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Religion: हम किसी धर्म को क्यों मानते हैं?

Religious: यूपी के सीतापुर गांव में तीन लोगों को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया कि वे गांव के लोगों को डंडे के जोर पर ईसाई बनाने की कोशिश कर रहे थे।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 23 Dec 2022 6:10 AM GMT
Religious Conversions
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Religious Conversions (Pic: Social Media)

Religious Conversions: धर्म-परिवर्तन संबंधी दो-तीन घटनाओं ने आज मेरा ध्यान खींचा। उ.प्र. के सीतापुर गांव में तीन लोगों को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया कि वे गांव के लोगों को डंडे के जोर पर ईसाई बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने लोगों को कुछ लालच भी दिए और पवित्र क्रास भी बांटे। धर्म-परिवर्तन करवानेवाले कुछ भारतीय ईसाइयों के साथ ब्राजील के चार पादरीनुमा टूरिस्ट भी थे। उधर मध्यप्रदेश के बस्तर जिले में लगभग 60 ईसाई परिवारों को भागकर एक स्टेडियम में शरण लेनी पड़ी, क्योंकि उन पर कुछ लोगों ने हमले शुरु कर दिए थे। हमलावरों का आरोप है कि पादरी लोग आदिवासियों को गुमराह करके ईसाई बना डालते हैं।

इसी तरह बड़ोदरा के पास एक गांव में एक ईसाई को लोगों ने सिर्फ इसलिए पीट दिया कि वह क्रिसमस के अवसर पर सांता क्लाउज़ के कपड़े पहनकर लोगों को चॉकलेट बांट रहा था। उधर कर्नाटक विधानसभा में एक ऐसा विधेयक लाने की तैयारी है कि मुसलमान लोग मांस के लिए पशुओं को हलाल न कर सकें। इसके अलावा उत्तरप्रदेश सरकार की कोशिश है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की वेशभूषा अन्य स्कूलों के बच्चों की तरह हो और उनकी छुट्टी हर हफ्ते शुक्रवार की बजाय रविवार को हो। ऊपर गिनाए गए लगभग सभी मामले ऐसे हैं, जिनका धर्म से, परमात्मा से, पुण्य से नैतिकता से कोई संबंध नहीं है।

इन सब अतिवादी कार्यों का प्रेरणा-स्त्रोत मजहबी उन्माद है। जो लोग अन्य लोगों का धर्म-परिवर्तन करवाते हैं, उनसे पूछिए कि आप स्वयं जिस धर्म को मानते हैं, क्या उसे अच्छी तरह से सोच-समझकर आपने अपनाया है या आपके माता ने उसे आपको पैदा होते ही जन्मघुट्टी के साथ पिला दिया था? प्रायः सभी धार्मिक लोग, जिस धर्म के भी हों, वह उन्हें उस वक्त से पिला दिया जाता है, जब उन्हें उनका अपना नाम भी पता नहीं होता। जिस धर्म के लिए वे चिल्ला-चिल्लाकर लोगों के कान फोड़ने के लिए तैयार रहते हैं, उस धर्म के अनुयायी उन्हें उस समय बना दिया जाता है, जब उन्हें यही पता नहीं होता है कि जो मंत्र उनके कान में फूंका जा रहा है, उसका अर्थ क्या है।

पिछले 8 दशकों में मैं लगभग 70 देशों में गया हूं और तरह-तरह के लाखों लोगों से मेरा आमना-सामना हुआ है लेकिन मैं आज तक एक भी ऐसे आदमी से नहीं मिला हूं, जो बचपन में वेद पढ़कर हिंदू बना हो, जिंदावस्ता पढ़कर पारसी बना हो, बाइबिल पढ़कर यहूदी या ईसाई बना हो, कुरान पढ़कर मुसलमान बना हो, त्रिपिटक पढ़कर बौद्ध बना हो, अगम सूत्र पढ़कर जैन बना हो या गुरू ग्रंथ साहब पढ़कर सिख बना हो। यदि पढ़-लिखकर या सोच-समझकर कोई किसी भी धर्म को अपनाना चाहे तो उसे उसकी आजादी होनी चाहिए लेकिन जन्मघुट्टी, लालच, भय, ठगी, वर्चस्व से प्रेरित होनेवाले सभी धर्म-परिवर्तन त्याज्य हैं।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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