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इमरान की बेबसी! क्या करें क्या न करें ये कैसी मुश्किल हाय...
भारत द्वारा कश्मीर पर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने पर क्या पाकिस्तान दुबारा कश्मीर में घुसपैठिए भेज सकता है ? क्या वह हमला कर सकता है ? वह ऐसा कुछ नहीं कर सकता है, जिससे भारत का बाल भी बांका हो सके।
लखनऊ : बेचारे इमरान खान पर मैं तरस खाता हूं। उनकी जगह अगर कोई फौजी जनरल भी पाकिस्तान का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री होता तो क्या करता ? भारत द्वारा कश्मीर पर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने पर क्या पाकिस्तान दुबारा कश्मीर में घुसपैठिए भेज सकता है ? क्या वह हमला कर सकता है ? वह ऐसा कुछ नहीं कर सकता है, जिससे भारत का बाल भी बांका हो सके।
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न सुरक्षा परिषद में उसकी कोई कुछ सुननेवाला है, न हेग का अंतरराष्ट्रीय न्यायालय उसकी कोई अर्जी लगने देगा और न ही कोई प्रमुख इस्लामी देश उसके पक्ष में अभी तक बोला है। यदि कोई बोल भी देगा तो क्या फर्क पड़ेगा ? जब कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने भारत में विलय किया तो क्या पाकिस्तान उसमें कोई पार्टी था ? बिल्कुल नहीं।
उसका कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं था। अब भी नहीं है। जो है, सो वह उसके गुलाम कश्मीर से है, जिसे वह ‘आजाद कश्मीर’ कहता है। उसके बारे में भारत उससे जरुर बात कर सकता है। जम्मू-कश्मीर पर अब तक चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रुस- इन पांच महाशक्तियों में से किसी ने भी भारत के कदम को गलत नहीं बताया है।
बेबस है पाकिस्तान
सबके बयानों का आशय यह है कि यह भारत का आतंरिक मामला है। चीन ने जरुर कुछ आपत्ति की है लेकिन वह जम्मू-कश्मीर के बारे में नहीं है। वह है- लद्दाख के बारे में। उसका दावा है कि हमने उसकी जमीन लद्दाख में दबा रखी है और हमारा जवाबी दावा है कि हमसे कई गुना ज्यादा जमीन उसने दबा रखी है। ऐसे में पाकिस्तान बेबस है। वह क्या करे ?
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उसने भारत के उच्चायुक्त को वापस भेज दिया है और अपने नए उच्चायुक्त को वह भारत नहीं भेज रहा है। आपसी व्यापार बंद कर दिया है। रेल-मार्ग बंद कर दिया है। हवाई मार्ग में भी वह बाधा डाल रहा है। यदि इमरान खान की सरकार इतना भी नहीं करती तो क्या करती ? पाकिस्तान के विपक्षी नेता उन्हें कच्चा चबा डालते। उन्हें यह अच्छा मौका हाथ लगा है।
जब इज्जत की हो बात...
इमरान को अपनी इज्जत बचानी है, क्योंकि आतंकवाद के विरोध में साफगोई करनेवाले वे पहले प्रधानमंत्री हैं। उन पर अमेरिका, यूरोपीय राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन का जबर्दस्त दबाव है। मोदी और अमित शाह का डर वे पूरे पाकिस्तान को दिखा रहे हैं।
वे कह रहे हैं कि भारत पुलवामा-जैसे हत्याकांड और भी करेगा और उनके बहाने वह पाकिस्तान पर हमला भी कर सकता है। जाहिर है कि पाकिस्तान की कमान जो इमरान अब तक थामने की कोशिश कर रहे थे, फिर से फौज के हाथ में चली गई है।
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पाकिस्तान की फौज जिस कश्मीर के बहाने पाकिस्तान की जनता के सीने पर सवार है, वह कश्मीर अब भारत में घुल गया है। पहले वह सिर्फ मिला था। अब वह घुल गया है। पाकिस्तान की बेहतरी इसी में है कि वह अब कश्मीर को भूल जाए और खुद पर ध्यान दे। भारत से पंगा लेने में उसी का नुकसान है।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक