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Teach Children Household Chores: बच्चों को भी सिखाएं घर के काम

Teach Children Household Chores: कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों को घर का काम सिखाने की और ज्यादा आवश्यकता होती है। जो औरतें सारा दिन घर पर रहती हैं वे तो घर का काम स्वयं कर भी सकती हैं लेकिन जो महिलाएं नौकरी व्यवसाय वाली हैं उनके पास समय का बहुत अभाव होता है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 14 May 2022 8:34 AM GMT
Teach children housing works
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बच्चों को भी सिखाएं घर के काम (फोटो-सोशल मीडिया)

Teach Children Household Chores: पहले लड़कियों के लिए पढ़ना लिखना उतना आवश्यक नहीं माना जाता था जितना घर का काम सीखना। इसके लिए परिवार के बड़े बूढ़ों का तर्क होता था की अरे इसे कौन सा दफ्तर जाना है । रसोई का काम सिखाओ। परंतु आज परिस्थितियां बिलकुल बदल चुकी हैं। अब महिलाएं भी पुरुषों की तरह सुबह सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर निकल जाती हैं और शाम को घर लौटती हैं। कोई बढ़ती हुई महंगाई के कारण मजबूर है तो कोई अपनी बढ़ी हुई आवश्यकताओं के कारण। विशेष रुप से मध्यमवर्गीय महिलाओं के नौकरी करने का यही मुख्य कारण होता है।

घर और ऑफिस की इस दोहरी जिंदगी को जीते हुए कामकाजी महिलाएं न चाहते हुए भी अपने बच्चों को उपेक्षित कर देती है। इसका परिणाम बच्चों के लिए कष्टदायक होता है। दिन भर दफ्तर में व्यस्त रहने के बाद महिलाएं इतना थककर घर पहुंचती हैं कि बच्चों की तरफ पूरा ध्यान नहीं दे पातीं। जो महिलाएं बच्चों के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझती हैं, वे भी सिर्फ स्कूल का होमवर्क कराकर यह मान लेती हैं कि बच्चों को देखने की जिमेदारी उन्होंने निभा दिया।

हर मां का यह पुनीत कर्तव्य

अधिकांश महिलाएं अपने पक्ष में यह दलील देती हैं की हम कोई मशीन नही हैं जो दफ्तर में काम करे और फिर घर आकर बच्चों के साथ माथापच्ची भी करें। इनकी एक यह भी शिकायत होती है की बस सप्ताह में एक दिन रविवार को छुट्टी मिलती है तो इस दिन भी बच्चे अपने मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं।

ऐसी महिलाओं को यह नही भूलना चाहिए कि वे सारे कार्यों की व्यस्तता के बावजूद एक मां भी हैं। हर मां का यह पुनीत कर्तव्य होता है कि वह अपने बच्चे को केवल स्कूल का होमवर्क कराकर ही अपनी जिम्मेदारी खत्म न समझे।

कुछ महिलाएं तो अपने बच्चे के अगले दिन के कपड़े, जूते आदि रात में ही निकाल कर रख देती हैं। और कुछ तो होमवर्क भी खुद कर देती हैं। वे सोचती हैं कि सब काम हो जाने से सुबह ऑफिस जाने के समय वे बच्चे की परेशानियों से बच जाएंगी। लेकिन ऐसा करते समय वे भूल जाती हैं की इतने सारे काम करके भी वे बच्चे को अपने ऊपर निर्भर बना रही हैं और बच्चों का आत्मविश्वास समाप्त कर रही हैं। कुछ भी जिम्मेदारी नहीं देने से बच्चे बिल्कुल नकारा हो जाएंगे। फिर बच्चे यह भी चाहने लगेंगे की उन्हें पीने के लिए एक ग्लास पानी भी बैठे बैठे मिल जाए।

छोटे-छोटे काम करने की आदत

कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों को घर का काम सिखाने की और ज्यादा आवश्यकता होती है। जो औरतें सारा दिन घर पर रहती हैं वे तो घर का काम स्वयं कर भी सकती हैं लेकिन जो महिलाएं नौकरी व्यवसाय वाली हैं उनके पास समय का बहुत अभाव होता है। अतः ऐसी महिलाओं के लिए बच्चों को हर काम की आदत डाल देना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा होने से बच्चे उनके काम के हाथ बंटा सकेंगे और जब महिलाएं दफ्तर से थककर घर लौटेंगी तो छोटे मोटकाम बच्चों द्वारा निपटा दिए जाने को देखकर उनकी आधी थकावट दूर हो ही जाएगी।

अतः आप अपने बच्चों से छोटे छोटे काम करने की आदत अवश्य डलवाएं। उदाहरणार्थ, कपड़े तह कर रखना, घर को साफ रखना, खाने के बाद जूठे बर्तन रसोई घर में रखना आदि। छुट्टी के दिन भी महिलाओं को बच्चे के साथ खड़ी होकर निर्देश देकर अच्छी अच्छी चीजें बनाना सिखाना चाहिए। अच्छा तो यह होगा कि आप उन्हें ऐसी चीज बनाना सिखाइए जो उनकी मनपसंद हो।

घरेलू काम करने से बच्चे स्वावलंबी तो बनेंगे ही आप के लिए भी सुविधा होगी क्योंकि जब आप थककर घर पहुंचेंगी तो एक प्याला बच्चे की हाथ की चाय देखकर आपकी दिनभर की थकावट दूर हो जाएगी। यदि महिलाएं चाहे तो बिना अतिरिक्त परिश्रम किए वे बच्चों को बहुत कुछ सीखा सकती हैं। आजकल की महिलाएं स्वयं तो दफ्तर चली जाती हैं और बच्चों को भी व्यस्त रहने के लिए शिशु सदन नृत्यशाला या ऐसे ही किसी स्कूल में दाखिला दिला देती हैं, जिनका बच्चों के व्यावहारिक जीवन से कोई खास तालमेल नहीं होता है।

अगर आप बच्चे को स्वावलंबी बनाना चाहती हैं तो वह लड़का हो या लड़की, घर का काम अवश्य सिखाइए। लड़के के लिए भी घर का काम सीखना उतना ही जरूरी है जितना लड़की के लिए। क्योंकि आजकल के युवकों को नौकरी वाली बीबी चाहिए। अगर उन्हें खुद घर का काम मालूम रहेगा तो वे सुव्यवस्थित घर चलाने में मदद कर सकेंगे।

काम करने की आदत से बच्चे घर में सहयोग दे सकेंगे और यह समझ सकेंगे कि मां काम करते करते थक जाती होगी इसलिए हमे भी उनका हाथ बटाना चाहिए। इस प्रकार वे स्वयं भी अपने जीवन को सुखमय एवम स्वावलंबी बन सकेंगे।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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