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अमा जाने दो: कौन कहता है कि हद कर दी ‘आप’ ने

raghvendra
Published on: 23 Feb 2018 12:00 PM GMT
अमा जाने दो: कौन कहता है कि हद कर दी ‘आप’ ने
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नवलकांत सिन्हा

अमा जाने दो, ये भी कोई बात होती है। यहां हम शुद्ध राजनीतिक मसले पर चर्चा करना चाह रहे हैं और भाई लोग मुझे गोविंदा और रानी मुखर्जी की फिल्म ‘हद कर दी आपने’ की याद दिला रहे हैं। ये भी कोई बात हुई जी। अब तक आरोप लगाने का काम केजरीवाल जी संभालते थे, उलटा उन पर ही मार-पिटाई का आरोप ठोक डाला।

बताइए गांधीजी के भक्त और अन्ना हजारे के शिष्य पर ऐसे आरोप लगाए जाने चाहिए क्या...अब अंशु प्रकाश दिल्ली के मुख्य सचिव हैं तो क्या कुछ भी कह देंगे। फिर देश प्रिया प्रकाश के आंख मारने का वीडियो देखकर खुश था मगर अब अंशु प्रकाश की लड़ाई-झगड़े की खबरों में फंस गया है।

उनका आरोप है कि दिल्ली के सीएम ने उन पर रात बारह बजे मीटिंग में आने के लिए दबाव डाला। वहां पहुंचने पर उनसे अपशब्द बोले गए और मारपीट की गई। फिर कमरे में मौजूद किसी भी शख्स ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। मतलब तो यही हुआ कि अरविंद केजरीवाल ने भी उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। मैं नहीं मानता। जब खुद चीफ साहब कह रहे हैं कि उन्हें ‘आप’ सरकार के तीन साल पर प्रचार को लेकर बुलवाया गया था तो सरकार अपने कुप्रचार में क्यों पड़ती। विधायक अमानतुल्ला खान उन पर हाथ उठाकर सरकार की फजीहत क्यों कराएंगे, उनका चश्मा क्यों तोड़ देंगे। फिर अगर वो मारपीट पर ही उतारू थे तो उन्हें जाने ही क्यों देते?

बताइये कि क्या केजरीवाल जी जैसे नयी तरह की राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री के सामने ऐसी मारपीट हो सकती है? मेरे हिसाब से तो गलती अंशु प्रकाश की ही है। जब अरुणाचल, गोवा, मिजोरम कैडर कैडर के आईएएस हैं तो गोवा, अरुणाचल प्रदेश में नौकरी की मौज लेते, दिल्ली क्यों चले आए। फिर दिल्ली आ ही गए तो बिना मुख्यमंत्री की सलाह के मुख्य सचिव बनने को तैयार क्यों हो गए? आप तो जानते ही हैं कि केजरीवाल जी सरकार में आने से पहले से ही दिल्ली वासियों से कहते रहे हैं कि जब भी कुछ गलत लगे या कोई कुछ गलत करे तो चुपके से वीडियो बना लो। अब ये छोटी सी बात इतने बड़े चीफ सेक्रेटरी को ही समझ में नहीं आई। इस पर ‘आप’ का आपा खो सकता है, लेकिन केजरीवाल के रहते ऐसा संभव नहीं है। बताइए उस इंसान पर ये आरोप, जो हमेशा यही गाना गाता है कि- इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा... और उनका ये पैगाम भला उनके विधायक न सुनें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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