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Dr. Ved Pratap Vaidik: सिर्फ मुसलमानों के मकान क्यों ?
मुस्लिम नेता और कांग्रेसी नेता प्रादेशिक सरकारों के इस कदम का विरोध कर रहे हैं
Dr. Ved Pratap Vaidik: उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात में इधर दंगाइयों को दंडित करने की एक बिल्कुल नई विधि का आविष्कार हुआ है। वह यह है कि जो भी दंगाई पकड़े जाएं या चिंहित किए जाएं, उनके घरों और दुकानों को ढहा दिया जाए। उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसीलिए 'बुल्डोजर बाबा' कहा जाने लगा है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को 'बुल्डोजर मामा'।
अब गुजरात के नए मुख्यमंत्री ने भी यह काम शुरु कर दिया है। ये तीनों मुख्यमंत्री भाजपा के हैं। भाजपा की सरकार कई अन्य राज्यों में भी हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि अन्य भाजपाई मुख्यमंत्री भी इसी लीक पर चल पड़ें। कई मुस्लिम नेता और खास तौर से कांग्रेसी नेता प्रादेशिक सरकारों के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। वे कहते हैं कि भारत में कोई कानून ऐसा नहीं है, जो कहता हो कि जिन्हें आप दंगई समझते हैं, आप उनके मकान ढहा दें।
यह बात तो तथ्यपरक है लेकिन उनका इससे भी भारी तर्क यह है कि जिनके मकान ढहाए गए हैं, वे सब मुसलमान हैं। अतः सरकारों का यह कदम सांप्रदायिक है। जहां तक इन तर्कों का सवाल है, कानून की प्रक्रिया इतनी लंबी-चौड़ी है कि उसके अनुसार फैसला होते-होते वर्षों लग जाते हैं। जब तक लोगों के दिमाग से दंगों की बात ही गायब हो जाती है। दोषियों को जो सजा मिलती है, आम लोगों पर उसका कुछ असर ही नहीं होता जबकि दंगाइयों के मकान तत्काल ढाहए जाते हैं तो भावी दंगाइयों की रूह अपने आप कांपने लगती है। सिर्फ वे ही मकान ढहाए जाते हैं, जो गैर-कानूनी ढंग से बनाए जाते हैं। जो लोग दंगा करते हैं, कानून का उल्लंघन करना उनमें से ज्यादातर की आदत में होता है।
ऐसे लोगों को तुरंत दंडित करने में क्या बुराई है? यदि किसी का घर कानूनी है और वह गल्ती से गिरा दिया गया है तो उसे फिर से बनवाना और उसका जुर्माना देना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। शिवराज चौहान ने इसका वादा भी किया है। यह अच्छी बात है लेकिन इस आनन-फानन की कार्रवाई पर दो सवाल एकदम उठते हैं। पहला यह कि यह कार्रवाई सिर्फ मुसलमान दंगाइयों के खिलाफ ही क्यों होती है? क्या दंगा सिर्फ मुसलमान ही करते हैं? दंगाई किसी भी संप्रदाय का हो, सबके साथ सरकार का समान बर्ताव होना चाहिए।
दूसरा सवाल यह है कि क्या यह प्रादेशिक सरकारों के निकम्मेपन का सूचक नहीं है कि हर गांव और शहर में लोग, खास तौर से नेता और प्रभावशाली लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा करके अपने मकान खड़ा कर लेते हैं और सरकारें सोती रहती हैं। वे दंगाइयों के मकान तो फुर्ती से ढहा रही हैं लेकिन इन प्रभावशाली लोगों के अवैध निर्माणों को छूती तक नहीं हैं। अवैध निर्माण क्या तभी गिराए जाएंगे, जब दंगे होंगे?