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World Food Safety Day 2021: स्वस्थ कल के लिए आज का सुरक्षित भोजन
जीवन की 3 मूलभूत आवश्यकता होती है । रोटी, कपड़ा, और मकान, जिसके बिना मनुष्य का जीवन बहुत मुश्किल है। इसमें रोटी सबसे महत्वपूर्ण है।
World Food Safety Day 2021: जीवन की 3 मूलभूत आवश्यकता होती है । रोटी, कपड़ा, और मकान, जिसके बिना मनुष्य का जीवन बहुत मुश्किल है। इसमें रोटी सबसे महत्वपूर्ण है। जैसा एक फ़िल्म के गाने ने इसकी परिभाषा बताई हैं। "आदमी को चोर बनाती है यह रोटियाँ " जी हाँ एक रोटी की कीमत वह भूखा ही समझ सकता है जिसे भूख लगी हो खाने को कुछ ना मिले । क्यूँकि रोटी के बिना तो मनुष्य कुछ दिन भी जिन्दा नहीं रह सकता है। आज के समय में दूषित खाने और खाने की कमी से हजारों लोगों की जान हर साल चली जाती है।आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर इनके तमाम पहलुओं पर हम चर्चा करते हैं ।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दो एजेंसियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों का नेतृत्व करने और पौष्टिक खाने के प्रति लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी दी है। इसी जागरूकता को बढ़ाने के लिए 7 जून को World Food Safety Day मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2018 में इसे अपनाया गया था । इसके बाद पहली बार वर्ष 2019 में वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे मनाया गया था इस हिसाब से यह तीसरा वर्ष है। जबफ़ूड सेफ्टी दिवस मनाया जा रहा है ।विधाता का कर्म देखिए वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में इस दिवस की बहुत ही सम्यक् और आवश्यकता महसूस हो रही है क्योंकि कोविड-19 में जब पूरा विश्व कामकाज से ठप हो गया तो वह गरीब तबका जो रोज कमाता था रोज खाता था वही आज इस दिवस की महत्ता समझ सकता है ।
10 में से 1 लोग दूषित भोजन खाने के बाद बीमार पड़ जाते हैं
डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में लगभग 10 में से 1 लोग दूषित भोजन खाने के बाद बीमार पड़ जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19.7 करोड़ है। यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक है। जबकि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद देश है देश में 15 से 49 वर्ष की लगभग 51 परसेंट महिलाओं में खून की कमी है 5 वर्ष से कम उम्र की अनुमान के 38 परसेंट बच्चे अपनी आयु के मुताबिक ग्रोथ नहीं कर पाते हैं। 21 परसेंट का वजन स्वस्थ बच्चों से भी कम होता है। भोजन की कमी से अनेक बीमारियों से देश में सालाना 3000 बच्चे दम तोड़ देते हैं जो आने वाले समय में और गंभीर स्थिति हो सकती है ।दुनियाभर में बीमारों का यह आंकड़ा लगभग 60 करोड़ पार है। जिसमें से 30 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के इस आंकड़े को कम करने के लिए ही खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता के प्रति विशेष ध्यान दिया जाता है।
महामारी के संक्रमण को देखते हुए इस बार वर्ल्ड सिटी वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे 2021 वर्चुअल मनाया जाएगा जब सभी खाद्य एवं कृषि संगठन कैसे विश्व के सभी मानवों को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर सकें और खाद्य पदार्थों के उपज में कमी ना आ पाए । विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2021 का विषय "स्वस्थ कल के लिए आज का सुरक्षित भोजन" है। इस वर्ष का विषय भोजन की गुणवत्ता पर जोर देता है। यदि आज हम अच्छा भोजन आहार के रूप में लेंगे तो हमारा कल भी बेहतर होगा, हम स्वस्थ रहेंगे।
खाद्य सुरक्षा हमेशा से एक चिंता का विषय रहा है
भारत के विश्व में सभी देशों का इतिहास में कुछ देशों को छोड़कर खाद्य सुरक्षा हमेशा से एक चिंता का विषय रहा है । वर्ष 1974 में विश्व खाद्य सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा की परिभाषा दी गई जिसमें खाद्य आपूर्ति पर बल दिया गया भारत में स्वतंत्रता के बाद आज तक सभी के लिए खाद्य सुरक्षा एक राष्ट्रीय उद्देश्य मुद्दा बन चुकी है । जहां तक खाद्य सुरक्षा का तत्व पर पेट भर रोटी उपलब्ध होने से था वहीं आज खाद्य सुरक्षा का आशय भौतिक आर्थिक सामाजिक स्थितियों के अलावा संतुलित आहार साफ पीने का पानी स्वच्छ वातावरण और प्राथमिक स्वास्थ्य रखरखाव तक पहुंच गया है । भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा सुरक्षित खाद्य उपलब्ध करवाने के लिए पहला राज्य खाद्य सुरक्षा इंडेक्स विकसित किया गया है। खाद्य तेल और घी में हुई मिलावट के बारे में एक मिनट से कम समय में पता लगाने के लिए विशेष उपकरण 'रमन 1.0' को भी क्रिया में लाया गया है।
भारत में उत्सव समारोह शादी विवाह आदि में बड़ी मात्र में पका हुआ खाना ज़्यादा बनाकर व खाने की हवस को लेकर प्लेट में इतना रख लेते हैं कि वह उनसे खाया तक नहीं जाता है इस तरह वह खाद्यान्न की बड़ी मात्रा में बर्बादी होती है यहाँ किसी ने कहा है ।
अन्नपुरणा देवी की यही पुकार जितने आए मेहमान उतना पकाओ अन्न.उतना ही ले ताली में जितना में भर जाए पेट
एक तरफ देश भुखमरी है वहीं हर साल सरकार की लापरवाही से लाखों टन अनाज बारिश की भेंट चढ़ जाता है ।हर साल गेहूँ सड़ने के करीब 430 सौ करोड़ रुपए का नुकसान होता है। एक तरफ भारत सरकार अपने खाद्य और कृषि मंत्रालय के माध्यम से किसानों को सुरक्षित करके वह अपने विभाग में खाद्यान्न रखती है लेकिन वहां के रखरखाव और लापरवाही से बरसात आंधी तूफानों से व खाद्यान्न सड़ जाता है। एक तरीके से यह किसानों के खून पसीने के ऊपर मानवीय यह अत्याचार है तथा देश के टैक्स दाता द्वारा दिया गया टैक्स की बर्बादी है उससे बड़ा जो भुखमरी से मानव बीमार पड़ रहा है। महामारी का शिकार हो रहा है या मृत्यु की गोद में समा रहा है। उनको ध्यान लेकर अमानवीय कृत्य की श्रेणी में इसे रखना चाहिए तथा इस कृत्य में लिप्त सभी लोगों के ऊपर अपराधिक मुकदमा दर्ज होने चाहिए ।
सामाजिक दृष्टिकोण से समाज के सभी जिम्मेदार लोगों को उत्सवों में कम से कम खाना बनवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। कम से कम खाना बनवाने का अर्थ है कि उसमें आइटम भी कम हो और उतना ही खाना बनवाया जाए जितना कि वह निमंत्रण दे रहे हैं। जिस प्रकार विदेशों में उतनी ही प्लेट लगाई जाती हैं जितने लोग आने की अपनी सहमति देते हैं दूसरा सभी जिम्मेदार नागरिकों को सरकार के खाद्य एवं कृषि विभाग द्वारा जो खाद्यान्न की सुरक्षा मैं विभाग लगे हुए हैं। उनके द्वारा अगर कोई भी खाद्यान्न पड़ता है या बेकार होता है तो उस पर आपराधिक मुकदमों का व्यवस्था के लिए सरकार को आग्रह करना चाहिए या कानून की शरण लेनी चाहिए ताकि हम अपने देश में भुखमरी से उनके स्वास्थ्य के प्रति ना तो खिलवाड़ करें ना ही उन्हें मृत्यु के आगोश में पहुंचे और किसान की मेहनत बेकार ना हो तभी आज तीसरे वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे का उद्देश्य सार्थक कर सकें।
हम सभी को खाद्यान्न उत्पादन में लगे हुए कृषि बंधु व्यवसाय उद्योगपति सरकारी अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं कि वह वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे की मन्तव को पूरा करने के लिए अपनी इमानदारी व कर्तव्य निष्ठा से कार्य करेंगे।