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UP Election 2022: हाथी ​करिश्मा करेगा

K Vikram Rao: क्रेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया को सचेत किया है कि बहुजन समाज पार्टी को कम न आंके। उनके अनुमान में बसपा की उपस्थिति कई क्षेत्रों में असरदार है। जवाब में बहन कुमारी मायावती ने कहा कि शाह ने यह सहृदयता है।

K Vikram Rao
Written By K Vikram RaoPublished By Deepak Kumar
Published on: 25 Feb 2022 5:55 PM IST
UP Election 2022
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UP Election 2022: हाथी ​करिश्मा करेगा

K Vikram Rao: यूपी चुनाव (UP Election 2022) में वैविध्य दिखता है। वैमनस्य नहीं। बानगी पेश है। भाजपाई पुरोधा अमित शाह (Amit Shah) ने मीडिया को सचेत किया है कि बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) को कम न आंके। उनके अनुमान में बसपा की उपस्थिति कई क्षेत्रों में असरदार है। जवाब में बहन कुमारी मायावती (Mayawati) ने कहा कि शाह (Amit Shah) ने यह सहृदयता है। उन्होंने यथार्थ व्यक्त किया है। मायावती (Mayawati) का शिकवा है कि अखिलेश (Akhilesh Yadav) को ''मुगालता है वे ही विपक्ष हैं।'' सबूत में बसपा (BSP) ने बताया कि 403 सीटों पर 88 सीटों पर उनके मुसलमान प्रत्याशी हैं। जबकि सपा के केवल 61 (27 कम)। इसके पूर्व (2017 में) बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार 100 थे। हालांकि मायावती जानती थी कि मुस्लिम वोटर का मान्य सूत्र वोटिंग में रहा है कि पहले भाई (सहधर्मी), फिर सपाई, और आखिर में जे मोदिया के हरायी। इसी के मददेनजर बसपा ने एक और निश्चित कदम उठाया है। विशेषकर छह सीटों (बख्शी का तालाब, गेनसारी, कुण्डा, छिबरामऊ, अलीगढ़ तथा शेखपुरा) पर मायावती ने मुस्लिमों को नामित किया है। यहां सपा के प्रतिस्पर्धियों को वे हानि पहुंचा सकते हैं।

दलित वोटरों ने सपा बाहुबलियों के दिये छक्के छुड़ा

एक गौरतलब बिन्दु यही है कि विगत तीनों आम चुनावों में बसपा (BSP) के वोटर कुल उन्नीस - बीस प्रतिशत पर स्थिर रहे। वे सब स्वत: हस्तांतरणीय भी हैं। अर्थात जहां हाथी, वहां ये सब उसके साथी। मायावती का इन सबको आह्वान है जहां हाथी न हो, वहां किसी अन्य को दो, पर साइकिल को नहीं। यूं याद रहे कि पिछली बार हाथी और साइकिल एक दूसरे की सवारी पर थे। यहां तक कि मैनपुरी लोकसभा (Mainpuri Lok Sabha) मतदान में मायावती ने अपने चिरशत्रु मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के लिये मंच से वोट मांगा था और सपा प्रमुख के विरुद्ध दायर ''गेस्ट हाउस'' काण्ड वाला अपना मुकदमा भी वापस ले लिया था। इस बहुचर्चित प्रकरण में मीराबाई मार्ग पर स्थित राज्य सरकार के अतिथिगृह में सपाईयों ने बसपा प्रमुख का सलवार—कुर्ता हरण करने का बलात् प्रयास किया था। हजरतगंज पुलिस के थानेदार अत्तर सिंह यादव की उपस्थिति रही। गनीमत थी कि भाजपाई कार्यकर्ताओं ने मायावती के स्त्रीत्व की रक्षा की और उनकी सुरक्षा में रहे। मोतीलाल वोरा ने राजभवन में उनकी पहरेदारी की और दूसरे दिन ही मुख्यमंत्री की शपथ दिला दीं, मुलायम सिंह यादव को हटा कर। नतीजन अगले चुनाव में बसपा का जोरदार नारा था : ''चढ़ गुण्डन की छाती पर, बटन दबावों हाथी पर।'' दलित वोटरों ने सपा बाहुबलियों के छक्के छुड़ा दिये। मायावती सफल रहीं।

हिन्दू सम्राट सुहेलदेव के नाम से ओमप्रकाश राजभर ने बनाई नई पार्टी

यूपी विधानसभा (UP Assembly) के द्वारा चुनावी अभियान के संदर्भ में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों (मायावती और अखिलेश यादव) के ही सिलसिले में एक मसला वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने भी उठाया है। यह विचारणीय है। उन्होंने पूछा कि : ''हिन्दू सम्राट सुहेलदेव के नाम से ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) ने नयी पार्टी बनायी और मुस्लिम समर्थक सपा से गठजोड़ किया। यह निखालिस विरोधाभास है। विडंबना भी।'' हजार वर्ष पूर्व महमूद गजनवी (Mahmud Ghaznavi), जिसने सोमनाथ, मथुरा आदि लूटा था, और हजारों हिन्दुओं की हत्या की थी अथवा कलमा पढ़वाया था, उसी के सिपाहसालार और बहनोई सैय्यद साह ने श्रावस्ती नरेश महाराजा सुहेलदेव पर बहराइच में हमला किया। आगे सैयद सालार मसूद से मुकाबला हुआ। वह महमूद गजनवी (Mahmud Ghaznavi) का भतीजा था। सैयद सालार मसूद (Syed Salar Masood) को राजा सुहेलदेव ने हराया और जहन्नुम में भेजा था। इनका इतिहास बड़ा रुचिकर है। जान लीजिये।

श्रावस्ती नरेश राजा प्रसेनजित ने की बहराइच राज्य की स्थापना

ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार श्रावस्ती नरेश राजा प्रसेनजित ने बहराइच राज्य की स्थापना की थी, जिसका शुद्ध नाम भरवाइच है। इसी कारण इन्हें बहराइच नरेश के नाम से भी सम्बोधित किया जाता था। इन्हीं महाराजा प्रसेनजित को माघ मास की वसन्त पंचमी के दिन 990 ई को एक पुत्र की प्राप्ति हुयी, जिसका नाम सुहेलदेव रखा गया। अवध गजेटियर के अनुसार इनका शासन काल 1027 से 1077 ई. स्वीकार किया गया है। ये नगरवंशी भारशिव क्षत्रिय थे, जिन्हें आज राजभर कहा जाता है। महाराजा सुहेलदेव (Maharaja Suheldev) का साम्राज्य पूर्व में गोरखपुर तथा पश्चिम में सीतापुर तक फैला हुआ था। गोण्डा, बहराइच, लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव व लखीमपुर इस राज्य की सीमा के अन्तर्गत समा​हित थे। इन सभी जिलों में राजा सुहेलदेव के सहयोगी राजभर राजा राज्य करते थे।

इस्लामी सेना को समाप्त करने के बाद महाराजा सुहेलदेव ने मनाया विजय पर्व

सैयद सालार मसूद (Syed Salar Masood) को उसकी लगभग डेढ़ लाख इस्लामी सेना के साथ समाप्त करने के बाद महाराजा सुहेलदेव ने विजय पर्व मनाया और इस महान विजय के उपलक्ष्य में कई सरोवर भी खुदवाये। वे एक विशाल स्तम्भ का भी निर्माण कराना चाहते थे, लेकिन वे इसे पूरा न कर सके। सम्भवत: यह वहीं स्थान है, जिसे एक टीले के रुप में श्रावस्ती से कुछ दूरी पर इकोना - बलरामपुर राजमार्ग पर देखा जा सकता है। मगर क्या परिहास है कि महमूद के भतीजे की लाश को गाड़कर वहां एक मजार बना दी गयी। यहां हिन्दू भी जाते हैं। जबकि इस्लाम में मजार में आस्था पर पाबंदी है। इस ऐतिहासिक परिवेश में योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की बात में वजन लगता है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सुहेलदेव का इतिहास पढ़ना चाहिये था, गठबंधन के पूर्व। इतिहास को वोट के खातिर झुठलाना नहीं चाहिये।

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Deepak Kumar

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