिखाई दे। चाय से बड़ा आत्मीयता का प्रतीक मेरी नजर में तो नहीं है क्योंकि चाहे आप स्टूडेंट हों या आप जॉब वाले हों या लाइफ का कोई भी रोल अदा कर रहे चाय एक साथी के रूप में भी और दो लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने में भी इस पेय पदार्थ का कोई तोड़ नहीं।

चाय गुफ्तगू कराती है, मजाक कराती है, चाय की दुकान पर ही एक दोस्त रूठता भी है और कुछ दिन बाद उसी चाय की दुकान पर मनाया भी जाता है। चाय चुनाव की तैयारियां भी करवाती हैं, चाय के साथ जीतने का जश्न भी शामिल है हारने का गम भी, पूरी समीक्षा भी चाय की दुकान पर होती है। चाय का साथ छोड़ना हर किसी के बस की बात भी नहीं है क्योंकि इसमें मोहब्बत है, लगाव है, झुकाव है वो अलग बात है कि किसी को बिना चीनी वाली,किसी को नींबू वाली तो किसी को मलाई वाली चाहिए किसी को काली चाहिए,किसी को तेज अदरक वाली,किसी को कप में पीना है, किसी को कुल्हड़ में,किसी को फाइबर में तो किसी को ग्लास में पर चाय चाहिए जरूर.चाय रिश्तों में ठहराव देती है, चाय के बहाने लोग एक दूसरे को सुनते हैं,चाय में एक अजीब सी पावर है जो एक इंसान को दूसरे इंसान से जोड़ती है।

चाय एक ऐसी डोर जो इंसानों को करीब लाती है.चाय की दुकानों से जुड़े किस्से तमाम उम्र एक याद बन जाते हैं। सबके जीवन में कोई न कोई ऐसी चाय की दुकान जरूर होती जिसको याद करके एक अजीब सा सुकून मिलता है। चाय के साथ न जाने ज़िंदगी के कितने अफसाने जुड़े होते हैं। इसलिए इस भागमभाग भरी जिंदगी में अपने किसी अजीज के साथ एक चाय पीजिए और जीवन के दुखों को दो पल ही सही भूल जाइए क्योंकि चाय की बात ही निराली है।

Shweta

Shweta

Next Story