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World Laughter Day : हंसी ही दुनिया को एकजुट करने में सक्षम

विश्व हास्य दिवस एक उपहार है एवं बिना खर्च के खुशियाँ मनाने एवं हंसकर तनाव दूर करने का विलक्षण एवं अद्भुत दिन है। यह हमें एकजुट करता है, जीवन को बेहतर बनाता है।

Lalit Garg
Written By Lalit Garg
Published on: 5 May 2024 10:02 AM GMT (Updated on: 5 May 2024 10:30 AM GMT)
World Laughter Day : हंसी ही दुनिया को एकजुट करने में सक्षम
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World Laughter Day : विश्व हास्य दिवस एक उपहार है एवं बिना खर्च के खुशियाँ मनाने एवं हंसकर तनाव दूर करने का विलक्षण एवं अद्भुत दिन है। यह हमें एकजुट करता है, जीवन को बेहतर बनाता है। मई महीने के पहले रविवार को मनाये जाने वाला यह दिन हंसने-हंसाने के बहुत सारे अवसर प्रदत्त कर अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास को सुनिश्चित करता है। हंसने-हंसाने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है, वहीं दिल से हंसना भी किसी दवा से कम नहीं है। अध्ययन के मुताबिक, जो लोग अक्सर हंसते हैं वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं, बेहतर, समृद्ध और खुश रहते हैं साथ ही उनकी ऊर्जा भी काफी सकारात्मक होती है। दूसरे आप पर हंसकर आपको दुःखी करें, तनाव दें, उससे पहले खुद पर हंसना सीखें। आप खुद अपनी कमियों पर हंसकर उसे अवसर के रूप में देखें। ज्यादातर लोग दूसरों की हंसी को काफी गंभीरता से लेते हैं और दुखी हो जाते हैं। जबकि खुद पर हंसना आपको अधिक संवेदनशील, जुझारू, जीवट वाला, स्वस्थ और अधिक प्रामाणिक होने में सक्षम बनाता है।

विश्व हास्य दिवस मुस्कुराने का बहाना ही नहीं, एक प्रेरणा एवं जिजीविषा है। इस दिन को अमल में लाने का क्रेडिट हास्य योग आंदोलन के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया को जाता है। जिन्होंने ही मुंबई में पहली बार 11 जनवरी 1998 को विश्व हास्य दिवस को मनाया था। जिसका खास उद्देश्य समाज में बढ़ते तनाव, अशांति, चिन्ता एवं परेशानियों को कम करके उन्हें सुखी जीवन जीने की सीख देना था। क्योंकि हँसना सभी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक है। हंसी हमारे जीवन की सफलता की चाबी है, वह अनेक समस्याओं का समाधान भी है। हंसी दुखी दिल के घावों को भरने वाला मलहम है। हमारे चेहरे का व्यायाम है और मन का आराम। शोध कहते हैं कि जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं, हमारा हंसना कम हो रहा है। इसी पर लेखक मिशेल प्रिटचार्ड कहती हैं, ‘हम इसलिए कम नहीं हंसते कि हम बूढ़े हो गए हैं। हम बूढ़े ही इसलिए हुए कि हमने हंसना बंद कर दिया है।’

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आज का इंसान अपनी मुस्कुराहट व हँसी को भूलता जा रहा है, फलस्वरूप तनावजन्य बीमारियाँ, जैसे- उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि को निमंत्रण दे रहा है। हँसने से ऊर्जा और ऑक्सीजन का संचार अधिक होता है। शरीर में से दूषित वायु बाहर निकल जाती है। हमेशा खुलकर हँसना शरीर के सभी अवयवों को ताकतवर और पुष्ट करता है। साथ ही शरीर में रक्त संचार की गति को बढ़ाता है। इसके अलावा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से कार्य करता है। इसलिये डॉक्टर भी हर बीमारी के रोगी के लिये हास्य को उपयोगी बताते हैं। जो लोग हमें हंसाते हैं, वे हमारी स्मृतियों में रच-बस जाते हैं। हम किसी को पसंद या नापसंद कई कारणों से कर सकते हैं। पर लंबे समय तक हमारे प्रेम के हकदार वे लोग बनते हैं, जो हमें हंसाते हैं और हमारे चेहरे की हंसी बन जाते हैं। शायद इसीलिए विक्टर बोर्ग कहते हैं, ‘हंसी दो लोगों के बीच की दूरी को पार करने का सबसे छोटा पुल है।’ हंसना एक ऐसा बेशकीमती उपहार है, जो कुदरत ने केवल मनुष्य को ही बख्शा है। हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। इसमें जाति, धर्म, रंग, लिंग से परे रहकर मानवता को समन्वय करने की क्षमता है। यह इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम है। हंसी विभिन्न समुदायों को जोड़कर नए विश्व का निर्माण करने में सक्षम हैं। यह विचार भले ही काल्पनिक लगता हो, लेकिन लोगों में गहरा विश्वास है कि हंसी ही दुनिया को एकजुट कर सकती है। इसीलिये मार्टिन लूथर ने कहा है कि यदि मुझे स्वर्ग में हंसने की आज्ञा न हो तो मैं स्वर्ग नहीं जाऊंगा।

उदासी और बेचैनियों के बादल छाए रहते हैं, हंसी की धूप खिल नहीं पाती। लेखिका एमिली मिचेल कहती हैं, ‘हंसी के बिना बीता दिन, अंधेरे में रहने जैसा है, आप अपना रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश तो करते हैं, पर उसे साफ-साफ नहीं देख पाते।’ हंसना एक ऐसा सकारात्मक भाव एवं ऊर्जा है जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को प्रभावी, समृद्धिशाली एवं तेजस्वी बनाता है। हास्य एक शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने की क्षमता हैं। यह व्यक्ति के विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में हंसता है तो उसकी हंसी से सकारात्मक ऊर्जा सम्पूर्ण परिवेश में व्याप्त हो जाती है। दुनिया में सुख एवं दुःख दोनों ही धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं। यदि मनुष्य दोनों परिस्थितियों में हँसमुख रहे तो उसका मन सदैव काबू में रहता है व वह चिंता से बचा रह सकता है। हंसने से आत्मा खिल उठती है। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है, निराशा और चिंता का अचूक इलाज और दुःखों के लिए रामबाण औषधि है। हंसी एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। लंदन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोफी स्कॉट कहती हैं कि, ‘हंसी के द्वारा हमारा अवचेतन मन ये संकेत देता है कि, हम सुकून में हैं और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

जापान में भगवान बुद्ध के शिष्य थे होतेई। वह बड़े अलमस्त स्वभाव के भिक्षुक थे। वह बेहद निर्लिप्त और निरपेक्ष भाव से जीवन जीने में विश्वास रखते थे। वह जिस कार्य को करते, उसमें पूरी तरह डूब जाते थे, तन्मय हो जाते। जापान में ऐसी मान्यता है कि एक बार होतेई मेडिटेशन करते-करते इतने रोमांचित हो गए कि ध्यानावस्था में जोर-जोर से हंसने लगे। इस अद्भुत घटना के उपरांत ही लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा के नाम से संबोधित करने लगे। घूमना-फिरना, देशाटन करना, लोगों को हंसाना व खुशी प्रदान करना लाफिंग बुद्धा का ध्येय बन गया। चीन में लाफिंग बुद्धा को पुताई के नाम से भी जाना जाता है। चीनी लोग उन्हें एक ऐसे भिक्षुक के नजरिए से देखते हैं, जो एक हाथ में धन-धान्य का थैला लिए, चेहरे पर खिलखिलाहट बिखेरे अपना बड़ा पेट और थुलथुल बदन दिखाकर सभी को हंसाते हुए सकारात्मक ऊर्जा देते हैं। वे समृद्धि व खुशहाली के संदेशवाहक और घरों के वास्तुदोष निवारण के प्रतीक भी माने जाते हैं। जापान जैसे देशों में लोग अपने बच्चों को प्रारंभ से ही हँसते रहने की शिक्षा देते हैं, ताकि उनकी भावी पीढ़ी सक्षम एवं तेजस्वी हो।

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दुनिया के अधिकतर देश आतंकवाद, हिंसा, युद्ध एवं महामारियों के डर से सहमे हुए हैं, ऐसे समय विश्व हास्य दिवस की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले दुनिया के लोगों में इतनी घबराहट और अशांति कभी नहीं देखी गई। आज हर व्यक्ति के अंदर घबराहट और अशांति का कोहराम मचा हुआ है। ऐसे दौर में केवल हंसी ही दुनियाभर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर टेरीजा एमाबाइल ने कहा है कि, हँसते समय हमारा दिमाग सबसे अधिक क्रिएटिव होता है। हमें न केवल पारिवारिक परिवेश में बल्कि ऑफिस में हंसी-मजाक को बढ़ावा देना चाहिए। ऑफिस का माहौल मेल-जोल और हंसी मजाक वाला हो, जिससे टीम के बीच काम के प्रति उत्साह का संचार हो सके। खूबसूरत चेहरे के लिए हंसना कारगर साबित हो सकता है। हंसने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। मेडिकल प्रयोगों में पाया गया है कि, 10 मिनट तक हंसते रहने से दो घंटे की गहरी नींद आती है।

हंसने वाले व्यक्तियों के कई सारे मित्र बन जातें हैं और इस प्रकार उनमें भाईचारा और एकता की भावना कब उत्पन्न होती हैं, पता ही नहीं चलता। हर व्यक्ति के जीवन में हड़कंप मचा हुआ है। तब ‘हास्य दिवस’ की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं देखी गई। इस व्यस्त, अशांत एवं तनावग्रस्त जिंदगी में लोग कम से कम एक दिन तो अपने लिए निकालें और जी भरकर हंसे और हंसायें। तभी ओशो ने कहा है कि जब आप हंसने के पश्चात शांत हो जाएंगे तो यह महसूस करेंगे कि, पूरा विश्व, ये पेड़-पौधे, सितारे, पत्थर, पर्वत, सब आपके साथ हंस रहे हैं।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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