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Vaastu Shaastra: नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

Vaastu Shaastra: देश को मिली नई संसद भवन की इमारत का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है।

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 21 Oct 2023 6:11 PM IST (Updated on: 21 Oct 2023 6:16 PM IST)
Vastu Shastra is spreading from New Parliament to IIT
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नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र: Photo- Social Media

Vaastu Shaastra: देश को मिली नई संसद भवन की इमारत का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है। आईआईटी, खड़कपुर में वास्तु शास्त्र को पढ़ाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार बनने वाली इमारतें किसी अप्रिय प्राकृतिक घटना से बचाती हैं। नई संसद या नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नए सिरे से बनने वाली तमाम इमारतों में वास्तु शास्त्र के मूल बिन्दुओं का पालन करते हुए निर्माण कार्यों का होना सुखद है।

वास्तुशास्त्र

यह सर्वविदित है कि वास्तु शास्त्र एक अति प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तुशास्त्र के अंर्तगत चार मूल दिशाओं और दस कोणों का ध्यान किया जाता है। वास्तु शास्त्र हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। राजधानी के तुगलक क्रिसेंट रोड में विकसित भारत-आशियान मैत्री पार्क को भी वास्तुशास्त्रों के नियमों के अनुसार नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने तैयार किया था। एनडीएमसी ने भारत में आयोजित आसियन शिखर सम्मेलन से पहले इस उद्यान को आसियान देशों के प्रति भारत के प्रति निष्ठा को व्यक्त करने के लिए बनाया था। अगर आप कभी भारत-आसियान मैत्री पार्क में घूमने के लिए जाएँ तो वहां पर आपको अलग तरह का अहसास होगा। जब राजधानी में सूरज देवता आग उगलते हैं, तब भी वहां मीठी बयार बहने लगती हैं। इसका उदघाटन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सन 2018 में किया था। तब राजधानी में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। जब भारत-आसियान मैत्री पार्क का श्रीगणेश हुआ था तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट में लिखा था, ‘फलती फूलती दोस्ती।

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इस पार्क के उद्घाटन के अवसर पर आसियान के महासचिव ली लुंग मिन्ह भी मौजूद थे।’आसियान को दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन भी कहा जाता है। इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है। आसियान की स्थापना 1967 में हुई थी। इसके सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, ब्रूनेई, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और म्यांमार। एनडीएमसी राजधानी के अपने क्षेत्र में आने वाले उद्यानों को वास्तुशास्त्र के अनुसार ही पुर्नविकसित कर रही है।

प्रख्यात वास्तु विशेषज्ञ डॉ. जे.पी. शर्मा लंबे समय से सरकारी और गैर-सरकारी भवनों का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार करने की सलाह देते रहे हैं। डॉ. शर्मा मानते हैं कि “देश की नई संसद का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है। ये देश की उन्नति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। देश में चौतऱफा विकास होगा, संसद के अंदर सार्थक बहसें और लोक कल्याणकारी कानून बनेंगे।" वास्तु शास्त्र पर दर्जनों किताबों के लेखक डॉ. शर्मा लगातार सरकार से मांग करते रहे हैं कि वास्तुशास्त्र को शिक्षण संस्थानों में एक मुख्य विषय के रूप में पढ़ाया जाए।

वास्तु शास्त्र के नियम

यह समझना होगा भारत में प्राचीन काल में वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार ही भवन निर्माण हुआ करता था। वास्तु शास्त्र भवन निर्माण कला की एक भारतीय विधा है। वास्तुशास्त्रियों का दावा है कि वास्तु के अनुसार बनने वाली इमारतों का उपयोग करने वालों के जीवन में सुख- शांति रहती है।

डॉ. जेपी शर्मा ने बताया कि वास्तुशास्त्र के कुछ नियम बिल्कुल साफ हैं। उदाहरण के रूप में किसी भवन का मुख यदि पूरब की दिशा में है तो इससे वहां रहने या काम करने वालों के ज्ञान में वृद्धि होगी। उन पर मां सरस्वती की कृपा रहेगी। जाहिर है, जिस इंसान पर मां सरस्वती की कृपा रहेगी उसका कल्याणा होना तय है। जो लोग वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्माण की गई इमारतों में रहते या काम करते हैं उन्हें स्वस्थ जीवन मिलता है।

देखिए हम अपने यहां ज्ञान के प्राचीन स्रोतों को लेकर बेहद लापरवाही वाला रवैया अपनाते रहे हैं। कई बार हमें खुद ही नहीं पता होता कि उनमें कितना खजाना समाया हुआ है। उस सोच में बदलाव नजर आने लगा है। कुछ समय पहले एक खबर छपी थी कि भारत की पहली आईआईटी, खड़गपुर में आर्किटेक्चर के अंडर ग्रैजुएट स्टूडेंट्स को पहले और दूसरे साल में वास्तु शास्त्र के बुनियादी नियम पढ़ाए जाएंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर में पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाले या शोधार्थियों को इस विषय को विस्तार से पढ़ाया जाएगा। यहां पहले आर्किटेक्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर के पाठ्यक्रम में वास्तु शास्त्र को शामिल नहीं किया जाता था। लेकिन यहां की फैकल्टी ने पढ़ने और पढ़ाने की प्रणाली में कुछ नया करने का जब सोचा तो उनको महसूस हुआ कि छात्रों को वास्तु शास्त्र भी पढ़ाया जाए, जो पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के अध्ययन के लिए बहुत अहम साबित हो सकता है। उनकी राय थी कि जब छात्रों को पश्चिमी जगत में प्रचलित वास्तुकला से संबंधित सिद्धांतों को पढ़ाया जा सकता है तो प्राचीन भारतीय वास्तुकला के सिद्धांत क्यों नहीं बताए जाएं। अब देश के तमाम आर्किटेक्चर कॉलेजों में भी वास्तु शास्त्र को विषय के रूप में पढ़ाए जाने का सिलसिला शुरू होना चाहिए ताकि इस विषय से भारत और सारा संसार लाभ ले सके।

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वास्तु शास्त्र और धर्म

बेशक, वास्तु शास्त्र अध्ययन का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह शुद्ध रूप से विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है। इसलिए इसे पढ़ा और पढ़ाया जाना चाहिए। कुछ मंद बुद्धि मानसिकता से ग्रसित लोग वास्तुशास्त्र और योग को हिंदू धर्म से जोड़ते हैं। हां, ये दोनों विद्याएं भारत की धरती से उपजी हैं। पर इनसे किसी धर्म को जोड़कर देखना सही नहीं है। आप इस तरह की छोटी सोच के लोगों का कुछ नहीं कर सकते हैं। ये अंधकार युग में रहने को अभिशप्त हैं।

खैर, यह तो मानना होगा कि दुनिया भर में रुझान बदल रहा है और प्राचीन भारतीय विद्या वास्तु शास्त्र के प्रति लोगों में दिलचस्पी पैदा हो रही है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि हमें अपने आर्किटेक्चर कॉलेजों में वास्तु शास्त्र को विषय के रूप में पढ़ाया जाए। पिछले कुछ वर्षों में हुई प्राकृतिक आपदाओं ने यह सिद्ध किया है कि जहाँ प्राकृतिक आपदाओं ने सबकुछ तहस-नहस और पूरी तरह से बर्बाद कर दिया, भारतीय वास्तु-शास्त्र के सिद्धांतों पर तैयार प्राचीन मंदिरों को कोई क्षति नहीं पहुंची। कुछ वर्ष पहले की केदारनाथ धाम की घटना को याद करें। विभीषिका केदारनाथ के ठीक पीछे से शुरू हुई थी जिसका प्रभाव 300 किलोमीटर दूर ऋषिकेश और हरिद्वार में देखा गया, पर केदारनाथ मंदिर जस का तस खड़ा रहा।

कुछ साल पहले फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने अपना मुंबई का आवास वास्तुशास्त्र के अनुसार बनवाया था। अब देश के कई बड़े बिल्डर भी अपने प्रोजेक्ट वास्तुशास्त्र के अनुसार ख़ड़े करने लगे हैं। वक्त की मांग है कि वास्तुशास्त्र का प्रयोग भवन निर्माण और दूसरे निर्माण कार्यों में अधिक से अधिक किया जाए।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Shashi kant gautam

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