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विश्व हीमोफीलिया दिवस: ऐसा रोग जो कर देता है परिवारजनों को परेशान

विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है।

rajeev gupta janasnehi
Published on: 17 April 2021 2:43 PM IST
विश्व हीमोफीलिया दिवस: ऐसा रोग जो कर देता है परिवारजनों को परेशान
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ऐसा रोग जो कर देता है परिवारजनों को परेशान

आज हम विश्व हीमोफीलिया दिवस( डब्ल्यू एच डी ) जो एक अनुवांशिक बीमारी है उस के विषय में बात करेंगे| विश्व हीमोफीलिया दिवस प्रतिवर्ष 17 अप्रैल को अनुवांशिक खून बहने वाले विकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। यह विश्व फेडरेशन हीमोफीलिया की एक पहल है।

जब भी मनुष्य को कोई चोट लगती है और उससे खून रिसाव होता है तो शरीर की संरचना में वह खून कुछ देर बाद रुक जाता है हीमोफीलिया की स्थिति में चोटिल व सर्जरी के बाद लंबे समय तक खून ना रुकना व रिसता रहता है या चोट के बाद या बिना चोट के बाद जोड़ों में दर्द नाक मे सूजन का कारण है। यह अनुवांशिक बीमारी होती है| अर्थात यह रोग माता पिता के जींस के माध्यम से बच्चों में पारित होते हैं। अमूमन यह रोग स्त्री से पुरुष में अधिक होना पाया जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है।यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।हीमोफीलिया ए के 10000 में से 1 मरीज में पाया जाता है और वही हीमोफीलिया बी 40000 में से एक को होता है।

हीमोफीलिया के मरीजों की पहचान जेनेटिक टेस्टिंग से होती है (फोटो-सोशल मीडिया)

हीमोफीलिया बीमारी का लक्षण

शरीर में नीले नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना तथा जोड़ों की सूजन आदि इसके लक्ष्ण है। हीमोफीलिया के मरीजों की पहचान जेनेटिक टेस्टिंग से होती है। यह टेस्ट काफी विश्वसनीय माना जाता है। इसकी सुविधा राजधानी की कुछ ही प्रयोगशालाओं में है।

हीमोफीलिया बीमारी में सावधानी

-इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन लगाने से बचें

-ड्राइविंग के वक्त हमेशा सीट बेल्ट का इस्तेमाल करें

-ऐसी गतिविधियों को करने से बचें जहां आपको चोट लगने का डर हो

- साल में दो बार अपने डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं।

हीमोफीलिया के प्रकार

1937 में हीमोफीलिया अनुवांशिक विकार के दो रूपों में विभाजित किया गया।

हीमोफीलिया ए - यह हिमोफीलिया का बेहद सामान्य प्रकार है इसमें रक्त के थक्के बनने के लिए आवश्यक 'क्लॉटिंग फैक्टर 8 की कमी हो जाती है।

हीमोफीलिया बी - यह भी कि कम सामान्य है हीमोफीलिया से पीड़ित लगभग 20% लोगों में हीमोफीलिया भी होता है। हीमोफीलिया बी 'क्लॉटिंग फैक्टर' 9 की कमी होती है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन पदार्थ की कमी से होती है। थर्मोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है अर्थात खून को गाढ़ा करने की क्षमता होती है।

विश्व हीमोफीलिया दिवस की शुरुआत

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया द्वारा 1989 कि 17 अप्रैल को की गई थी, इसे वर्ल्ड फेडरेशन हीमोफीलिया (WFH) के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel's) के जन्मदिन के सम्मान में मनाने के लिए चुना गया था। दरअसल, हीमोफीलिया की खोज 10वीं शताब्दी में हुई थी, जब लोगों ने गंभीर रूप से दिलचस्पी लेना शुरू किया, खासकर पुरुषों में, जो रक्तस्राव के कारण मामूली चोटों के बाद मौत का कारण बनी। उस समय इस बीमारी को Abulcasis के नाम से जाना जाता था| लेकिन, सीमित तकनीक के कारण इसे ठीक नहीं किया गया। विशेष रूप से, उस समय यह रोग यूरोपीय शाही परिवारों में आम था और एस्पिरिन के साथ इलाज किया जाता था जिससे खून पतला हो गया और स्थिति बदतर हो जाती थी|फिर, 1803 में फिलाडेल्फिया के डॉ० जॉन कॉनराड ओटो (John Conrad Otto) ने "ब्लीडर्स" ("bleeders") नाम के लोगों का अध्ययन करना शुरू किया और कहा कि यह एक वंशानुगत बीमारी है जो उनकी माताओं द्वारा पुरुषों में हो जाती है।

हीमोफीलिया के मरीज को सही समय पर इंजेक्शन लेना चाहिए (फोटो-सोशल मीडिया)

हीमोफीलिया का इलाज संभव है अब

आज भी इस बीमारी का इलाज बहुत मुश्किल है। लेकिन हाल में किए गए एक शोध के अनुसार दबा से शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर' बनाने वाले घटकों की कमी को पूरा किया जा सकता है। इस प्रकार मरीज को जिस फैक्टर की कमी होती है वह इंजेक्शन के जरिये उसकी नस में दिया जाता है। इससे रक्तस्राव रुक सके यही हीमोफीलिया की एक मात्र औषधि है। रक्त जमाने वाले फैक्टर अत्यधिक महंगे होने के कारण अधिकांश मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। हीमोफीलिया से ग्रस्त व्यक्तियों को सही समय पर इंजेक्शन लेना, नित्य आवश्यक व्यायाम करना, रक्त संचारित रोग (एचआईवी, हीपाटाइटिस बी व सी आदि) से बचाव जरूरी है।

इसके अलावा हीमोफीलिया ए दूसरा वाला यह के पेशेंट में जीन थेरेपी दवा प्रभावी पाई गई है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अनुसंधान के अनुसार हीमोफीलिया पीड़ितों पर 1 साल तक जीन थेरेपी दवा के एकल उपचार विधि अपनाई गई। इस दवा को देर से मरीजों में थक्का बनने में मददगार प्रोटीन का स्तर सामान्य पाया गया।

हीमोफीलिया दिवस कैसे मानते है

आज विश्व हीमोफीलिया दिवस की 32 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है इसे विश्व फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया द्वारा मनाया जाता है उन लोगों की देखभाल बेहतर निदान और उन प्रयासों के लिए जो बिना इलाज के रहते हैं साथ ही यह दिन उन लोगों के लिए धन जुटाने के लिए भी प्रेरित करता है| जो इस बीमारी से पीड़ित हैं और इलाज का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं है। यह दोस्तों ,परिवार, सहकर्मियों इत्यादि के साथ इसके स्वरूप पर चर्चा करने और हीमोफीलिया रोग से पीड़ित रोगियों का समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है इस वर्ष हीमोफीलिया दिवस 2021 की थीम के बारे में हमें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।17 अप्रैल 2020 को, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया भर के स्थलों और स्मारकों में रात में लाल कलर की लाइटिंग करके विश्व हीमोफीलिया दिवस का समर्थन किया जाएगा।

Apoorva chandel

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