World Population Day : भारत की परिवार नियोजन यात्रा, हमारे निर्णायक क्षण और चुनौतियां

World Population Day : इस विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के पर हम परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर गौर करते हैं। हम अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।

J. P. Nadda
Written By J. P. Nadda
Published on: 11 July 2024 5:33 PM GMT (Updated on: 11 July 2024 5:41 PM GMT)
World Population Day : भारत की परिवार नियोजन यात्रा, हमारे निर्णायक क्षण और चुनौतियां
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World Population Day : इस विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के पर हम परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर गौर करते हैं। हम अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। जैसा कि मई 2024 में जनसंख्या विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीपीडी) के 30वें सम्मेलन में संकल्प व्यक्त किया गया है, भारत ने न केवल आईसीपीडी के एजेंडे को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है, बल्कि बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं और नाटकीय रूप से बेहतर स्वास्थ्य संबंधी नतीजों, विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के जरिए जमीनी स्तर पर जबरदस्त प्रगति का प्रदर्शन किया है।

जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के प्रति रवैया

भारत में मिलेनियल महिलाएं छोटे परिवारों को चुन रही हैं। ऐसे प्रत्येक परिवार में औसतन केवल दो बच्चे होते हैं। यह प्रवृत्ति पिछले दशक में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जिसके दौरान प्रजनन आयु (15 से 49 वर्ष) की आधी से अधिक महिलाओं (57 प्रतिशत) ने आधुनिक गर्भनिरोधकों का सक्रिय रूप से उपयोग किया है। गर्भनिरोधकों का यह व्यापक उपयोग भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है। हालांकि, परिवार नियोजन का आशय केवल गर्भनिरोधकों से कहीं आगे है। यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य एवं कल्याण का अभिन्न अंग है। यह महिलाओं, लड़कियों एवं युवाओं को अधिकार और विकल्प प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है। 10-24 वर्ष की आयु के 369 मिलियन युवाओं के साथ, भारत एक परिवर्तनकारी जनसांख्यिकीय बदलाव के दौर से गुजर रहा है और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए तैयार है। इसके अलावा, पिछले कुछ दशकों में, इस कार्यक्रम में काफी विकास हुआ है और परिवार नियोजन के विभिन्न तरीकों को अपनाया गया है, जिसमें क्लिनिक-आधारित से लेकर लक्ष्य-उन्मुख तरीके और अब परिवार नियोजन विकल्पों को स्वैच्छिक रूप से अपनाना शामिल है। यह बदलाव आबादी की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नीतियों को ढालने का प्रतिनिधित्व करता है।

राष्ट्रीय जनसंख्या और स्वास्थ्य संबंधी नीतियां परिवार नियोजन की अधूरी रह गई उस जरूरत को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देती हैं, जिसे वैसी महिलाओं के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चे नहीं चाहती हैं या बच्चे को जन्म देने में देरी करना चाहती हैं, लेकिन गर्भनिरोधक का कोई भी तरीका नहीं अपना रही हैं। इस कार्यक्रम ने 2012 में प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच+ए) दृष्टिकोण के संस्थागतकरण के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, साथ ही परिवार नियोजन 2020 और अब परिवार नियोजन 2030 के माध्यम से परिवार नियोजन पर वैश्विक स्तर पर जोर दिया गया। इसने निरंतर जागरूकता बढ़ाने, सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने, सूचना और सेवाओं की सुलभता में सुधार करने, गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा का विस्तार करने, अंतिम छोर तक दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता संबंधी आश्वासन सुनिश्चित करने और उच्च प्रजनन क्षमता वाले क्षेत्रों में नई रणनीतियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

सांकेतिक फोटो - Social Media

किसी देश की प्रगति और विकास जनसंख्या के आयामों से जुड़ा हुआ है। भारत पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (टीएफआर 2.0) को प्राप्त कर चुका है और एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं, जो इसकी यात्रा की सफलता की कहानी है। इसके साथ-साथ परिवार नियोजन को मातृ एवं शिशु रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए भी वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है, जिसने समग्र नीतिगत उद्देश्यों को व्यापक तरीके से विस्तारित किया है। भारतीय राज्यों की जनसांख्यिकीय विविधता दुनिया में अनूठी है और परिवार नियोजन की रणनीतियों को इसके अनुरूप ही ढाला गया गया है। सुलभ गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा को व्यापक बनाने के साथ-साथ, यह रणनीति विवाह की आयु, पहले जन्म की आयु और लड़कियों की शैक्षिक प्राप्ति जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण रूप से विचार करती है। ये कारक परिवार नियोजन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं जो राष्ट्र की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है।

मिशन परिवार विकास (एमपीवी) : परिवार नियोजन में बदलाव

भारत सरकार के प्रमुख परिवार नियोजन कार्यक्रमों में से एक, मिशन परिवार विकास को 2016 में सात राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) के उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। यह व्यापक अभियानों के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर आधारित था।

इसके तहत, सारथी वाहनों (वाहन के जरिये जागरूकता), युवा महिलाओं के लिए गर्भनिरोधकों तक पहुंच की सुविधा में सामाजिक बाधाओं को दूर करने के लिए सास बहू सम्मेलनों का आयोजन और नवविवाहित जोड़ों को परिवार नियोजन और जिम्मेदार माता-पिता की प्रथाओं के बारे में जागरूक बनाने के लिए नई पहल किट प्रदान करने जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को शामिल किया गया था। साथ ही, एक मजबूत परिवार नियोजन लॉजिस्टिक्स प्रबंधन सूचना प्रणाली का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण सेवाएं और गर्भनिरोधकों की निर्बाध आपूर्ति के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को तैयार किया गया था।

आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ और कार्यक्रम में शामिल जिलों में इनके उपयोग में तेजी देखी गयी, जो एमपीवी कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। एमपीवी जिलों में आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में इन बेहतर परिणामों के कारण सरकार ने 2021 में इस कार्यक्रम को सात राज्यों के सभी जिलों और छह पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने का निर्णय लिया।

राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत विकल्पों का विस्तार

जनसंख्या की बदलती जनसांख्यिकी और जरूरतों के अनुरूप, वित्तीय वर्ष 2016-17 में गर्भनिरोधक विकल्पों का विस्तार किया गया। वर्तमान में, राष्ट्रीय नियोजन कार्यक्रम कंडोम, अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण, मुंह से ली जाने वाली गोलियां, एमपीए इंजेक्शन समेत विभिन्न प्रकार के प्रतिवर्ती आधुनिक गर्भनिरोधक प्रदान करता है। 10 राज्यों में, जिनमें से प्रत्येक में दो जिले शामिल हैं, उपत्वचीय प्रत्यारोपण और त्वचा के नीचे दिया जाने वाला इंजेक्शन (अंतरा-एससी) शुरुआती चरण में हैं, जिसकी आने वाले वर्षों में पूरे भारत में विस्तार की योजना है।

कार्रवाई का आह्वान

हम विश्व जनसंख्या दिवस 2024 मना रहे हैं, जिसका विषय है “मां और बच्चे के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए गर्भावस्था का स्वस्थ समय और अंतराल।” हम अपने राज्य समकक्षों के प्रयासों और हमारे स्वास्थ्य कार्यबल, जिसमें एएनएम, आशा और अन्य जमीनी स्तर के कार्यकर्ता शामिल हैं, के अथक समर्पण को स्वीकार करते हैं, जो महत्वपूर्ण जानकारी और सेवाएं देने में सबसे आगे हैं। दुनिया के युवाओं, किशोरों, महिलाओं और बच्चों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे देश में रहता है, जो हमें जनसांख्यिकीय लाभांश का अनूठा उपहार देता है, साथ ही हमारे लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में निवेश करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।

सांकेतिक तस्वीर (Photo- Social Media)

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं और गर्भनिरोधकों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच महत्वपूर्ण है। सरकार पहुंच से संबंधित बाधाओं, गर्भनिरोधक विधियों के बारे में गलत धारणाओं, जरूरतमंदों के बीच जागरूकता की कमी, भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियों और प्रतिबंधात्मक सामाजिक व सांस्कृतिक मानदंडों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। परिवार नियोजन सेवा अदायगी में सुधार के लिए पर्याप्त निवेश किया जा रहा है, जिसमें अस्थायी और दीर्घकालिक गर्भनिरोधक विधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पर्याप्त बजटीय आवंटन और स्वास्थ्य सुविधाओं और सामुदायिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से निर्बाध आपूर्ति बनाए रखना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा रहा है। डिजिटल दुनिया के तेज विकास को देखते हुए, सरकार हमारे विज़न को इससे जोड़ने और प्रसारित करने के अवसर का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सूचना और सेवाओं तक पहुंच के मामले में कोई भी पीछे न छूट जाये।

सहयोग और समर्पण की आवश्यकता

हमारे परिवार नियोजन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी हितधारकों के सहयोग और समर्पण की आवश्यकता है। गर्भनिरोधक विधियों की सीमा का विस्तार करके हमारे युवाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इसके अलावा, भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को सतत विकास, शहरीकरण और प्रवास की जटिलताओं का समाधान करना चाहिए। इन कारकों को हमारी नीतियों में एकीकृत करना यह सुनिश्चित करता है कि जनसांख्यिकीय वृद्धि समाज के सभी वर्गों के लिए एक स्थायी भविष्य और समावेशी समृद्धि के रूप में सामने आये। सफल लक्ष्य कार्यक्रमों की गूंजती हुई प्रतिध्वनियों का विशिष्ट रणनीतियों के साथ तालमेल होना चाहिए, ताकि आगे के आशाजनक विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कमियों को दूर किया जा सके।

इस विश्व जनसंख्या दिवस पर, आइए हम सभी भारत भर के वंचित और कमज़ोर समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ एक उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य बनाने का संकल्प लें। आइए हम एक ऐसे भविष्य के लिए प्रयास करें, जहां हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश पूरी तरह से साकार हो, जहां प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की सुविधा हो और जहां हमारे लोगों का स्वास्थ्य और कल्याण हमारे राष्ट्र की प्रगति व समृद्धि का आधार हो। हम सब मिलकर इस विज़न को हकीकत बना सकते हैं।

(लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री हैं।)

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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