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UP : 2019 के लोकसभा चुनाव में दिखेगा आस्था केंद्रित संघर्ष!

Manali Rastogi
Published on: 1 Oct 2018 1:00 PM IST
UP : 2019 के लोकसभा चुनाव में दिखेगा आस्था केंद्रित संघर्ष!
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लखनऊ: अगर आपको लगता है कि फिर आम जनता से जुड़े मुद्दों पर ही आगामी लोकसभा चुनाव-2019 लड़ा जाएगा तो आप एक बार और सोचिए! क्योंकि देश की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 2019 के आम चुनाव में हिंदू देवी-देवताओं प्रति आस्था संघर्ष के केंद्र में होगी। जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चुनाव में अपनी दूसरी पारी में सत्ता पर काबिज रखने के लिए जोर लगाएंगे।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर भगवान राम की शरण में होंगे, तो कांग्रेस शिव से नैया पार लगाने वरदान मागेंगे। वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) भगवान विष्णु के शरणागत होगी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी इनसे अलग नहीं है। उसे भी दलित की पार्टी की घिसी-पिटी छवि के इतर हिंदू देवी-देवताओं के वरदान की दरकार होगी।

इस प्रकार, 2019 के चुनाव के लिए न सिर्फ भगवा पार्टी के शिविर में भगवान राम के रथ पर सवार होने की तैयारी होगी, बल्कि तमाम राजनीतिक दल अपने-अपने देवों की शक्तियों के गुणगान के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे और मुस्लिम समर्थक की छवि से किनारा करेंगे।

भाजपा ने एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का राग अलापना शुरू कर दिया है और पार्टी इसके सहारे दोबारा जीत हासिल करना चाहती है। भाजपा को भरोसा है कि भगवान राम ही इस बार बेड़ा पार करेंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे संगठन 90 के दशक की तरह फिर से हिंदू भावना की लहर पैदा करने के लिए जमीन तैयार करने के कार्य में जुटे हुए हैं। उस समय राम मंदिर का मुद्दा चरम पर था और भाजपा को इसका राजनीतिक व चुनावी फायदा मिला।

कांग्रेस को मुस्लिम की पार्टी के रूप में प्रदर्शित करने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, इसलिए वह अपनी इस छवि से किनारा करने की जद्दोजहद कर रही है। इसलिए होर्डिग में इसके कद्दावर नेताओं के नाम के साथ ठाकुर, पंडित, हिंदू हृदय सम्राट आदि शब्द देखे जा रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाल के दिनों में मंदिरों के दर्शन करने के बाद से उनको पार्टी के लोग शिवभक्त बता रहे हैं। राहुल पिछले दिनों कैलाश मानसरोवर की यात्रा से लौटे हैं। राहुल गांधी हाल ही में जब अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दौरे पर गए थे तो वहां लगे सैकड़ों पोस्टर में उनको शिवभक्त बताया गया था।

दिलचस्प बात यह है कि सपा भी अबकी बार स्पष्ट तौर पर मुस्लिम समुदाय से दूरी बनाने की कोशिश में दिख रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "हमें गलत तरीके से मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने वाली पार्टी बताया जा रहा है। इस बार हम सचेत हैं और भाजपा द्वारा चतुराई से फैलाई जा रही अफवाहों का करारा जवाब देंगे।"

सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने गांव सफई में विष्णु का मंदिर बनाने की घोषणा की है। वहीं, बसपा ने अपने नारों में भगवान के नाम जोड़ा है, जैसे- 'हाथी नहीं, गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है। इसे बसपा द्वारा दलित पार्टी की छवि से निकलकर सर्वसमाज के लिए काम करने वाली पार्टी की छवि गढ़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

--आईएएनएस

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