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अंतत: बिभुक्षित: किम् न करोति पापम्..............................

raghvendra
Published on: 2 Feb 2018 8:26 AM GMT
अंतत: बिभुक्षित: किम् न करोति पापम्..............................
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आलोक अवस्थी

बेरोजगारों के लिए उत्तराखंड से एक अच्छी खबर है कि इस साल ढेर सारी नौकरियां निकलने वाली हैं। ईश्वर करे अब उत्तराखंड मेंं कोई भी नौजवान बेरोजगारी के चलते पलायन का दंश न झेले। त्रिवेन्द्र जी इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं .. बस एक आग्रह और है यदि मान लें तो बहुत आशीर्वाद मिलेगा, मोदी जी की कृपा से कई बड़े नेता इन दिनों हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.., अपने भी और पराए भी..। थोड़ी सी उदारता यदि त्रिवेंद्र जी दिखाएं तो उनकी बियावान जिंदगी में कुछ रौनक आ जाएगी।

उत्तराखण्ड का मौसम लाजवाब है सबसे ज्यादा ऑक्सीजन है यहां पर। बहुत तरह से बहुत सेवा की है इन नेताओं ने, थोड़ा सा हक उनका भी बनता है भाई जी। राजनीति के इस नए दौर में ये बेचारे दर्शक बने-बने ऊब रहे हैं। कहीं तो कोई मार्ग दिखाई दे। प्लीज कुछ तो सोचिए त्रिवेंद्र जी जो हाल है कभी भी किसी को भी देखने पड़ सकते हैं। दाजू समय सबका एक जैसा नहीं रहता। क्या पता आपके द्वारा खोला गया रोजगार द्वार कल आपके भी काम आए। कुछ नहीं तो सलामी लेने का ही काम सौंप दीजिए। टेक्नोलॉजी का दौर है, एक माइक लगाइए और सामने एक बड़े स्क्रीन में मोदी जी की किसी भी सभा की भीड़ म्यूट कर के चलने दीजिए। देखिए इन सारे नेताओं का खून बढ़ जाएगा। बिना तनख् वाह लिए ये दिन भर बिजी रहेंगे। कई अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। कुछ लोग राजनीति के अध्यापक बन जाएंगे कुछ नए-नए जुमले गढऩे वाले कलाकार। बस प्लीज कुछ सोचिए इन लोगों के बारे में।

ईश्वर की कृपा से से इन लोगों को पैसों की कोई कमी नहीं है.... बस खालीपन इन्हें खाए जा रहा है। एक बार मोदी जी से सलाह लेके देखिए, सैकड़ों आइडिए तो तत्काल दे देंगे इनके बिजी रखने के लिए। वो भी इनके खाली दिमाग की उछल-कूद से परेशान हैं।

मार्गदर्शक मण्डल वाला प्रयोग के परिणाम बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं, क्या पता इसी बहाने देश को एक ‘वैकल्पिक रोजगार’ केन्द्र उपलब्ध हो जाए। अच्छा अवसर है इसका लाभ आपको उठाना चाहिए। आपके भी तो कई सीनियर हैं जो रिटायर होने के लिए नहीं तैयार हैं। यह उनके भविष्य के लिए न सही अपने वर्तमान की सुरक्षा के लिए तो आपको सोचना ही चाहिए। वरना खाली दिमाग क्या-क्या कर सकता है ये बताने की आपको तो कम से कम जरूरत नहीं है। फिर भी डिटेल रिपोर्ट चाहिए तो एक बार डॉ. निशंक से भी सलाह ले लीजिए। वो भी जब आपकी तरह पावरफुल थे तब खाली दिमागों को अंडरस्टीमेट करने की भूल कर चुके हैं और अपना इलाज भी करवा चुके हैं।

इस अवसर को हाथ से मत जाने दीजिए त्रिवेंद्र जी एक बार नयी पीढ़ी आपको माफ कर देेगी लेकिन आपकी पुरानी पीढ़ी क भी भी आपका रोजगार छीन लेने में कोताही नहीं करेगी। बुढ़ापे की तनहाई बहुत खतरनाक होती है। इनको काम में लगाए रखने में ही समझदारी है। इन सबके ऊपर जब माननीय आडवाणी जी जैसा कुलपति रहेगा तो सच एक दूसरे में उलझे रहेंगे। आप भी मन लगा के सरकार चला सकोगे और मोदी जी भी। सबका विकास तभी हो पाएगा जब इनके साथ से बचे रहोगे।

आगे मर्जी आपकी.... आप समझदार हैं। मेरा क्या है सलाह ही दे सकता हूूं। तीस साल से इन महारथियों की घुड़ चढ़ी से लेकर बारात विदाई तक का सीन देख चुका हूं। आप तो पार्टी के वफादार कार्यकर्ता रहे हो सही मायने में आप बेहतर तरीके से इन महानुभावों के व्यवहार-आचरण और तौर-तरीकों से भली भांति वाकिफ हो। बड़े भाग्य से मुखिया की कुर्सी नसीब होती है। आप उदारता दिखाओ। आपका ही भला होगा। वरना खालीपन, खाली दिमाग और बेरोजगारी हाय-हाय..। संस्कृत का एक सूत्र है समझ लीजिए तो अच्छा ही रहेगा। बाकी आपकी मर्जी - बिभुक्षित: किम् न करोति पापम्? -ईश्वर आपकी सहायता करे।

(संपादक उत्तराखंड संस्करण)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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