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2023 में महिलाओं को मिलेंगी अधिक नौकरियां

Women Job In 2023: भारत के प्राइवेट सेक्टर में नए साल 2023 में महिलाओं की भर्तियों में तेजी आएगी। वहीं, महिलाओं को अपने पुरुष साथियों के बराबर दायित्व तथा वेतन भी मिलेगा

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 4 Jan 2023 4:28 PM GMT (Updated on: 4 Jan 2023 5:11 PM GMT)
Women Job In 2023
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Women Job In 2023। (Social Media)

Women Job In 2023: एक मशहूर बिजनेस अखबार ने कुछ दिन पहले यह खबर प्रकाशित कर दी कि भारत के प्राइवेट सेक्टर में नए साल 2023 में महिलाओं की भर्तियों में तेजी आएगी। जब अधिकतर अखबारों तथा खबरिया चैनलों में निऱाशाजनक खबरों की भरमार रहने लगी है, तब किसी भी इंसान को उपर्युक्त खबर को पढ़कर सुकून तो मिलना ही चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि किसी भी देश और समाज की पहचान इस बात से ही होती है कि वहां पर महिलाएं कितनी आर्थिक रूप से स्वावलंबी हैं। वे स्वावलंबी तो तब ही होंगी जब उन्हें सही ढंग शिक्षित किया जाएगा और उन्हें रोजगार में पर्याप्त अवसर मिलेंगे। अपने पुरुष साथियों के बराबर दायित्व तथा वेतन भी मिलेगा। बेशक, जिन कंपनियों में महिला मुलाजिम होती हैं वहां पर माहौल सकारात्मक तो रहता ही है। इसलिए किसी दफ्तर का समावेशी होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को दी जायेंगी रियायतें

दरअसल लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी), आईटीसी, सिप्ला, प्रॉक्टर एंड गैंबल, एचडीएफसी बैंक आदि ने घोषणा भी कर दी है कि वे 2023 में महिला पेशेवरों को नौकरी देते वक्त कई तरह की सुविधाएं भी देंगे। उदाहरण के रूप में यदि किसी महिला कर्मी के पति या परिवार की किसी अन्य शहर में ट्रांसफर हो जाता है तो उसे भी वहां पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। मातृत्व अवकाश की समय सीमा भी बढ़ाई जा सकती है।

कामकाजी महिलाओं की दिक्कतें

देखिए कोई बच्चों का खेल नहीं है एक कार्यशील महिला का होना। कार्यशील महिलाओं को घर के भी तमाम काम तो करने ही पड़ते हैं। आमतौर पर दफ्तर से घर आने के बाद हमारे यहां अब भी पति देव तो टीवी देखने में ही समय बिताने लगते हैं। पर कार्यशील महिला को यह छूट नहीं है। उसे रसोई भी देखनी होती और अपने बच्चों को पढ़ाना भी होता है। उसे ही बच्चों के स्कूल में पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में भी हाजिरी देनी होती है। इस लिहाज से प्राइवेट सेक्टर उन्हें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं देकर बहुत उपकार करेगा।

बेशक, अब महिलाएं भारतीय कार्यबल का एक अभिन्न अंग बनाती हैं। फैक्ट्री ऐक्ट (कारखाना अधिनियम) 1948, सेक्शन (खंड) 66(1)(बी), के अनुसार किसी भी महिला को किसी भी कारखाने में 6 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा काम करने की अनुमति नहीं है। इस कानून का सख्ती से पालन होना चाहिए। इसका उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई हो। इसी तरह से बीड़ी और सिगार वर्कर (रोजगार की शर्ते) ऐक्ट 1966, सेक्शन (धारा) 25 के अनुसार किसी भी महिला को 6 बजे सुबह से लेकर शाम 7 बजे के बीच के समय के अलावा औद्योगिक परिसर में काम करने की अनुमति नहीं है।

आईटी सेक्टर में मिला बेजोड़ अवसर

इस बीच, भारत के आई.टी. सेक्टर में महिला पेशेवरों की तादाद लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस, विप्रो, टैक महिंद्रा, इंफोसिस और माइंडट्री जैसी भारत की चोटी की आई टी कंपनियों में 31 दिसंबर, 2021 तक 10 कर्मचारियों में कम से कम 3 महिलाएं यानि कुल कार्यबल का 30 प्रतिशत थीं। भारत की प्रमुख आई.टी. सेवा कंपनी टीसीएस में महिला कर्मचारियों की संख्या लगातार औसतन 40 प्रतिशत के आसपास चल रही है। वहीं इन्फोसिस में महिला कर्मचारियों की संख्या भी 40 प्रतिशत है।

अब भी हमारे यहां कई प्रतिभाशाली महिलाएं मां बनने के बाद नौकरी छोड़ देती हैं। मां बनने के बाद दो-तीन साल का समय काफी मुश्किल भरा होता है। अपने बच्चे को घर पर छोड़ने के विचार से उनकी हिम्मत टूट जाती है। इस स्थिति को देखते हुए अब कंपनियों ने दफ्तर में ही क्रेच सुविधा चालू कर दी है। अगर हो सके तो कंपनियों को अपनी महिला कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देते हुए उदारता का परिचय भी देना चाहिए। हां, कंपनियां वर्क फ्रॉम होम सुविधा का लाभ लेने वाली महिलाओं को हफ्ते-दस दिनों में एक बार दफ्तर रिव्यू के लिए बुला ही सकते हैं। यह सत्य है कि महिला कर्मी अपने दफ्तर के दायित्वों के प्रति ज्यादा ईमानदार और निष्ठावान रहती हैं।

इस बीच, सरकार को उन कंपनियों के धूर्त प्रबंधन पर एक्शन लेना चाहिए जो अपनी महिला कर्मियों को मेटर्निटी बेनिफिट देने तक में कोताही बरतते हैं। मेटर्निटी बेनिफिट एक्ट 1961, बच्चे के जन्म से पहले और बाद में निश्चित प्रतिष्ठानों में निश्चित अवधि के लिए महिला श्रम को नियंत्रित करता है और मातृत्व लाभ प्रदान करता है। इसके साथ ही भवन एवं अन्य कंस्ट्रक्शन (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996 महिला लाभार्थी को मातृत्व लाभ के लिए वेलफेयर फंड (कल्याण निधि) प्रदान करता है।

बढ़ाई जाए महिलाओं की तादाद

ये सच है कि कार्यशील औरतें अपने काम के साथ पूरा न्याय करती हैं। जीवन का कोई क्षेत्र नहीं बचा जहां पर अब ये न हों। ये सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी शिखर पदों पर पहुंच रही हैं। सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों जैसे हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) तथा ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) में महिलाएं सब पदों पर हैं। इनका शिखर तक पहुंचना इस बात की गवाही है कि अब महिला पेशेवरों को सरकारी उपक्रमों के सबसे अहम पदों पर भी काम करने के अवसर मिलने लगे हैं। पर अब भी बॉम्बे शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में सिर्फ 18 फीसद ही महिलाएं हैं। यह संख्या तो बढ़ाई ही जानी चाहिए। 18 प्रतिशत को 28-30 प्रतिशत तक ले जाने में तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिये I मान कर चलिए जब इन कंपनियों में सीईओ तथा डायरेक्टर के पदों पर महिलाओं की संख्या बढेगी तो इसका असर दूर तक होगा। उसी स्थिति में और उसी अनुपात में महिलाओं की भर्तियां भी बढ़ेगी।

दुर्गा, सीता और गांधारी की पूजा करने वाले भारत में आधी दुनिया को उसका हक तो देना ही होगा। ये जितनी जल्दी दे दिया जाए उतना ही अच्छा होगा। सारे देश को ठोस कोशिशें करनी होंगी ताकि बच्चियां स्कूल जाएं और खूब पढ़े। पूर्ण शिक्षित होने के बाद उन्हें उपयुक्त रोजगार मिले।

बहरहाल, यह संतोष का विषय है कि अब तमाम दफ्तरों में महिलाएं काम करती हुई मिलती हैं। उनके विश्वास से लबरेज चेहरों को देखकर समझ में आ जाता है कि वह अब अपने हिस्से के आसमान को छूने लगी हैं।

Deepak Kumar

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