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मन्दिर प्रबन्धन और सनातन हिन्दू स्थानों की सुरक्षा

Security of Hindu Places: अनेक लोगों ने डासना ग़ाज़ियाबाद की घटना के बाद प्रतिक्रिया स्वरुप कुछ नरम-गरम विचार दिये हैं। बहस का विषय है गैर हिन्दू को मन्दिर में प्रवेश दें या नहीं?

Swami Jitendranand Sarswati
Published on: 18 March 2024 8:31 PM IST
Temple management and security of Sanatan Hindu places
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मन्दिर प्रबन्धन और सनातन हिन्दू स्थानों की सुरक्षा: Photo- Social Media

Security of Hindu Places: अनेक लोगों ने डासना ग़ाज़ियाबाद की घटना के बाद प्रतिक्रिया स्वरुप कुछ नरम-गरम विचार दिये हैं। बहस का विषय है गैर हिन्दू को मन्दिर में प्रवेश दें या नहीं? सनातन हिन्दू धर्म की वर्तमान संरचना के आधार पर हम 127 सम्प्रदायों, 13 अखाड़ों, सात आम्नाय एवं चार पीठों की व्यवस्था में बँधे हैं। एक एक सम्प्रदाय में कई-कई खालसा काम करते हैं। कुछ व्यक्तियों को यह भ्रम है कि शंकराचार्य नामक संस्था सर्वोच्च है जबकि ऐसा नहीं है।

वैष्णव (वैरागी) विशिष्टाद्वैत दर्शन जो कि जगद्गुरु रामानुजाचार्य द्वारा प्रदत्त है उसके सम्वाहक हैं। वह अद्वैत क्यों स्वीकार करेंगे।

इसी प्रकार सिखों के तीन अखाड़े, दो उदासीन जिनकी स्थापना गुरु नानक देव के दोनों पुत्रों ने की। तीसरा निर्मल अखाड़ा जिसकी स्थापना गुरु गोविंद सिंह जी ने की। जहाँ के सिख विद्यार्थीयों को वेद पढ़ना अनिवार्य किया। अर्थात सात सन्यासी, तीन सिख, तीन वैरागी कुल तेरह अखाड़ों की अखाड़ा परिषद। वैरागियों के कहने को तो तीन अखाड़े निर्वाणी, निर्मोही, दिगम्बर परन्तु इनके 16 खालसा, 52 द्वारे, चतुर्थ सम्प्रदाय भी एक प्रकार का अखाड़ा है। अब इनके बीच हिन्दू श्रद्धालुओं की सम्पूर्ण विश्व में एक सौ बीस करोड़ है। जनसंख्या की दृष्टि से हमारा धर्म अनुयायियों की दृष्टि से तृतीय स्थान पर है। ठीक प्रकार से देखें तो समर्पण की दृष्टि तथा संगठन रचना में हम ही प्रथम हैं।इस्लाम को मानने वाले बहत्तर हूरों के चक्कर में तिहत्तर फ़िरक़ों में बँटे हैं। जो एक दूसरे की मस्जिद में न नमाज़ अदा कर सकते न ही एक दूसरे फ़िरक़े की कब्र में दफ़नाए जा सकते हैं। उसी प्रकार ईसाई 143 आर्थोडाक्स में भयंकर रक्त रंजित संघर्ष में उलझा हुआ है।

स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती: Photo- Social Media

अब कोरोना काल में इनका विकास और सभ्य आचरण सब विश्व के समक्ष खुल कर आ गया। यूरोपियन देश महामारी से जूझ रहे हैं। जब पोप ने प्राणों के भय से अपने भक्तों को दर्शन देना बंद कर दिया था उस कठिन काल में हमने श्री रामजन्मभूमि पर भूमि पूजन सम्पन्न किया।अन्य की अपेक्षा हमारे लिये उत्तम अवसर है कि हमारे पास कुम्भ जैसा मंच है जहाँ सभी सम्प्रदाय विमर्श हेतु उपलब्ध हैं।

वर्तमान में देश के सम्पूर्ण भू-भाग पर 621000 ग्रामसभा, 745000 ग्राम, 745 ज़िले में से छह लाख गावों तथा छह सौ ज़िले में हिन्दू निवास करता है।साढ़े नौ लाख मन्दिर अभी भी हमारे हैं।जिसमें साढ़े चार लाख नेहरू जी की कृपा से विभिन्न राज्य सरकारों के क़ब्ज़े में हैं। ये अधिकतम दान एवं चढ़ावे वाले मन्दिर हैं।शेष पाँच लाख मन्दिर अधिसंख्य गृहस्थ ट्रस्टियों के पास और कुछ अखाड़ों तथा मठों के संरक्षण में हैं। ट्रस्ट और सरकारें सेक्यूलर हैं। उनकी दृष्टि में हमारे मन्दिर केवल सरकारी आय का साधन मात्र है। हमारे कुछ महन्त भी धर्म निरपेक्ष हैं।राजनीतिक कारणों से मन्दिर परिसर में नमाज़ से लेकर उर्स, ग़ज़ल, क़व्वाली का आयोजन भी करते रहते हैं।

इसी सदाशयता का परिणाम मुग़ल आक्रमण से लेकर आज तक चुका रहे हैं। तीन हज़ार विशिष्ट मन्दिर,तीन लाख छोटे-बड़े मन्दिर,नालन्दा,विक्रमशिला,तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय को खंडहर में बदलते हुए देखा।

गैर हिन्दू को मंदिर में प्रवेश दें या नहीं?

भारतरत्न महामना मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में यह शिलालेख लगवा दिया कि “ग़ैर हिन्दू प्रवेश वर्जित”। हिन्दू की परिभाषा भी की है कि सिख,जैन.बौद्ध भी हिन्दू ही हैं।

समय रहते सरकार से अपने सारे मन्दिर पुनः वापस प्राप्त कर मन्दिर की शुचिता,पवित्रता को बनाये रख कर मन्दिर आधारित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था को गढ़ने का समय आ गया है। जहाँ मन्दिर के केंद्र में शिक्षा, स्वास्थ्य ,सम्पर्क और संस्कार की नींव डालकर सम्पूर्ण विश्व को बचा सकते हैं और उद्घोष कर सकते हैं-

“कृण्वंतो विश्वमार्यम्”।।

(लेखक- स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती, अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामंत्री हैं।)

Shashi kant gautam

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