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रोंगटे खड़े कर देगीः किट्टू की बरामदगी की ये दास्तां, बता रहे हैं पूर्व डीजीपी ब्रजलाल
मैंने चार जुलाई 91 की शाम सात बजे भोजन किया था और 23 घंटे बाद पांच जुलाई 91 को ही ब्रश करके कुछ खाया था। किट्टू बिट्टू मेरी हम उम्र बेटियों संगीता, वंदना और बेटे अपूर्व के साथ काफ़ी हिल- मिल गयी थी। मेरठ में तैनाती के तीसरे दिन यह कामयाबी मिली और मैंने अपना खोया हुवा फार्म वापस पाया, जो जनता दल ( अब समाजवादी) पार्टी की सरकार में प्रताड़ित करके तोड़ने का प्रयास किया गया था।
ब्रजलाल पूर्व पुलिस महानिदेशक उप्र
मै तीन दिन पहले अपने पुराने काग़ज़ात पलट रहा था तो मुझे नन्ही सी बच्ची किट्टू का पत्र मिला, जिससे मेरी पुरानी स्मृतियाँ ताज़ी हो गयीं। मैंने पहले किट्टू की माँ डॉक्टर नीरा सेठ का मेरठ से नम्बर प्राप्त किया और किट्टू द्वारा लिखे गये पत्र को शेयर किया। किट्टू का अमेरिका से फ़ोन 17 मई 2020 की शाम को आ गया और अपना फ़ोटो भी भेजा। किट्टू (कत्यानी सेठ) उच्चशिक्षा के बाद अमेरिका से पीएचडी पूरी कर रही है। मै पूरी घटना शेयर कर रहा हूँ।
एक जुलाई 1991 को लगभग चार वर्षीय अबोध किट्टू का मेरठ के डिफ़ेन्स कॉलोनी से फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया था जो शहर से पहली सनसनीखेज़ अपहरण की घटना थी। किट्टू की माता डॉक्टर नीरा और पिता डॉक्टर दीपक सेठ कामयाब चिकित्सक थे। इस घटना से मेरठ में हाहाकर मच गया, मेडिकल कॉलेज सहित सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम विरोध में बंद कर दिए गये। फिरौती के लिए दस लाख रुपये की रकम माँगी गयी जो उस समय बहुत बड़ी थी।
डीजपी ने बुलाया
मेरे पुलिस महानिदेशक वी के जैन ने मुझे दो जुलाई 91 को लखनऊ बुलाया। मै उस समय वाराणसी में एसपी ईओडब्ल्यू सीआईडी के पद पर तैनात था, जो मुझे सजा के तौर पर मुलायम सिंह सरकार ने इस पद पर भेजा था और मेरे विरुद्ध बिभागीय कार्रवाई चल रही थी। कारण- मुलायम सिंह जी द्वारा ही मुझे SSP इटावा मुख्यमंत्री होते ही तैनात किया गया था। मैंने शिव पाल सिंह के ख़िलाफ़ 9 अप्रैल 1990 को मुक़दमा क़ायम किया था, जो थानाध्यक्ष शाह आलम खान की थाने में पिटाई करके पच्चीस मुलज़िम छुड़ा लेने से सम्बंधित था।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी ने मुझे एसएसपी मेरठ तैनात करने का निर्णय लिया है और मुझे तुरंत प्रस्थान करना है क्योंकि डॉक्टर दम्पत्ति की पुत्री के अपहरण से मेरठ में हाहाकर मचा है। मैंने तीन जुलाई 91 को एसएसपी का कार्यभार ग्रहण किया और सर्किट हाउस में डाक्टरों का बड़ा डेलीगेशन मुझसे मिला जिसकी अगुवाई डॉक्टर उषा शर्मा प्रिन्सिपल मेरठ मेडिकल कॉलेज कर रही थीं।
चार्ज लेने के 24 घंटे के भीतर मिली टिप
चार जुलाई 1991 को शाम मुझे एक शुभेक्षु ने जानकारी दी और मै उनकी कार में अपने पेशकार के साथ चुपके से मवाना मेरठ में तीन बदमाशों के घर देख आया। उसी दिन शाम आठ बजे अपनी टीम को लेकर छापा मारा जहां किट्टू के कपड़े , जूते मिल गये परंतु किट्टू नहीं मिल पायी, बदमाशों ने ठिकाना बदल दिया था। एक बदमाश मिल गया जिसको लेकर वहीं से मैने नोएडा में भोर में छापा मारकर दूसरे बदमाश को उठा लिया। उसने तीसरे बदमाश का नाम बताया जिसने किट्टू को लेकर बुलन्दशहर कुख्यात गैंग लीडर महेंद्र फ़ौजी के ठिकाने पर पहुँचा दिया था और फिरौती फ़ौजी माँग रहा था।
मैने टीम के साथ ऩोएडा से मेरठ पहुंच कर आठ बजे सुबह इस बदमाश को भी उठा लिया जो अपनी कार से बच्ची को सयाना बुलन्दशहर में बुगरासी के पास एक गाँव में पहुँचा आया था। पुलिस लाइन पहुँच कर मैंने गाड़ियों में तेल भरा और बिना नाश्ता किए सीधे बुलन्दशहर के गाँव पहुँचा जहाँ किट्टू के कपड़े मिल गये परंतु उसको एक बदमाश अपने साथ छिपने के लिए गाँव के बाहर ले गया था। मैंने बुगरासी के वीडियो सिनेमा और सयाना तहसील के सिनेमा हाल छान मारे परंतु निराशा हाथ लगी। फ़ोर्स बिना खाये बेहाल थी। मै खाना- पानी में समय गँवाना नहीं चाहता था।
खेत में घुसकर हवाई फायरिंग ने दिला दी कामयाबी
मै लौटकर फिर गाँव आया और गन्ने के खेतों में घुसकर हवाई फ़ायर किया। तुरंत किट्टू के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ी। बदमाश उसे छोड़कर भाग लिया था। मैंने किट्टू को गोद में उठाया और सीधे पांच जुलाई 1991 को शाम पाँच बजे मेरठ वापस आकर किट्टू को उसके माता- पिता को सौंपा। डॉक्टर नीरा और उनके पति दीपक बेटी को पाकर भावविभोर हो गये। शहर के डाक्टरों ने मेरा अभिनंदन किया और कहा कि वे मेरे कार्यकाल में किसी पुलिस कर्मी से इलाज का पैसा नही लेंगे और उन्होंने मेरे दो वर्ष से अधिक के कार्यकाल में अपना वादा निभाया।
किट्टू आज अमेरिका और बड़ी बहन बिट्टू IIT मुंबई में कार्यरत है। मुझे उनकी माँ व किट्टू को वह पत्र भी शेयर किया जो किट्टू की तरफ़ से मुझे लिखा गया था, जिस पर नन्ही किट्टू का फ़ोटो भी लगा है। किट्टू ने मुझसे तुरंत अमेरिका से बात की और अपना फ़ोटो भी शेयर किया। मैंने चार जुलाई 91 की शाम सात बजे भोजन किया था और 23 घंटे बाद पांच जुलाई 91 को ही ब्रश करके कुछ खाया था। किट्टू बिट्टू मेरी हम उम्र बेटियों संगीता, वंदना और बेटे अपूर्व के साथ काफ़ी हिल- मिल गयी थी। मेरठ में तैनाती के तीसरे दिन यह कामयाबी मिली और मैंने अपना खोया हुवा फार्म वापस पाया, जो जनता दल ( अब समाजवादी) पार्टी की सरकार में प्रताड़ित करके तोड़ने का प्रयास किया गया था।
Brij Lal Ex-DGP UP
Lucknow May 18, 2020