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उपचुनाव: यूपी की इन 3 विधानसभा सीटों पर किसके खाते में जाएगा दलित वोट?

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Published on: 8 Feb 2016 8:25 AM GMT
उपचुनाव: यूपी की इन 3 विधानसभा सीटों पर किसके खाते में जाएगा दलित वोट?
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Vinod Kapoor Vinod Kapoor

लखनऊ: यूपी की तीन विधानसभा सीटों पर आगामी 13 फरवरी को होने वाले उपचुनाव में दलित वोट को अपने पक्ष में करने के लिए मारामारी है। ये तीनों सीटें सपा के पास थीं जो जीते प्रत्याशी के निधन के कारण रिक्त हुुई हैं। मुजफ्फरनगर से चितरंजन स्वरूप देवबंद से राजेन्द्र सिंह राणा और फैजाबाद की बीकापुर सीट से मित्रसेन यादव चुनाव जीते थे।

बसपा इस बार भी नहीं उतारेगी प्रत्याशी

उपचुनाव नहीं लड़ने की अपनी नीति के तहत बसपा इस बार भी बाहर है। मायावती के शासनकाल में भी हुए उपचुनाव में बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे। सपा कांग्रेस और बीजेपी उपचुनाव को इस लिहाज से सेमीफाइनल मान रही है कि इसमें मिले वोट अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे।

कांटे की होगी टक्कर

विधानसभा के 2012 में हुए चुनाव में इन तीन सीटों में दो सीटों मुजफ्फरनगर और देवबंद में बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी। इसमें देवबंद सीट काफी कम अंतर से उसके हाथ आते आते फिसल गई थी। तीनों सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है तो दलित वोट भी हार जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।

बीजेपी नेता कर रहे हैं जनसभाएं

बीजेपी पश्चिम यूपी की दो सीटों देवबंद और मुजफ्फरनगर पर एक बार फिर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की फिराक में है। इसके अलावा दलित वोटों पर भी उसकी नजर है। बीजेपी नेता संगीत सोम और संजीव बालियान की हुई चुनावी सभाएं इसी ओर इशारा कर रही हैं। बीजेपी की सभाओं में बताया जा रहा है कि कैसे बाकी राजनीतिक दलों ने दलितों को ठगा है।

22 को फिर आएंगे मोदी

नरेन्द्र मोदी पीएम बनने के बाद 22 जनवरी को पहली बार लखनऊ आकर दलित राजनीति को हवा दे चुके हैं। हालांकि वह 22 फरवरी को रविदास जयंती में हिस्सा लेने वाराणसी आ रहे हैं लेकिन तब तक उपचुनाव निपट चुके होंगे। रविदास जयंती में शामिल होने के लिए रविदासिया समाज ने उन्हें खास तौर पर आमंत्रित किया है।

कांग्रेस भी लगा रही दम

कांग्रेस को यूपी में राजनीतिक तौर पर भले ही गंभीरता से नहीं लिया जाता हो लेकिन पार्टी इस बार उपचुनाव गंभीरता से लड़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री समेत अन्य नेता उपचुनाव वाले इलाके में सभा कर चुके हैं। बीकापुर क्षेत्र में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री की सभा होनी है। कांग्रेस अपने परम्परागत दलित वोट को वापस पाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है।

अवैसी भी करेंगे दलित मुस्लिम गठजोड़

इन तीन दलों के कोण में चौथा कोण अससउद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन बना रही है। बीकापुर सीट के लिए उनकी हुई सभाओं में जुटी भीड़ को यदि किनारे कर दिया जाए तो वह मुस्लिम दलित गठजोड़ बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। सभाओं में उनके हमले पर सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ही रहे हैं। वह मतदाताओं को यह बताने का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि कैसे सपा ने मुसलमानों और दलितों को ठगा है।

सपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर

सपा के लिए तीनों सीटों के उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल हैं। दलित वोट कभी भी पार्टी के पास नहीं रहे थे। सपा इस बार भी इस वोट बैंक पर भरोसा नहीं कर रही है। यदि एक सीट भी पार्टी के हाथ से निकली तो पंचायत चुनाव में मिली जीत भारी भरकम का जश्न मातम के बदल सकता है। हालांकि राज्य के लोग अच्छी तरह जान रहे हें कि पंचायत चुनाव में जीत कैसी हासिल की गई है। सपा इन सीटों पर सहानुभूति वोट के सहारे है। तीनों सीटों पर जीते प्रत्याशियों के बेटों को मैदान में उतारा है। तेरह फरवरी को होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार 11 फरवरी को थम जाएगा जबकि मतगणना सोलह फरवरी को होगी।

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