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Poetry: क्या होती हैं कविताएं
Poetry: जब किसी कवि को अपने मन में उठते भावों, उससे उठने वाली गंध को शब्दों में ढाल देने का मन करे और उसके लिए वह निज के शिल्प का विकास करें तो वह मौलिक रचना होगी।
Poetry: क्या होती हैं कविताएं? क्यों कुछ कविताएं इस तरह की होती हैं जिन्हें हम पढ़ने या सुनने के बाद में भूल नहीं सकते हैं क्योंकि अपने अर्थ को वो इस तरह से निकाल कर ले आती हैं कि हम सीधे उनसे जुड़ जाते हैं। कुछ कविताएं प्रणय जीवन के विविध और कोमल चित्र प्रस्तुत करती हैं तो कुछ राजनीतिक और सामाजिक जीवन के। कुछ कविताएं मनोवैज्ञानिक भावनाओं से आछन्न होती हैं तो कुछ अन्य विषयों और क्लासिक विषयों की ओर झुकाव रखती हैं। किसी भी कवि की कविता अपनी बेहतर अभिव्यक्ति और अपने काव्य शिल्प के कारण आकर्षित करती है। और काव्य शिल्प सबका अपना-अपना होता है मौलिक। जब किसी कवि को अपने मन में उठते भावों, उससे उठने वाली गंध को शब्दों में ढाल देने का मन करे और उसके लिए वह निज के शिल्प का विकास करें तो वह मौलिक रचना होगी। कहीं-कहीं किसी कविता में भाषा का नीचा स्तर, शब्दों का तुकांत प्रयोग वह भी बिना अर्थ के, सस्ती प्रसिद्धि पाने के उपक्रम में सुविधाजनक रचनाएं कर लेना जैसी बातें किसी भी कविता का स्तर गिरातीं हैं।
इन दिनों लगातार देखने में आ रहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जितना प्रयोग करने में सरल है उतनी ही अधिक रचनाएं या कवि हमारे सामने निकल कर आते हैं, जो कि सस्ती प्रसिद्धि पाने के चक्कर में अपने लिए सुविधाजनक रचनाएं तैयार कर लेते हैं। वे कविता लिखने के लिए गंभीर प्रयत्नसाध्य यत्न नहीं करते हैं। हिंदी साहित्य में कवि एक तरह का चित्रकार भी होता है। उसे पता होता है कि उसके कविता रूपी चित्र में उसे किस अंश में कहां संवेदना के दृष्टिकोण से किस रंग का प्रयोग, कैसे करना है, कहां प्रभावपूर्ण भाषा का प्रयोग करना है तो कहां सरल भाषा का। कहां उसे कल्पना को प्रयोग में लाना है तो कहां उसे यथार्थ का पुट देना है। एक कवि की कविता नितांत स्वाभाविक होती है, उसमें कहीं भी बनावटीपन नहीं होता है । लेकिन स्वाभाविक होने का अर्थ यह भी नहीं होता कि वह बिल्कुल साधारण हो और अपनी भाषा का स्तर ही खो दे।
कविता लिखने की तकनीक
कई-कई तथाकथित कवियों को देखते हैं कि वह प्रत्येक दिन एक नई रचना लिख डालते हैं। उनको पढ़कर ऐसा लगता है मानो कविता लिखना बिल्कुल भी मुश्किल काम नहीं है क्योंकि किसी भी कविता को लिखने की इकलौती तकनीक आपकी मनोवृत्ति, आपकी स्मृतियां और उससे जुड़े अनुभवों पर निर्भर करती है। लेकिन क्या उसे अभिव्यक्त कर पाना इतना सरल होता है? कवियों को किसी-किसी विषय पर एक जैसे अनुभव भी हो सकते हैं और अलग-अलग भी लेकिन उसको अभिव्यक्त करने की सबकी अपनी मनोवृति, अपनी शैली होती है। कुछ जीवन के अथाह समुद्र के अपने अनुभवों को अभिव्यक्त करने में न्यायसंगत हो पाते हैं तो कोई उसके साथ न्याय नहीं कर पाता है। कारण कि ज्यादातर लोग एक ही जैसी बातें कहा करते हैं और उन सबको पढ़ना या सुनना ऐसा लगता है कि एक ही फैक्ट्री के उत्पाद का एक ही ब्रांड हों। जबकि कविता ऐसी होनी चाहिए कि वह हमें स्पंदित करें। वह अपनी जादुई शैली से पढ़ने- सुनने वालों को बाध्य कर सके उस पर ध्यान देने के लिए, बांध सके। और एक सामान्यीकृत भावना से इतर सोई हुई भावनाओं को जागृत कर एक तरंग का अनुभव करा जाए।
प्रत्येक नए लिखने वाले को चाहिए कि अपनी-अपनी भावनाओं को प्रकट करने में विशिष्टता का बोध कराएं। दूसरों से अलग लिखने का एटीट्यूड अपनाएं । जिसके लिए न तो कोई गूगल बाबा काम आएंगे और न ही नकल। यहां पर कवि को जो दिखाई देता है, उसके अलावा न दिखाई देने वाले को भी देखना आना चाहिए। जो न सुनाई दे उसको भी सुनना आना चाहिए यानि परिस्थितियों के भीतर छिपे प्रसंग को खोजने आना चाहिए। इसके लिए धैर्य, ईमानदारी, आत्म प्रेरणा और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
कैसी हो कविता
कविता यांत्रिक नहीं होनी चाहिए कि यूं लगे कि मशीन से निकली सीधी -सपाट हो, जिसमें ताने-बाने सब सतही हों। कविता तो बुनने वाले के भावों की सुंदरता के साथ-साथ उसके मर्म की भी खुशबू पाठक तक पहुंचाने वाली होनी चाहिए। कितने ही लोग कविता पाठ इस तरह से करते हैं कि मानों मिमिक्री कर रही हों तो कितने ही कई शब्दों का उचित अर्थ जाने बिना ही उसका तुक बैठाने के लिए प्रयोग कर डालते हैं। कितने ही कवि बड़े ही सपाट तरीके से कविता पढ़ जाते हैं तो कितने ही बहुत ही ओढ़ी हुई नाटकीयता से कविता को पढ़ते हैं। कविता लिखना-बोलना कीमियागिरी नहीं बल्कि सेंस ऑफ ह्यूमर के साथ-साथ उत्तेजित संवेदनाओं का चित्रण होता है। कविता तो वह मनोविज्ञान है जो अपने रस, गंध, रूप, स्पर्श और भावों से संवेदनाओं का चित्रण कर दें ।अमूर्त शब्दों को अपने काव्य शिल्प से जीवन दे देना ही एक कवि की बड़ी उपलब्धि होती है।
( लेखिका वरिष्ठ स्तंभकार है।)