×

भारत धृतराष्ट्र क्यों बना हुआ है ?

अफगानिस्तान के सवाल पर पिछले हफ्ते चीन में चार देशों ने बात की। अमेरिका, रुस, चीन और पाकिस्तान ! इनमें भारत क्यों नहीं है ? क्या अफगानिस्तान से भारत का कोई संबंध नहीं है ? भारत और अफगानिस्तान के संबंध सदियों से चले आ रहे हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 17 July 2019 11:26 AM IST
भारत धृतराष्ट्र क्यों बना हुआ है ?
X
india धृतराष्ट्र

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

लखनऊ : अफगानिस्तान के सवाल पर पिछले हफ्ते चीन में चार देशों ने बात की। अमेरिका, रुस, चीन और पाकिस्तान ! इनमें भारत क्यों नहीं है ? क्या अफगानिस्तान से भारत का कोई संबंध नहीं है ? भारत और अफगानिस्तान के संबंध सदियों से चले आ रहे हैं। अफगानिस्तान को आज भी ‘आर्याना’ कहा जाता है। महाभारत की गांधारी कौन थी ? क्या महान वैयाकरण पाणिनी अफगानिस्तान में पैदा नहीं हुए थे ?

यह भी देखें... पाकिस्तान से बात शुरु करें: डॉ. वेदप्रताप वैदिक

ये तो हुई पुरानी बातें लेकिन पिछले 70 वर्षों में भी भारत और अफगानिस्तान के संबंध बहुत घनिष्ट रहे हैं। यह ठीक है कि पाकिस्तान के बन जाने के बाद अफगानिस्तान और भारत की सीमाएं दूर-दूर हो गई लेकिन दोनों देशों की सरकारों और जनता के बीच सदभाव और सहयोग बना रहा। तालिबान के अल्पकालीन शासन के दौरान भारत-अफगान संबंध विरल जरुर हो गए लेकिन इन दोनों देशों के बीच वैसी दुश्मनी कभी नहीं रही, जैसी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच कई बार देखी गई है।

इन दोनों मुस्लिम राष्ट्रों के बीच चार बार युद्ध होते होते बचा है। इसमें शक नहीं आतंरिक संकट के समय लाखों अफगानों को पाकिस्तान ने शरण दी लेकिन पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को अपना मोहरा बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत ने अफगानिस्तान की जितनी निस्वार्थ सहायता की है, किसी देश ने नहीं की।

यह भी देखें... सरकार की पाक-दुविधा

भारत ने लगभग 15 हजार करोड़ रु. अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर खर्च किए हैं। उसने अफगानिस्तान में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, प्रशासनिक क्षेत्र, सैन्य प्रशिक्षण आदि के असंख्य काम किए हैं। उसका भव्य संसद भवन बनाया है। सबसे बड़ी बात उसने यह भी की कि 200 किमी की जरंज-दिलाराम सड़क बनाई है, जो अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी से जोड़ती है, जिसके कारण बाहरी देशों से यातायात और आवागमन के लिए अब वह सिर्फ पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहेगा।

अफगान-लोकतंत्र को सुद्दढ़ बनाने में भी भारत का उल्लेखनीय योगदान है। ऐसे भारत को अफगानिस्तान समस्या के समाधान के बाहर रखना आश्चर्यजनक है। इस अलगाव के लिए भारत स्वयं भी जिम्मेदार है, क्योंकि वह तालिबान को अपना दुश्मन समझता है। उसकी यह समझ सही नहीं है। इसमें शक नहीं कि तालिबान पर पाकिस्तान के अनगिनत अहसान हैं लेकिन मैंने अपने 50 साल के सीधे संपर्कों से जाना है कि तालिबानी पठान बेहद आजाद हैं और वे किसी के मोहरे बनकर नहीं रह सकते।

ये चारों देश मिलकर उनसे ही बात कर रहे हैं। भारत तो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश है। उसकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा है। उसे इस बातचीत में सबसे अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। यह ठीक है कि हमारी सरकार के पास ऐसे लोगों का टोटा है, जो तालिबान से सीधे संपर्क में हों लेकिन वह इस महाभारत में धृतराष्ट्र बना रहे, यह ठीक नहीं।

यह भी देखें... आशा जगाए यह मंत्रिमंडल

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं और अफगान मामलों के विशेषज्ञ हैं)

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story