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पहली पहेली ही अभी हल नहीं हुई कि आखिर कोरोना कैसे पैदा हुआ.......

महामारी फिर से लौट आई है। पिछले वर्ष मार्च में जब संपूर्ण लॉकडाउन किया गया था, तब लोगों ने उसका पूरा सम्मान किया था।

Shashwat Tiwari
Written By Shashwat TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 6 April 2021 5:08 PM GMT
How corona born
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How corona born:(Photo-Social Media)

लखनऊ: कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। करीब 01 साल पहले पूरी दुनिया ऐसी महामारी की चपेट में आ गई थी, जिसके बारे में इंसान ने कुछ सोचा नहीं था। फिर उस महामारी का प्रसार रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया और लोग घरों में कैद हो गए। माना कि अब इस से बचाव की वैक्सीन आ गई है, लेकिन भारत में कोरोना अपने इतिहास को दोहरा रहा है। अब यहां रोजाना का संक्रमण नये- नये रिकॉर्ड बना रहा है। ऐसे में चुनावी राज्यों में नेताओं की रैलियां गौर करने लायक है। इनमें हजारों-लाखों के भीड़ इकट्ठा होती है और कोरोना के दिशा- निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ती है। क्या चुनावी रैलियों से कोरोना नहीं फैलता। आज सरकार और जनता दोनों को इस ओर सोचना होगा कि वह किस तरह इस वायरस का प्रसार थाम सकता है, कोरोना विस्फोट की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए तभी लोगों का मनोबल बढ़ेगा और डब्ल्यूएचओ की प्रासंगिकता सिद्ध होगी।

महामारी फिर से लौट आई है

महामारी फिर से लौट आई है। पिछले वर्ष मार्च में जब संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया गया था, तब लोगों ने उसका पूरा सम्मान किया था। सरकार के सभी आदेशों को माना गया, इसी कारण स्थिति भी धीरे-धीरे सामान होती गई। तभी हम महामारी के खत्म होने की उम्मीद पालने लगे थे। उस वक्त जनजीवन इसलिए पटरी पर लौट सका क्योंकि लोगों ने बचाओ से जुड़ी सभी बातो का ध्यान रखा, मगर अब इस जिम्मेदारी से लोग भागने लगे हैं। जिस तरह से देश में कोरोना मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है, उससे तो यही लगता है कि लोगों को फिर से अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत एक बार फिर आन पड़ी है। देश में जारी कोरोना की यह दूसरी लहर पर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है।


कई राज्य सरकारें तो फिर से लॉकडाउन की ओर बढ रहे है। ऐसे में लोगों का बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन अथवा भीड़भाड़ वाले जगहों पर बिना मास के दिखाई देना और शारीरिक दूरी का पालन न करना दुखद है। हमें ऐसी हरकतों से बचना चाहिए। प्रशासन को भी सामंजस्य बिठाना चाहिए और लोगों को हर स्तर पर जागरूक करना चाहिए। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।

पहली पहेली ही अभी हल नहीं हुई

दुनिया को अभी कोरोना के बारे में पूरे जवाब नहीं मिले हैं पहली पहेली ही अभी हल नहीं हुई है कि आखिर कोरोना कैसे पैदा हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन की जो टीम चीन दौरे पर गई थी, वह भी पुख्ता जवाब के साथ नहीं लौटी है।

उस टीम के पास कुछ आंकड़े पर है और इस टीम के सदस्यों को भी लगता है कि उनकी खोज अभी शुरुआत भर है कारोना का जवाब खोजना इसलिए भी जरूरी है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को ऐसी किसी महामारी से बचाया जा सके। यह महान चुनौती है।

लगभग एक साल बाद चीन ने अंतरराष्ट्रीय टीम को गुहान पहुंचने दिया, टीम जब वहां पहुंची तब वह शुरू में ही उसे प्रतिकूल माहौल दिया गया लगभग 04 सप्ताह वैज्ञानिक वहां रहे, लेकिन कुछ भी ऐसा उनके हाथ नहीं लगा जिससे विज्ञान की दुनिया किसी ठोस नतीजे पर पहुंचती। नैतिकता का तकाजा यही है कि चीन स्वयं जांच करके दुनिया को सच बताता। आज पूरी दुनिया में उस पर सवाल उठ रहे हैं।


क्या चमगादड़ से यह महामारी सीधा इंसानों में आई

महामारी में चीनी विश्वसनीयता को जो क्षति पहुंचाई है। उसकी भरपाई के प्रति चीन कितना गंभीर है, ब्रिटेन के ग्लासगो विश्वविद्यालय से जुड़े वायरोलॉजिस्ट डेबिट रॉबर्टसन कहते हैं चीन में प्राप्त व्यापक आंकड़ों में कुछ ऐसी चीजें पोस्ट हुई है, जिनका पहले से ही पता था। अभी भी यह खोज शेष है कि क्या चमगादड़ से यह महामारी सीधा इंसानों में आई। क्या कोई ऐसा जीव था जिसके जरिए वायरस चमगादड़ से इंसानों में पहुंचा, यह बैलेंस लोगों में कैसे आया और फिर लोगों से लोगों के बीच कैसे फैला। यह तमाम सवाल वैज्ञानिकों के लिए है।

वायरस के शुरुआती नमूनों की पड़ताल जरूरी भी है। चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक समझौता किया है। जिसके अनुसार कोरोना विस्फोट की जांच लंबे समय तक चलेगी। कुछ वैज्ञानिकों को यह आशंका अब कम है कि वायरस प्रयोगशाला से लीक हुआ होगा, लेकिन ज्यादातर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अभी किसी आशंका या संभावना को खारिज नहीं करना चाहिए। कोरोना के प्रति अभी तक कुछ नरम दिखता संयुक्त राष्ट्र कतई ना भूले की दुनिया में 28 लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 13 करोड़ से ज्यादा संक्रमित हुए हैं।

(लेख: शाश्वत तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार, यूपी)

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