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Guru Gobind Singh Sons History: शहादत का अनूठा अनुपम अद्वितीय उदाहरण
Guru Gobind Singh sons History: औरंगजेब और महानायक महायोद्धा अन्तिम गुरू गोविंद सिंह के पुत्रों का इतिहास सन् 1704 भारतीय इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पृष्ठों में एक है।
Guru Gobind Singh sons History: औरंगजेब और महानायक महायोद्धा अन्तिम गुरू गोविंद सिंह के पुत्रों का इतिहास सन् 1704 भारतीय इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पृष्ठों में एक है। लेकिन मैं निजि रूप में गुरु साहब के सबसे छोटे पुत्र की वीरता और निष्ठा से अभिभूत हूं। आप सभी जानते हैं कि बड़े दोनों पुत्र रणभूमि में शहीद हुए और छोटे दोनों को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था औरंगजेब ने। देखें कौन ? मातृभूमि पर पहले शीश चढ़ाता है ? शायद ही दुनिया में कहीं का भी वीरों का सम्मान करने वाला कोई व्यक्ति हो; जोगुरुगोविंदसिंह के कर्म, बलिदान, देश भक्ति से अपरिचित हो ।
गुरुनानक की परम्परा में दसवें गुरू और सिख धर्म के स्तम्भ गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्र
- अजीत सिंह
- जुझार सिंह
- जोरावर सिंह
- फतेह सिंह
चमकौर का युद्ध
आधुनिक रूप नगर, जनभाषा में पुराना नाम रोपड़ से १५ किमी के दायरे में चमकौर का युद्ध हुआ था। उस समय मुगल बादशाह की गद्दी औरंगजेब पर बैठा था। इस युद्ध में गुरु साहिब की सेना और मुगल सेना का संख्यात्मक अनुपात एक और एकहजार का था। इसी युद्ध में गुरु गोविंद सिंह साहब के प्रथम दो वीर पुत्र अजीत सिंह औरजुझार सिंह हजारों मुगल सेनाओं को हतप्रभ कर देने वाली बहादुरी से खून की आखिरी बूँद तक युद्ध करते भारत माता की गोद में ससम्मान समाहित हो गए शहीद हो गये।
सिंह शावक, जोरावर सिंह और फतेह सिंह बिना किसी भूमिका या पृष्ठभूमि के चमकौर युद्ध के महीने भर के अन्दर ही जासूसों के सफल कारनामे के तहत किशोर बालक द्वय धोखे से गिरफ्तार कर लिए गए। धर्मपरिवर्तन कर लेने के लिए राज्य और मुगल शाहजदियों के साथ विवाह आदि जितने भी प्रलोभन सम्भव थे, सबको वीर बालकों ने कठोरता से ठुकरा दिया। अन्ततः औरंगजेब बादशाह ने दोनों को जिन्दा दीवार में चुनवाना शुरू किया। ईंटें ऊँची होती जा रही थी, काजी धर्म परिवर्तन के लिये दबाव बढ़ाता जा रहा था। ईटों की दीवार कमर से ऊपर जा चुकी थीं।
ईंटों की दीवार जब बड़े भाई #जोरावर सिंह की छाती सीने तक पहुँची ; तो अचानक जोरावर सिंह के मुँह से ग्रंथ साहिब का पाठ बन्द हो गया, गला भर आया। काजी और मुल्ला के चेहरे पर चमक आ गयी। छोटे भाई फतेह सिंह ने पूछा भाई आप को क्या हो गया ?? मौत से डर ?? असम्भव !! आप तो हम चार भाइयों में भी सबसे अधिक बहादुर और कठोर थे !! "" क्या कहा #जोरावर ने ? मेरे प्राण प्रिय भाई मैं अपने दुर्भाग्य से दुखी हूँ।
बड़े दोनों भाई अजीत सिंह और जुझार भैया मुझसे पहले शहीद हुए तो मुझे कष्ट नहीं हुआ। लेकिन आज फिर मेरा दुर्भाग्य - छोटे तुम मुझसे छोटे होते हुए भी - मुझसे पहले शहीद हो रहे हो। क्योंकि बड़े और लम्बे होने के कारण यह दीवार मेरे गले तक जब पहुंचेगी उसके पहले ही कम लम्बाई के कारण तुम्हारी शहादत मुझसे पहले हो जाएगी और मैं अपने इसी दुर्भाग्य से दुखी हूँ। धन्य थे ऐसे वीर, धन्य थे उनके पालक, जिन्होंने प्रतिद्वंद्विता भी रखा जीवन में तो बस एक " देखें कौन? मातृभूमि पर पहले शीश चढ़ाता है।" ऐसे महानायकों का क्षण मात्र का स्मरण ही प्राणी मात्र के जीवन को धन्यता प्रदान कर देता है। सरहिन्द में दीवार में चुने गए थे। इस शहादत ने सरहिन्द को पवित्र तीर्थ बना दिया।