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World Hypertension Day : आधुनिक जीवन का अभिशाप है हाई ब्लड प्रेशर

World Hypertension Day : उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम, पहचान और नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 17 मई को ‘विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है।’

Lalit Garg
Written By Lalit Garg
Published on: 15 May 2024 4:09 PM IST
World Hypertension Day : आधुनिक जीवन का अभिशाप है हाई ब्लड प्रेशर
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World Hypertension Day : उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम, पहचान और नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 17 मई को ‘विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है।’ वर्तमान में दुनिया भर में उच्च रक्तचाप से करीब डेढ अरब से अधिक लोग पीड़ित हैं। दुनिया भर में उच्च रक्तचाप वाले अनुमानित 46 फीसदी लोग इस बात से अनजान हैं कि उन्हें उच्च रक्तचाप है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक उच्च रक्तचाप वाले पांच में से सिर्फ एक वयस्क इसे नियंत्रण में रखता है, जिसका अर्थ है कि 80 फीसदी को भारी खतरा है, जिसमें दिल का दौरा, स्ट्रोक, अनियमित दिल की धड़कन और गुर्दे को नुकसान पहुंचना आदि शामिल है। इस वर्ष की थीम के तहत ‘अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें और लंबे समय तक जीवित रहें’, इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण हैं मोटापा, तनाव, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, नियमित शारीरिक गतिविधि न करना, धूम्रपान, अल्कोहल, आहार में सोडियम (नमक) की अत्यधिक मात्रा और मधुमेह जैसी कुछ स्थितियाँ भी इसका कारण बन सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान भी उच्च रक्तचाप हो सकता है।

नयी सदी की दहलीज पर खड़े महत्त्वाकांक्षी युवा-वर्ग के सामने प्रतिस्पर्धाओं का अंतहीन माहौल है। यदि वह इस बाधा दौड़ में हारता है, तो नकारात्मक तनावों से घिर जाता है, यदि जीतता है तो नयी-नयी स्पर्धाओं का चुनौति भरा संघर्ष फिर शुरू हो जाता है। अपनी विजय को स्थायी रखने तथा नये-नये कीर्तिमान स्थापित करने के लिए छल-प्रपंच और झूठ का सहारा लेता है। वैज्ञानिक कहते हैं दुनिया में जितना अधिक झूठ बढ़ा है, उतना ही अधिक हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी बढ़ा है। झूठ का रास्ता कभी सीधा नहीं होता। उबड़-खाबड़, टेढ़ा-मेढ़ा और घुमावदार होता है वह। कुटिल व्यक्ति के विचार सदा प्रदूषित रहते हैं। यह मन का प्रदूषण उच्च रक्तचाप की जड़ है। उच्च रक्तचाप से जुड़े तमाम खतरों के बीच प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं (अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड) का बढ़ता चलन चिंताजनक है। चिंता इसलिए कि खतरों को जानते-बूझते भी ऐसे खाद्य पदार्थों की बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने लगी है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में बताया गया है कि नियमित रूप से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाने से समय पूर्व मौत का जोखिम चार फीसदी बढ़ जाता है, जिसमें उच्च रक्तचाप प्रमुख है। आमतौर पर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ रेडी टू यूज होते हैं। पैकेट वाले स्नैक्स, डिब्बाबंद फूड, कोल्ड ड्रिंक इसकी श्रेणी में आते हैं। हाई ब्लडप्रेशर का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है। इससे बचने के लिए न केवल डाइट और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि तनाव को कम करना और शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज भी बेहद जरूरी है। आजकल 18 साल से 50 वर्ष के लोग हाइपरटेंशन के अधिक शिकार हैं। हालांकि साठ साल की उम्र से पहले पुरुषों में उच्च रक्तचाप का खतरा ज्यादा रहता है, पर बाद में स्त्री-पुरुष दोनों में ही खतरे की आशंका बराबर होती है।

देखा गया है कि जो व्यक्ति गुस्सा नहीं करते, वो कम बीमार होते हैं। जिस व्यक्ति को गुस्सा ज्यादा आता है, उनमें ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, गंभीर रूप से पीठ में दर्द की शिकायत देखी गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पेट की शिकायत भी हो सकती है। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस उच्च रक्तचाप की रोकथाम और नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसमें नियमित व्यायाम करना, स्वस्थ भोजन और संतुलित आहार खाना, तंबाकू, अत्यधिक शराब और धूम्रपान से बचना शामिल है। जीवनशैली में ये बदलाव उच्च रक्तचाप और इसकी जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। व्यक्ति की भावनाएं, सोच, विचार और आदत में अन्तरसंबंध होता है। हमारे विचार, हमारे सोच को प्रभावित करते हैं और सोच से आदत बदलती है। इसके लिए आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस का एक प्रमुख संदेश नियमित रक्तचाप की निगरानी का महत्व है। उच्च रक्तचाप को अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि आमतौर पर इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि यह गंभीर जटिलताएं पैदा न कर दे। नियमित रक्तचाप जांच से उच्च रक्तचाप का शीघ्र पता लगाने और जटिलताओं को रोकने के लिए समय पर हस्तक्षेप करने में मदद मिल सकती है। स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा बताई गई दवाएं लेना भी शामिल है।


चिकित्सा-विज्ञान की अपूर्व प्रगति ने मनुष्य को इस जीवनघाती व्याधि से बचाने में कल्पनातीत सहयोग दिया है। रोग-निदान करने वाले अति संवेदी सूक्ष्म उपकरण, औषध-विज्ञान और सफल शल्य-क्रिया-ये सब किसी मृत्युंजयी तत्त्व से कम नहीं हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि इतना सब कुछ होते हुए भी उच्च रक्तचाप जैसी जानलेवा बीमारी का राक्षसी-पंजा नियंत्रण के बाहर है। जो चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं, वे आम-आदमी के लिए अलभ्य हैं। इस महंगी चिकित्सा-सेवा के द्वारा संपन्न व्यक्ति भले ही मृत्यु के निमंत्रण को एक अवधि तक टाल दें, किंतु गरीबों की दयनीय दशा की कल्पना कौन कर सकता है? मियामी विश्वविद्यालय अमेरिका के वैज्ञानिकों/डॉक्टरों ने अपनी संयुक्त विज्ञप्ति में अपील की है कि मानसिक तनावों को अपने पर हावी न होने दें। इस संबंध में लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के तौर-तरीके सिखाने चाहिए। उनका मानना है कि निरंतर तनाव-ग्रस्त रहने और भोजन में चिकने पदार्थों का अधिक सेवन करने वालों पर हाई ब्लड प्रेशर का आक्रमण आसानी से हो जाता है। तनाव मुक्त रहने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति सुरक्षित रहती है।

तमाम तरह के शोध इस बात का खुलासा करते रहे हैं कि ऐसे डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थों में शुगर, फैट और नमक की मात्रा काफी अधिक होती है, जबकि फाइबर व अन्य पोषक तत्व कम होते हैं। इसीलिए प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुएं उच्च रक्तचाप से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा देती हैं। लोग बेपरवाह होकर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। खास तौर से नई पीढ़ी को ऐसी खाद्य वस्तुएं अधिक लुभा रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस की ओर से जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत का प्रसंस्कृत खाद्य बाजार 2011 से 2021 तक 13.37 फीसदी की सालाना दर से बढ़ा है। हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान इस क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 5.50 प्रतिशत रह गई थी, लेकिन यह अस्थायी दौर था। इसके बाद फिर इनकी उपलब्धता सहज होने लगी। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगियों में नियंत्रित परीक्षणों से पता चलता है कि पूरक पोटेशियम, फाइबर, एन-3 फैटी एसिड और फलों और सब्जियों से भरपूर और कम संतृप्त वसा वाले आहार से रक्तचाप में कमी आती है। कुछ जनसंख्या अध्ययन आहार प्रोटीन और रक्तचाप के स्तर के बीच विपरीत संबंध दिखाते हैं। नियमित रूप से कॉफी पीने से उच्च रक्तचाप के रोगियों में रक्तचाप बढ़ जाता है। ‘तनाव’ की भूमिका रहस्यमय बनी हुई है, ‘नौकरी का तनाव’ एवं ‘पारिवारिक तनाव’ उच्च रक्तचाप के लिए एक संभावित स्वतंत्र जोखिम कारक है।


चिंता इस बात की है कि खतरनाक बन रही खाद्य वस्तुओं को बाजार से हटाने का भारत में मजबूत तंत्र नहीं है। यहां तक कि शराब और धूम्रपान जैसे नशे की चीजों को नियंत्रित करने के लिए भी कोई ठोस नीति नहीं है। असल में उच्च रक्तचाप को लेकर सरकारी स्तर पर कोई चिंतन एवं चिन्ता भी नजर नहीं आती। यह बात सही है कि केंद्र और राज्य की सरकारों ने लोगों के पोषक आहार के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं, लेकिन बाजार में बिक रही उच्च रक्तचाप के लिए नुकसानदेह वस्तुओं पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। लुभाने वाले विज्ञापन इन उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती। जरूरी है कि सरकार नुकसानदायक खाद्य पदार्थों को लेकर सख्त विज्ञापन और विपणन नीति तो बनाए ही, इसे सख्ती से लागू भी करे।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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