दुश्मनों के लिए जासूसी करने वालों को हो सीधे फांसी की सज़ा

Punishment For Spying: ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप साबित होने पर आजीवन कारावास की सजा नागपुर जिला न्यायालय ने सुनाई।

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 5 Jun 2024 5:20 PM GMT
Those who spy for the enemy should be given death penalty
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दुश्मनों के लिए जासूसी करने वालों को हो सीधे फांसी की सज़ा: Photo- Social Media

Punishment For Spying: लोकसभा चुनावों के नतीजों के कोलाहल में बीते दिनों पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले एक देश के दुश्मन को दी गई उम्र क़ैद की सजा की खबर लगभग दब सी गई। ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप साबित होने पर आजीवन कारावास की सजा नागपुर जिला न्यायालय ने सुनाई। अग्रवाल को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की ओर से जासूसी गतिविधियों के लिए आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था। आजीवन कारावास के साथ-साथ उन्हें 14 साल के कठोर कारावास और 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। देश के गद्दारों को इसी तरह की सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि कोई मातृभूमि के साथ गद्दारी करने के बारे में सोचे भी नहीं। आपको याद होगा कि छह साल पहले 2018 में इस मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी । क्योंकि, यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस से जुड़ा जासूसी का पहला मामला था। अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट नेहा शर्मा और पूजा रंजन के जरिए संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के संपर्क में था। इस्लामाबाद से चलाए जा रहे इन अकाउंट्स के बारे में माना जाता है कि इन्हें पाकिस्तान के खुफिया एजेंट चला रहे थे।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल: Photo- Social Media

ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी लीक करने के आरोप में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसियों ने दावा किया कि उसके कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरणों की जांच की गई और पाया गया कि संवेदनशील डेटा ट्रांसफर किया गया था। यह कौन नहीं जानता कि हमारे यहां सेना की जासूसी करने वाले जयचंद और मीर जाफर भी जगह-जगह मौजूद हैं। इनमें सेना के अंदर ही छिपे कुछ गद्दारों, सरकारी अफसरों से लेकर तथाकथित पत्रकार आदि भी बहुरूपिये शामिल हैं, जो दिखते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। ये आरटीआई के माध्यम से धीरे-धीरे सूचनाएं निकालने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इन्हें अपने आकाओं से मोटा पैसा जो मिलता है। इसलिए ये अपनी मातृभूमि का भी सौदा करने से पीछे नहीं हटते। इनका जमीर मर चुका है।

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आरटीआई की आड़ में सेना की जासूसी

दरअसल सूचना के अधिकार (आरटीआई) की आड़ में भारतीय सेना की तैयारियों को लेकर कुछ देश विरोधी ताकतें सूचनाएं निकालने की फिराक में रहते हैं। यह ही तत्व सेना से संबंधित जानकारियां सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगते हैं। यह सवाल इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि इधर देखने में आ रहा है कि कुछ तत्व सेना की अति संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण जानकारियों को हासिल करने में भी अनावश्यक दिलचस्पी लेने लगे हैं। केन्द्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक 28 अप्रैल, 2022 को हुई थी जिसमें इस बात पर गंभीर चिंता जताई गई थी कि आरटीआई के नाम पर सेना की अहम जानकारियां मांगी जा रही हैं। यह बैठक सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे के रिटायर होने से दो दिन पहले ही हुई थी।

देश के नागरिकों को आरटीआई कानून के तहत सूचना पाने के अधिकारों की सीमाएं भी हैं। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को, अपने कार्य को और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है। लोकतंत्र में देश की जनता अपनी चुनी हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन, आम जनता को यह अधिकार तो कत्तई नहीं दिया जा सकता कि वह देश की सुरक्षा और शत्रु का मुकाबला के लिए की जा रही तैयारियों की ही जानकारियां मांगने लगे।

पाकिस्तान और चीन की तरफ से लगातार यह कोशिश बनी रहती है कि उन्हें हमारी रक्षा तैयारियों की जानकारी हासिल होती रहे। इसलिए यह दोनों देश हमारे नागरिकों को तरह - तरह के लालच देकर सूचनाएं लेते रहते हैं। अब माधुरी गुप्ता की कहानी जान लें। वह भारतीय विदेश सेवा की “ग्रुप बी” श्रेणी की अधिकारी थी। अपनी 27 वर्षों की लम्बी सेवा में माधुरी ने इराक, लाइबेरिया, मलेशिया, क्रोएशिया और पाकिस्तान में नौकरी की। उर्दू पर अच्छी पकड़ और सूफियाना मिजाज वाली माधुरी साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहती थी। खुले ख्यालों वाली माधुरी धूम्रपान, शराब-सेवन, गुटका खाने और पुरुष-मित्रों से सम्बन्ध बनाने के लिए खास तौर पर जानी जाती थी। कुछ साल पहले इस्लामाबाद-स्थित भारत के उच्चायोग में द्वितीय सचिव के रूप में पोस्टिंग के दौरान माधुरी को उर्दू पर अच्छी पकड़ होने के कारण पाकिस्तानी मीडिया को मॉनिटर करने का काम सौंपा गया था। पाकिस्तान में पोस्टिंग के बमुश्किल छः महीने बीतते-बीतते माधुरी जमशेद, जिसका कोड नाम जिम था, के द्वारा फंसा ली गयी। भारत सरकार के अधिकारियों को जब आभास हुआ कि माधुरी शत्रु के जासूसी षड्यंत्र में फंस गयी है तो पुष्टि के लिए उसके माध्यम से एक गलत सूचना जानबूझ कर भेजी गयी।

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परिणामस्वरूप, ख़ुफ़िया सूचनाओं को लीक करने का माधुरी के कारनामों का पक्का यकीन हो गया। भूटान में आयोजित होने वाले सार्क समिट की तैयारियों के बहाने माधुरी गुप्ता को भारत वापस बुलाया गया। 22 अप्रैल 2010 को वह वह ज्यों ही दिल्ली के हवाई अड्डे पर उतरी तो खुफिया एजेंसी के लोगों ने उसे अपनी पकड़ में ले लिया। पूछताछ से पता लगा कि वह आईएसआई के दो जासूसों – मुन्नवर रजा राना और जमशेद उर्फ़ जिमी से सांठगाँठ करके उन्हें खुफिया सूचनाएं सप्लाई करती थी। इन आरोपों के आधार पर 20 जुलाई 2010 को माधुरी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे न्यायिक हिरासत में रखा गया। 18 मई 2018 को दिल्ली के अतिरिक्त सेशंस जज सिद्धार्थ शर्मा ने जासूसी के लिए माधुरी को 3 वर्षों की सजा सुनाई।

कुछ साल पहले ही चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में राजधानी के एक कथित वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा को पकड़ लिया गया था। राजीव शर्मा के बारे में यह पता चला था कि वह आरटीआई से जानकारियां निकाल कर चीन को सप्लाई करता था। उसे ‘ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट’ (ओएसएस) के तहत गिरफ्तार किया गया था। उसने सेना से जुड़े कई राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील सूचनाओं वाले दस्तावेज चीन को दिए थे। चीन को संवेदनशील सूचनाएं उपलब्ध कराने की एवज में उसे मोटी रकम मिलती थी।

इधर आरटीआई के तहत आवेदकों की बाढ़ सी आ गई है। बहुत से लोग अनाप-शनाप सवाल भी पूछते रहते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना होगा कि इस अधिकार का गलत इस्तेमाल न हो। इस बाबत बहुत सजग रहना होगा। एक बात और कि जो देश के साथ गद्दारी करे उसे सीधे मौत की सजा देने पर भी विचार किया जाना चाहिए। जरा सोचिए कि अग्रवाल को इस देश ने आईआईटी जैसे श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान में पढ़ने का मौका दिया। उसने आईआईट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस में इंजीनियर के तौर पर काम करने लगा। उसकी विशेषज्ञता की वजह से उसे बहुत कम समय में ब्रह्मोस एयरोस्पेस में जरूरी पदों पर पदोन्नत किया गया और मिसाइल परियोजनाओं पर काम करने वाली टीम का एक जरूरी सदस्य बनाया गया। वही शख्स देश का दुश्मन बन गया। उसके जैसों को तो फांसी होनी ही चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Shashi kant gautam

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