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आज बेहद जरूरी ये नौ बातें, दीप प्रज्जवलित करने से पहले आप भी जान लें इनको
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि ५ अप्रैल,२०२०की रात ९ बजे सब लोग अपने अपने घरों की छत अथवा बालकनी या घरों की लक्ष्मण रेखा के अंदर रहते हुए नौ मिनट तक दीपक या मोमबत्ती जलायें और कुछ न हो तो टार्च या मोबाइल से रोशनी फैलायें।
योगेश मिश्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शुक्रवार को सुबह ९ बजे ९ मिनट का राष्ट्र के नाम संबोधन किया। जिसमें उन्होंने कहा कि ५ अप्रैल,२०२० यानी रविवार को रात ९ बजे सभी देशवासी ९ मिनट का समय उन्हें दे दें।
उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि ५ अप्रैल,२०२०की रात ९ बजे सब लोग अपने अपने घरों की छत अथवा बालकनी या घरों की लक्ष्मण रेखा के अंदर रहते हुए नौ मिनट तक दीपक या मोमबत्ती जलायें और कुछ न हो तो टार्च या मोबाइल से रोशनी फैलायें।
सबके मन में यह सवाल निसंदेह उठ रहा होगा कि आख़िर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा क्यों कहा ? क्या यह करने से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निजात मिल सकती है ? यह तो समय बताएगा? लेकिन इतना ज़रूर है कि नौ अंक का भारतीय संस्कृति, संस्कार, भारतीय ज्योतिष, और भारतीय सामाजिक जीवन पद्धति तथा धर्म एवं आध्यात्म में बेहद महत्व है।
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों का ज़िक्र आता है -इनमें सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु हैं।यही नहीं, हम सबने नौ रत्न का ज़िक्र ज़रूर सुना होगा। इनमें माणिक, मोती, पन्ना, नीलम, लहसुनिया, पुखराज, गोमेद, मरकज़ और हीरा है।
जन्म से पहले नौ माह माँ के गर्भ में रहने का प्रावधान है।गर्भाधान से मृत्यु तक जीवन में कुल नौ अवस्थाएं होती है। हर व्यक्ति के शरीर में नौ द्वार हैं। कहा जाता है कि राम रावण का युद्ध नौ दिन चला था। भगवद्गीता में अठारह अध्याय हैं। इन्हें जोड़िये तो योग नौ ही आता है। महाभारत युद्ध अठारह दिन तक चला। इसका योग भी नौ ही होता है।नौ का अंक चमत्कार का अंक माना जाता है।
नौ के अंक का क्या है महत्व
तुलसीदास ने अपनी राम शलाका का जो निर्माण किया है, उसमें हर नौ नौ अक्षरों बाद चौपाई बनती है। फलादेश प्राप्त होता है। किसी भी आदमी की जन्म कुंडली में नवमांश चक्र भी कम महत्वपूर्ण नहीं होता। इसके बिना कुंडली का फलादेश करना किसी भी ज्योतिषी के लिए मुश्किल होता है। हम नौ देवियों-शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूंष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। राम का जन्म नवमी को हुआ है। हमारे यहाँ चैत्र और अश्विन मास में दो बार नवरात्रि आता है।
हमारे यहाँ नौ निधियाँ है। इनमें पद्म, महापद्म,शंख, मकर, कच्छप,मुकुंद, नंद,, नील और खर्ब शामिल हैं। नौ रस हैं- श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भय, वीभत्स,अद्भूति और शांत। हमारे यहाँ नौ गुण-सरल, तपस्वी, संतोषी, क्षमावान, इंद्रियों का निग्रह करने वाला, दान करने वाला, पराक्रमी, दयालु, अभय रहने वाला है। नवधा भक्ति का भी ज़िक्र है। इसमें श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन,वंदन, दास्य, सख्य, आत्मनिवेदन आते हैं।
नव भक्त हैं-परीक्षित,सुखदेव,प्रह्लाद,लक्ष्मी, पृथु,अक्रूर, हनुमान, अर्जुन और बलि। विष्णु के नौ अवतार-मत्स्य, क़ुरान, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण , गौतमबुद्ध हैं। नौ ज्योतियाँ है- महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विध्यवासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका, अंजी देवी। नौ नाथ हैं-आदिनाथ, आनंदिनाथ,कराला नाथ, विकराला नाथ, महाकाल नाथ, काल भैरव नाथ, बटुक नाथ, भूतनाथ, वीर नाथ, श्रीकांथ नाथ।
नौ उपहार- सुख, शांति, समृद्धि, संस्कार, सफलता, संयम, सरलता, स्वास्थ्य, संकल्प हैं। नौ पदार्थ- जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, बंध, मोक्ष हैं। नौ द्रव्य- पृथ्वी, जल, तेजस, वायु, आकाश, काल, दिक्, आत्मा, मनस् हैं।नौ वनस्पतियाँ- आक, ढाक, ख़ैर, चिड़चिड़ा, पीपल, गूलर, शमी, दूब और कुश हैं।