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पर्यटन पर्व: विदेशों से आने वाले सैलानियों के साथ ही घरेलू पर्यटकों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी
अनिल दुबे
पर्यटन आज एक बड़े उद्योग का दर्जा पा चुका है। बीते हजारों वर्षों में दुनिया को जोड़ने, खोजने, समझने और साहित्य, कला संस्कृति के साथ विज्ञान को भी एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम यात्रियों व पर्यटकों ने ही किया है। कम से कम भारत जैसे विविधताओं और विभिन्नता वाले देश में पर्यटन ही एक ऐसा मजबूत माध्यम रहा है, जिससे विभिन्न संस्कृतियां एक-दूसरे के नजदीक आईं।
विदेशों से आने वाले सैलानियों के साथ ही अब घरेलू पर्यटकों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से 5 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक पर्यटन पर्व मना रही है। इसके तहत देखो अपना देश, सभी के लिए पर्यटन और पर्यटन एवं शासन व्यवस्था जैसे लक्ष्यों को लेकर एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है, जिसमें सभी राज्यों में भव्य व विस्तृत कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
देश में आम लोगों के लिए घुमक्कड़ी कोई शौक नहीं था, लेकिन आज घरेलू पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। देश में राहुल सांकृत्यायन भारत के बड़े यायावर अथवा यात्री थे, जिन्होंने पूरा जीवन दर्जनों देशों की यात्रा करने में बिताया। यहां एक बात स्पष्ट समझ लेनी चाहिए कि पर्यटक और यात्री में फर्क होता है। पर्यटक उन्हीं चीजों को देखने जाता है, जिसके बारे में वह पहले से जानता है, लेकिन यात्री नये स्थलों को खोजता है और नई जानकारियां जुटाता है।
अगर मार्को पोलो व वास्कोडिगामा जैसे यात्री न होते तो दुनिया के तमाम देशों को दूसरे अज्ञात देशों की जानकारी न हो पाती। इसी तरह चीनी यात्रियों फाह्यान व ह्वेनसांग आदि की वजह से बौद्ध धर्म व प्राचीन भारतीय संस्कृति का संपर्क चीन के साथ हो सका। देश में उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ने और पश्चिम को पूर्वी भारत से जोड़ने का काम आजादी के बाद पर्यटन उद्योग ने ही किया। इन्हीं सब उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से देश में घूमने और उसकी विविधता को समझने का आह्वान किया था। इसे ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन मंत्रालय ने देश भर में 20 दिवसीय पर्यटन पर्व मनाने का अभियान शुरू किया है।
केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा और केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के.जे.अल्फोंस ने दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे से पर्यटन पर्व का उद्घाटन किया तो सभी राज्यों में 5 अक्टूबर से ही उन राज्यों के प्रमुख पर्यटक व ऐतिहासिक स्थलों पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अभियान की शुरुआत हुई। केंद्र सरकार के 18 मंत्रालय भी इस पर्व में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं।
इस पर्व की खूबी यह भी है कि यह सिर्फ लोगों को घूमने-फिरने के बारे में जानकारी देने अथवा उन्हें प्रोत्साहित करने मात्र के लिए नहीं है बल्कि इसका मकसद देश में तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन उद्योग में रोजगार के असीम अवसरों को पहचानना और युवाओं को इस रोजगार के प्रति आकर्षित कराना भी है। पर्व के दौरान रेलवे, सडक़ परिवहन व शहरी विकास जैसे कई मंत्रालय पर्यटन स्थलों व उसके आसपास के इलाकों में साफ सफाई को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। वहीं पर्यटन मंत्रालय ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटक स्थलों की साफ-सफाई का अभियान चलाने के साथ ही स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम भी चला रहा है।
दुनिया में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि 2016 में लगभग 123 करोड़ पर्यटकों ने विश्व भ्रमण किया। विश्व जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान 10.2 प्रतिशत है। वहीं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का 9.6 प्रतिशत का योगदान है। देश में उपलब्ध रोजगार में से 9.3 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र से मिल रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए सैलानियों को 16 हवाई अड्डों पर ई-पर्यटक वीजा उपलब्ध कराने का काम पहले ही शुरू कर दिया गया था। इससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस वर्ष जनवरी से मार्च के सिर्फ 3 माह में 4.67 लाख विदेशी यात्री ई-वीजा के माध्यम से देश में आए।
पर्यटन पर्व के तीन प्रमुख बिंदु हैं, जिसमें देखो अपना देश, सभी के लिए पर्यटन और पर्यटन एवं शासन व्यवस्था पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर विभिन्न पर्यटन स्थलों के वीडियो, फोटोग्राफी और ब्लॉग लेखन की प्रतियोगिताएं की जा रही हैं।
सोशल मीडिया पर पर्यटकों की दृष्टि से भारत की गाथाओं का वर्णन किया जा रहा है। पर्यटन संबंधी प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, वाद-विवाद और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन हो रहा है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटकों को लुभाने के लिए टेलीविजन द्वारा अभियान शुरू किया गया है। कार्यक्रम स्थलों पर पर्यटन प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें संस्कृति, खान-पान और हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन हो रहा है। साथ ही पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न हितधारकों व पक्षकारों के लिए भी कार्यशाला लगाई गई है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं