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उत्तराखंड दौराः भाजपा की आंख की किरकिरी बन गए केजरीवाल
आम आदमी पार्टी का बढ़ता कद भाजपा के लिए अब सिरदर्द बनने लगा है। ये सब महज कुछ सालों में हुआ है।
आम आदमी पार्टी का बढ़ता कद भाजपा के लिए अब सिरदर्द बनने लगा है। ये सब महज कुछ सालों में हुआ है। दरअसल, आज अरविंद केजरीवाल अपनी नीतियों से दिल्ली की राजनीति में अपनी स्थिति अजेय योद्धा की तो कर ही चुके हैं साथ ही अब उनकी निगाह पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पर भी गड़ चुकी है। संक्षेप में कहंन तो एक दशक की संक्षिप्त अवधि में अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजनीति में वह जगह बना ली है जो देश पर एकछत्र राज का स्वप्न देखने वाली भाजपा की आँख की किरकिरी बन गए हैं।
2013 में चुनावी मैदाम में उतरी थी आम आदमी पार्टी
मोटेतौर पर देखा जाए तो अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ा एक सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल अन्ना के जन लोकपाल आंदोलन से निकलकर इसलिए अलग होता है क्योंकि वह अन्ना हजारे की इस बात से सहमत नहीं होता कि आंदोलन को राजनीति से अलग रखा जाए। वह आंदोलन से जुड़े अपने समान विचारधारा के साथियों के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी का गठन करता है। यह पार्टी पहली बार दिसम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरती है और चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाती है।
2020 में फिर सत्ता में आई आप
28 दिसम्बर 2013 को अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 7वें मुख्य मन्त्री पद की शपथ लेते हैं लेकिन 49 दिनों के बाद 14 फरवरी 2014 को विधान सभा द्वारा जन लोकपाल विधेयक प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने पर उनकी सरकार त्यागपत्र दे देती है। लेकिन एक साल बाद ही अरविंद केजरीवाल बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करते हैं और उनकी सरकार पूरे पांच साल चलती है। इसके बाद 16 फरवरी 2020 से वह पुनः सत्ता में हैं। इससे एक बात साबित हुई कि लोग ईमानदारी पसंद करते हैं और अरविंद केजरीवाल का राजनीति के मैदान में उतरने का फैसला सही था।हजारे के नेतृत्व में चलाये गये जन लोकपाल आन्दोलन के प्रति भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदर्शित उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण जिस राजनीतिक विकल्प की तलाश थी वह केजरीवाल के नेतृत्व में पूरी होती देखी। इण्डिया अगेंस्ट करप्शन द्वारा सामाजिक जुड़ाव सेवाओं पर किये गये सर्वे में राजनीति में शामिल होने के विचार को व्यापक समर्थन मिला।
भ्रटाचार पर लगाई लगाम
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही अपने सबसे बड़े वादों को निभाते हुए भ्रष्टाचार पर पर लगाम लगाई। दिल्ली में सभी विभागों से भ्रष्टाचार लगभग 80 फीसदी तक कम किया। 50 भ्रष्ट अधिकारी जेल भेजे। बिजली के दाम 50 फीसदी घटाए गए, जबकि पानी 20,000 लीटर तक मुफ्त किया गया। प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट कोटा खत्म किया। सभी सरकारी अस्पतालों में सभी दवाई मुफ्त देने की व्यवस्था की। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मुंह की खाने के बाद केजरीवाल ने रणनीति बदली और निकाय चनाव के जरिये राज्यों में सेंध लगाई। जिसमें गुजरात, उत्तर प्रदेश में उसे ठीकठाक सफलता मिली।
अब उत्तराखंड है निशाने पर
आम आदमी पार्टी अब राज्यों के विधानसभाओं में घुसपैठ की तैयारी कर रही है। जिसमें उत्तराखंड भी उसके निशाने पर है। केजरीवाल का फैलाव भाजपा के माथे पर शिकन डाल रहा है। जिसके चलते भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दुष्यंत गौतम ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उत्तराखंड में मुफ्त बिजली की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और आप नेता पर उत्तराखंड को आगे बढ़ते हुए नहीं देखने का आरोप लगाया है। इससे पहले रविवार को दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने देहरादून का दौरा किया और आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली देने की 'गारंटी' दी।दिल्ली में मुफ्त पानी देने के आप सुप्रीमो के वादों पर सवाल उठाते हुए गौतम ने कहा, 'केजरीवाल ने मुफ्त पानी की बात की थी, आज दिल्ली में पीने के लिए पानी नहीं है जबकि घर-घर जाकर शराब दी जा रही है। यमुना गंदी पड़ी है। उन्होंने वादा किया था, पांच साल में नदी को ठीक करने के लिए लेकिन कुछ नहीं किया गया है।"
2022 की शुरुआत में उत्तराखंड में होंगे चुनाव
दिल्ली के सीएम रविवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे और अगले चुनाव में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर लोगों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया। उन्होंने तीन अन्य गारंटी की भी घोषणा की। पहली गारंटी है 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली जबकि दूसरा वादा है कि पुराने बिजली बिल माफ किए जाएंगे। तीसरी गारंटी राज्य में बिजली कटौती नहीं है, जबकि चौथी गारंटी किसानों के लिए मुफ्त बिजली की है। केजरीवाल ने कहा, "यह चुनावी जुमला नहीं है।" उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 की शुरुआत में होंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा है कि भाजपा के पास केवल एक एजेंडा है केवल विकास का। जबकि केजरीवाल के पास ऐसा कोई एजेंडा नहीं है।