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सीमा पर पड़ोसियों की नापाक हरकतें

भारत के दोनों शत्रु यानी चीन और पाकिस्तान अपनी शैतानियों से बाज नहीं आ रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड 19 से जब सारी दुनिया एक जुट होकर लड़ रही है, तब ये दोनों भारत की सरहदों पर अपना गंदा खेल खेलने में लगे हुए हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 12 May 2020 10:25 PM IST
सीमा पर पड़ोसियों की नापाक हरकतें
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आर.के. सिन्हा

भारत के दोनों शत्रु यानी चीन और पाकिस्तान अपनी शैतानियों से बाज नहीं आ रहे हैं। वैश्विक महामारी कोविड 19 से जब सारी दुनिया एक जुट होकर लड़ रही है, तब ये दोनों भारत की सरहदों पर अपना गंदा खेल खेलने में लगे हुए हैं। यह कहना भी सही ही होगा कि ये दोनों दुश्मन एक रणनीति के तहत ही भारत को घेर रहे हैं? पर इन दोनों से आप कोई और उम्मीद भी तो नहीं कर सकते हैं। इनकी विदेश और सामरिक नीति का अंग ही है भारत को किसी न किसी तरह से चोट पहुंचाना और भारत को अस्थिर रखने की कोशिश करते रहना। सिक्किम में लगी दोनों देशों की सीमा में चीन ने घुसपैठ करने की चेष्टा की। जिसके बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई। दोनों देशों के सैनिकों में यह टकराव गंभीर रूप ले लिया था। इस घटना में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें भी आई हैं। लंबे समय बाद नॉर्थ सिक्किम के इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच ऐसी स्थिति पैदा हुई।

उधर, चीन का पिट्ठू पाकिस्तान भी लगातार नियंत्रण रेखा पर फायरिंग करता ही जा रहा है। हालांकि उसे भारतीय सेना से भी हर बार करारा जवाब भी मिलता है। पर उसे तो पिटने की नियमित खुराक चाहिए होती है। भारत से बार-बार मार खाना उसकी आदत का हिस्सा बन चुका है। बिना लात खाये उसकी तबीयत बिगड़ने लगती है। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान एक और सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका से भयभीत है। अब भारत ने भी पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारना चालू कर दिया है। आप देख लें कि उड़ी आतंकी हमला हुआ तो भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की। उसके बाद पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के बालाकोट में आतंकियों के शिविरों को तबाह कर दिया था। अब भारत का भी प्रेम पत्र लिखकर चुप हो जाने से विश्वास उठ गया है। अब पाकिस्तान के हमलों पर निंदा या कड़ी निंदा भर करके भारत चुप नहीं हो जाता है। भारत के रणनीतिकारों को अब समझ में आ गया है कि पाकिस्तान अव्वल दर्जे का बेशर्म और पैदाइशी धूर्त देश है। उसे बातचीत से समझाया ही नहीं जा सकता है। उसका इलाज मात्र ही यही है कि उसके घर में घुसकर आतंकियों को मिट्टी में मिलाया जाए। यह तरीका कारगर भी साबित हो रहा है । हालांकि भारत ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक के दौरान सामान्य पाकिस्तानी नागरिको को कोई क्षति नहीं पहुंचाई। भारत यह मानता है कि वहां की जनता गरीबी, अशिक्षा और महंगाई से जूझ रही है। भारत वहां की जनता के प्रति किसी तरह का वैमनस्य का भाव नहीं रखता । हालाँकि, ठीक इसके उलट पाकिस्तान भारतीय नागरिकों, महिलाओं और बच्चों पर गोलाबारी करने से तनिक भी नहीं हिचकता।

अगर बात फिर से चीनी सेना की हरकतों पर करें तो भारत डोकलाम सीमा विवाद के बाद उस पर अब कतई भरोसा नहीं कर सकता है। यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है जब भारत-चीन और भूटान की रणनीतिक सीमा डोकलम पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। तब 58 साल पहले 1962 की जंग की स्मृतियां ताजा हो गई थीं। दरअसल भारत ने चीन के साथ सदैव मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने की इच्छा जताई पर उसके इरादे अलग ही रहे। पर डोकलाम में उसे भारत की ताकत का कायदे से पता चल गया था।

दुनिया को कोरोना वायरस देने वाला चीन पूरे विश्व के लिये अब मानवता के नाम पर काला धब्बा बनकर उभरा है। यह सच में भारत का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि उसके चीन और पाकिस्तान जैसे घटिया पड़ोसी मिले हैं। ये कभी भी पड़ोसी धर्म का निर्वाह नहीं करते। भारत-चीन के बीच सालाना लगभग 100 अरब रुपए का कारोबारी संबंध है। अब भारत को चीन को उसकी औकात कायदे से बता देने का माकूल समय आ गया है । चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, लेकिन उसके साथ भारत का 29 अरब रुपए का विशाल व्यापार घाटा भी है। यानी चीन बड़े स्तर पर लाभ की स्थिति में है। पर इसके बावजूद चीन भारत के प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं दिखाता। भारत को चीन से अपने आयातों में भारी कटौती करनी होगी और चोरबाजारी से आ रहे चीनी सामानों को पूरी तरह बंद करना होगा ताकि उसकी आर्थिक कमर टूट जाए। भारत को भी चीन पर अपनी निर्भरता घटानी होगी। यही ही नहीं, भारत को चीन से कोरोना के कारण बाहर जाने वाली दिग्गज जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोप और अमेरिका की कंपनियों को अपने यहां निवेश करने का आकर्षक निमंत्रण देना होगा । ये भारत के लिए संसार का एक बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेने का मौका भी है। इस अवसर को कतई छोड़ा नहीं जा सकता। मतलब यह कि अब चीन पर दोतरफा हमला बोलना होगा। पहला, चीन से आयात तेजी से कम किया जाए। दूसरा, चीन से अपना निवेश बाहर लेकर जा रही कंपनियो को भारत में बुलाया जाए। इन दोनों कदमों से चीन को दिन में तारे नजर आने लगेंगे। दुनिया को कोरोना देने के कारण संसार का हर इंसान उससे नफरत करता है। इसमें कतई संदेह की गुंजाइश नहीं है कि एक बार कोरोना वायरस को शिकस्त देने के बाद दुनिया भर के देश चीन से नाता तोड़ने लगेंगें । इसलिए उसका इलाज तो अपने आप ही हो जाएगा। भारत ने तो चीन से किनारा करना भी चालू कर दिया है। इससे वह दुखी भी है। उसके नेताओं की पेशानी से पसीना छूटने लगा है। दरअसल भारत सरकार ने पिछले महीने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश( एफडीआई) नियमों में कूटनीतिक बदलाव किए हैं। भारत ने अब यह नियम बनाया है कि किसी भी अपने पड़ोसी देशों की किसी भी कंपनी या व्यक्ति को भारत में किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकार की हरी झंडी लेनी होगी। इस फैसले के आते ही चीन कहने लगा है कि भारत का यह फैसला डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले नियमों का उल्लंघन करता हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के विरूद्ध जाता हैं। चूंकि भारत सरकार के फैसले से चीन के हितों पर प्रभाव पड़ना तय है, इसलिए वह तिलमिला गया है। अब ऊंट पहाड़ के नीचे आया है। अब चीन को घुटनों के बल खड़ा होना होगा।

इस बीच, चीन और पाकिस्तान के बाद हमारा घनिष्ठ मित्र देश नेपाल भी हमें आंखें दिखा रहा है। दरअसल भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विगत शुक्रवार को वीडियो लिंक के ज़रिए 90 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। यह सड़क उत्तराखंड राज्य के घाटियाबागढ़ को हिमालय क्षेत्र में स्थित लिपुलेख दर्रे से जोड़ती है। इस वजह से नेपाल भड़क गया है या चीन द्वारा भड़का दिया गया । नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित भारतीय दूतावास के सामने नेपाली लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया है। वैसे तो इस राजमार्ग से पश्चिमी नेपाल के लाखों नागरिकों को जो रोजी-रोटी के लिये भारत आते हैं, भारी फायदा हो होगा । पर नेपाल के मार्क्सवादी तो चीन की तरह ही देखने लगे हैं।

क्या यह पाकिस्तान के साथ अब चीन के करीब होता नेपाल भी किसी खास योजना के तहत भारत को घेर रहा है? इन तीनों से भारत एक साथ और अलग-अलग मुकाबला करने में भी सक्षम है। लेकिन, भारत को इन देशों की हरकतों पर पैनी नजर रखनी होगी। नेपाल के शासकों को भी प्यार से समझाना होगा । नेपाल तो एक ऐसा कटा हुआ पहाड़ी देश है जिसका समस्त आवागमन भारत होकर ही है। भारत से कटुता उसे कैसे लाभ देगी।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)

Dharmendra kumar

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