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महिला मतलब इजाजत लेना नहीं होता है
सऊदी में महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत मिली। महिला,समाज,सुरक्षा और इजाजत का ये सिलसिला आगे बढ़ रहा है। दुनिया भर के समाज में महिलाओं को
लखनऊ: सऊदी में महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत मिली। महिला,समाज,सुरक्षा और इजाजत का ये सिलसिला आगे बढ़ रहा है। दुनिया भर के समाज में महिलाओं को आज भी इजाजत,और जबाबदेही के दौर से गुजरना होता है। इनके प्रति सामाजिक नियम कठोर और निर्मम होते हैं। जीवन के उत्सवों में भरपूर भागीदारी के लिए अब भी महिलाएं इजाजत का इंतजार करतीं है।
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पश्चिम और पूरब दोनो संस्कृतियों में महिलाओं को संभल कर जीवन जीना पड़ता है।अपने देश में देवियों की पूजा होती है। वर्ष के दो पड़ाव ऐसे हैं जिनमें नौ दिन माता दुर्गा की उपासना,अराधना की जीवन शैली है।पर इजाजत तो अभी यहां भी लेनी पड़ती है। छवि,खाप,और न जाने कितने ऐसे शब्द हैं जिनसे यहां बहन,बेटियों को इजाजत लेनी पड़ती।नौकरी करना है,खेलने जाना है,जैसे कितने जरूरी काम हैं जिनके करने के लिए आधी आबादी को इजाजत लेनी होती है।
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कैसी व्यवस्था है, और कैसा समाज है,जो महिलाओं को उड़ान भरने के लिए इजाजत की व्यवस्था करती है। वो नजरिया जो दैनिक दिनचर्या के काम को इजाजत के
लिए अवरुद्ध करता है उसके प्रति लगाम लगाने का प्रयास कितना असरकारी है।
बीएचयू के मामले में छात्राओं को अपने हास्टल के वार्डन से इजाजत न लेने पर पिटना पड़ा। दुर्गा की पूजा के बाद भी हम नहीं बदल पा रहे हैं तो और क्या बाकी रह गया है,जो मुख्य धारा में बहन बेटियों के हाथों को खड्गधारी बना सके। महिलाओं के पहनावे को लेकर अक्सर विवादों का स्वर उंचा होता है।
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फरमानों की पूरी लिस्ट ही बन जाती है। समाज के उत्थान के लिए और स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए इस बात पर ठहरना होगा कि इजाजत के चाबुक को कितना चलाना है।जिससे समाज में महिलाओं के प्रति दुर्गा का नजरिया विकसित हो सके। सृजन की जीती जागती मूर्ती का मतलब इजाजत नहीं है।