×

संसद में वितंडा क्यों ?

नागरिकता संशोधन बिल-2019 में हिन्दू शरणार्थी की भांति संत्रस्त शियाओं को भी भारतीय नागरिकता देने की माँग आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने उठाई है|

Roshni Khan
Published on: 10 Dec 2019 5:12 PM IST
संसद में वितंडा क्यों ?
X

के. विक्रम राव

नागरिकता संशोधन बिल-2019 में हिन्दू शरणार्थी की भांति संत्रस्त शियाओं को भी भारतीय नागरिकता देने की माँग आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने उठाई है| लखनऊ में कल (रविवार 8 दिसंबर 2019) संपन्न हुए अपने राष्ट्रीय उलेमा सम्मेलन में माँग की कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आदि इस्लामी गणराज्यों में मजहबी कट्टरता के शिकार हुए अकीदतमंदों को उदारता से भारत में पनाह दी जाये| इनमें हैं सिख, जैन, पारसी, बौद्ध , इसाई आदि| शरणागत की आदर्श परिपाटी भारत में युगों पुरानी है| रणथम्भौर के हमीरदेव तो सभी को याद हैं| खिलजी से भिड़े पर मंगोल शरणार्थी को संरक्षण दिया| चीनी तानाशाही के शिकार दलाई लामा का भी उदाहरण गत सदी का है|

ये भी देखें:नागरिकता संशोधन बिल: जानिए क्या है राज्यसभा का समीकरण

लोकसभा में शिवसेना ने भाजपा के बिल के पक्ष में वोट दिया

गौरतलब है कि आज लोकसभा में शिवसेना ने भाजपा के बिल के पक्ष में वोट दिया| मुंबई में उसके सरकारी साथीजन (कांग्रेस और पवार कांग्रेस) ने बिल का विरोध किया| अचरज तो तब हुआ कि भारत को धर्म के नाम पर विभाजित करनेवाले जवाहरलाल नेहरू की पार्टी वाले अब इस्लामी उग्रता से त्रस्त हिन्दू शरणार्थियों को राहत देने का विरोध कर रहे हैं| वे नजरंदाज करते हैं कि गैरमुस्लिम जन पाकिस्तान छोड़कर अन्यत्र कहाँ त्राणस्थल पायेंगे? सिवाय भारत के?

दिल्ली विधान सभा की घटना याद कर लें| तब जनता दल के विधायक मोहम्मद शोएब ने विधान सभा में ऐलानिया तौर पर कहा था, “हम मुसलमान तो किसी भी इस्लामी मुल्क (कुल 51 हैं) में बस जायेंगे| तुम हिंदू लोग भारत से निकाले गये तो नेपाल के आलावा कहाँ ठौर पाओगे ?” मगर अब तो परिस्थितियाँ इतनी दुरूह हो गई हैं कि नेपाल भी कम्युनिस्ट प्रभावित भारत-विरोधी राष्ट्र हो गया है|

ईशनिंदा वाले नृशंस कानून के तहत पाकिस्तान में इसाई जन की सरे आम लिंचिंग होती है

आये दिन खबर आती रहती है कि ईशनिंदा वाले नृशंस कानून के तहत पाकिस्तान में इसाई जन की सरे आम लिंचिंग होती है| नमाज अता करते हुए शियाओं की मस्जिद पर बम फोड़ा जाता है| हिन्दुओं की युवतियों का अपहरण और बलात मतान्तरण कराया जाता है | ऐसी विपत्तियों का इस्लामी गणराज्य में सामना कैसे हो ? उधर पूर्वोत्तर में आशंका बलवती हुई है कि बंगलादेशी हिन्दू आ गये तो आर्थिक तंगी बढ़ सकती है| तो इसका समाधान सरकार खोजे| यूं 1971 में इंदिरा गाँधी ने जनरल टिक्का खां के सताये सारे पूर्वी पाकिस्तानियों (बांग्लादेशियों) को भारतीय नागरिकता प्रदान कर दी थी| आबादी का बोझ बढ़ा दिया था|

तो प्रश्न उठता है कि गम्भीर स्थिति उपजने पर शेष सताये गये गैरमुस्लिम लोगों को राहत क्यों न मिले?

पहलू यहाँ मानवीय है| ये गंगाजमुनी जन गत वर्षों में बर्मा से विस्थापित हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसाने के लिए हिंसक हो उठे थे| लखनऊ में मुसलमानों का हुजूम भाला, बर्छी, बल्लम, छूरी आदि से लैस हजरतगंज तक आ गया था| मगर उन्हें (बांग्लादेश से आये) हिन्दू शरणार्थियों के लिए तनिक भी हमदर्दी कभी थी ही नहीं!

ये भी देखें:विवाद में हुई मारपीट के दौरान 17 वर्षीय लड़की पर मनबढों ने फेका तेजाब

इतिहास साक्षी है कि मजहब को सियासत में घालमेल कर मोहम्मद अली जिन्नाह ने भारत तोड़ा| अब जिन्ना कि स्टाइल में शेष भारत फिर न टूटे-कटे| यूं ही चंद खुदगर्ज मुसलमानों के कारण देश बंटा| फिर लम्हों की गलती नहीं होने पाये| ताकि सदियों को सजा न मिले| तो इतना वितंडा क्यों ? सामान्य ज्ञान की बात है| क्या कोई मुसलमान दारुल इस्लाम छोड़कर दारुल हर्ब (शत्रु राष्ट्र) में बसना चाहेगा? कानूनन अंतर करना पड़ेगा घुसपैठियों और शरणार्थी में| नागरिकों में और वोट बैंक में|

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story