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क्या अमेरिकी कांग्रेस पसंद करेगी जो बाइडन के इस नए रूप को?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपने महत्त्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज का एलान करते हुए कहा कि'वॉल स्ट्रीट देश का..
नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपने महत्त्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज का एलान करते हुए जो बात कही, उसने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। उन्होंने कहा-'वॉल स्ट्रीट देश का निर्माण नहीं करता। मध्य वर्ग के लोग देश का निर्माण करते हैं। और ट्रेड यूनियन मध्य वर्ग का निर्माण करती हैं।' अमेरिका में पिछले चार दशकों में सोच की जो दिशा रही है, ये बातें बिल्कुल उसके उलट हैँ।
गौरतलब यह है कि इस पैकेज के एलान का साफ मतलब है कि जो बाइडन वित्तीय किफायत और राजकोषीय अनुशासन की नीतियों से और दूर गए हैँ। ये बात अमेरिकी शासन तंत्र और यहां तक कि बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी की भी परंपरागत सोच से अलग है। बाइडन ने ये महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की-'ये समय अर्थव्यवस्था और निम्न और मध्य स्तरों से निर्मित करने का है। अच्छी तनख्वाह वाली अधिक ट्रेड यूनियन से जुड़ी नौकरियां पैदा हो पाएं, आज इसकी जरूरत है।' जाहिर है, बाइडन ने मौजूदा चुनौतियों और डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर प्रोग्रेसिव खेमे की बढ़ी ताकत के बीच बिल्कुल नए रास्ते पर चलने का फैसला किया है।
नए पैकेज में देश को स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाने की बात कही गई है। उन्होंने देश में सड़क, पुल और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को पुख्ता करने पर भारी खर्च का एलान किया है। उनका ताजा पैकेज 2 ट्रिलियन डॉलर का है। इसे बाइडन ने अमेरिकन जॉब्स प्लान कहा। इसके तहत वृद्धों को दीर्घकालिक मेडिकल सहायता देना, किसी समुदाय को अलग- थलग करने के लिए क्षेत्र निर्धारण पर रोक, सामुदायिक हिंसा पर रोक के उपायों में निवेश, आदि जैसी योजनाएं शामिल की गई हैं।
पैकेज में सड़क, पुल, बंदरगाह और रेल ढांचा खड़ा करने के अलावा मैनुफैक्चरिंग, किफायती मकानों के निर्माण, अनुसंधान और विकास और बिजली ढांचे के आधुनिकीकरण पर अरबों डॉलर खर्च करने की बात शामिल है। साथ ही देश में तीव्र गति का इंटरनेट ब्रॉडबैंड बिछाया जाएगा। होम और कम्युनिटी आधारित स्वास्थ्य और वृद्ध देखभाल योजनाओं पर भी बड़ी रकम खर्च की जाएगी।
वैसे पहले चर्चा यह थी कि बाइडन तीन ट्रिलियन डॉलर का पैकेज घोषित करेंगे। लेकिन असल में उन्होंने राजकोष से दो ट्रिलियन डॉलर खर्च करने का ही एलान किया। अब सवाल यह उठा है कि आखिर बाइडन इस पैकेज को पारित कैसे कराएंगे? डेमोक्रेटिक पार्टी के पास अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में साधारण बहुमत है। लेकिन सीनेट में अगर फिलिबस्टर नियम लागू हुआ तो बिल के पास होने के लिए 100 सदस्यों वाले सदन में 60 वोट अनिवार्य हो जाएंगे। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए इतने वोट जुटा पाना लगभग नामुमकिन है। जबकि यह लगभग तय है कि रिपब्लिकन पार्टी फिलिबस्टर नियम को लागू करवाने की पूरी कोशिश करेगी।
उस हाल में बाइडन प्रशासन की अकेली उम्मीद सीनेट की एक अन्य प्रक्रिया होगी, जिसे रिकॉन्सिलिएशन कहा जाता है। लेकिन मुश्किल यह है कि इस मामले में फैसला सीनेट का पार्लियामेंटरियन यानी उसका एक अधिकारी करता है। हाल मं उसने उस प्रस्ताव को रिकॉन्सिलिएशन नियम के तहत लाने से इनकार कर दिया था, जिसमें देश में न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा की बात थी। इसलिए जो बाइडन अपने ताजा पैकेज को देश के लिए चाहे जितना जरूरी मानते हों, लेकिन उतनी आसानी से वे इसे संसदीय मंजरी दिलवा पाएंगे, ऐसा नहीं लगता। मुमकिन है कि उनका ये इरादा हकीकत बनने से रह जाए या फिर इसे पारित करवाने के लिए उन्हें अपनी महत्त्वाकांक्षा से समझौता करते हुए इसमें कई संशोधन करने पड़ें
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