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यूपी की आईएएस नौकरशाही:  योगी जी तलाश रहे, कहाँ है x- फैक्टर? 

raghvendra
Published on: 5 Jan 2018 8:02 AM GMT
यूपी की आईएएस नौकरशाही:  योगी जी तलाश रहे, कहाँ है x- फैक्टर? 
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संजय भटनागर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ ही दिन पूर्व आईएएस वीक के दौरान अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये थे। मौके की नजाकत का पूरा ध्यान रखते हुए उन्होंने यह तो नहीं कहा था कि वह अधिकारियों के काम करने के ढंग से असंतुष्ट हैं लेकिन एक मुख्यमंत्री का ऐसी बैठक में सवाल ही उठा देना कम गंभीर टिप्पणी नहीं थी। इसकी तह में जाने से यह बात स्पष्ट होकर उभरती है कि प्रदेश की वरिष्ठ नौकरशाही अपेक्षित तौर तरीकों से इतर ‘यथास्थिति’ में विश्वास करती है और सरकार के विजन के अनुसार कार्य नहीं कर रही है।

बहुत पुरानी बात नहीं है जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईएएस को ‘आई एम सॉरी’ सॢवस बताया था और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने तो एक कदम आगे जाते हुए कह दिया था कि नौकरशाह उसके बेटे अखिलेश को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। केंद्र में समय-समय पर प्रधानमंत्री मोदी की ब्यूरोक्रेसी पर टिप्पणियां भी देश की सबसे बड़ी आईएएस सेवाओं पर उँगली उठाती ही नजर आती हैं। केंद्र सरकार की इन अधिकारियों की 360 डिग्री प्रोफाइलिंग कैडर को भले ही नारा$ज कर रही हो लेकिन इसके परिणाम चौकाने वाले हैं जब बैच के बैच केंद्र सरकार में सचिव की नियुक्ति के लिए अयोग्य पाए गए हैं।

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हाल ही में वर्षांत पर देश में अनुकरणीय कार्य करने वाले आईएएस अफसरों की जो सूची सोशल मीडिया पर कौतूहल का विषय रही उसमे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की और संभवत: देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरशाही से कोई नाम नहीं है। जाहिर है, योगी की मायूसी बेवजह नहीं है और अक्सर अलग तरीकों से प्रकट होती है। अंदरखाने की बात इतनी सी है कि फाइलों के निस्तारण में हीला- हवाली मुख्यमंत्री को रास नहीं आ रही है और इसी के कारण उन्होंने आईएएस के परफॉरमेंस को जज करने की बात कह डाली।

सच तो यह है कि लगभग नौ महीने पहले योगी सरकार के गठन से अब तक सरकार की कार्यप्रणाली में ‘एक्स फैक्टर’ का अभाव देखा गया है। अब अधिकारियों से बात करें तो वे कहते हैं कि राजनीतिक स्तर पर नीति की स्पष्टता नहीं है लेकिन जनता को ‘डिलीवरी’ चाहिए, उसे इन सब सूक्ष्मताओं से कोई सरकार नहीं है।

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उत्तर प्रदेश अगले महीने अपने सबसे महत्वाकांक्षी ‘इन्वेस्टर समिट’ की तैयारी में है और जानकारों का मत है की इसमें भी एक दो अधिकारियों को छोड़ कर बाकी also ran की श्रेणी में ही हैं। यह समय है जबकि प्रदेश की आईएएस नौकरशाही को अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए सामूहिक रूप से प्रदेश में निवेश का अभूतपूर्व माहौल बनाना चाहिए लेकिन ‘यथास्थिति‘ की आदत पाल चुके मौजूदा अधिकारियों से ज्यादा उम्मीद रखना बेकार है।

अब यह भी सही है कि उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में चौंका देने की भी क्षमता है जिसे प्रदर्शित करने का सबसे उचित समय यही है।

(लेखक न्यूजट्रैक/अपना भारत के कार्यकारी संपादक हैं)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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