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दुश्मनों से परेशान हैंः आज ही रात करें माँ छिन्नमस्ता की पूजा 

क्यों देवी छिन्नमस्ता आपको राहुकृत पीड़ा से मुक्ति दिला सकती हैं। दोनों के ही सिर कटे हुए हैं, लेकिन फरक ये है कि दोनों के सर कटने का कारण अलग-अलग है। राहु चोरी से अमृत पी रहे थे इसलिए उनका सिर कटा और देवी छिन्नमस्ता ने अपनी सहचरियों की भूख मिटाने के लिए अपना सिर खुद काटा और उनकी भूख मिटाई।

राम केवी
Published on: 6 May 2020 4:03 PM IST
दुश्मनों से परेशान हैंः आज ही रात करें माँ छिन्नमस्ता की पूजा 
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सीमा गुप्ता

आज सोने पे सुहागा वाली बात होगी जिन्हें आज सिद्धि प्राप्त करनी है । आज चतुर्दशी है , सिद्धि योग है , आज 1 बजकर 52 मिनिट पर स्वाति नक्षत्र है जो कि स्वयं राहु का नक्षत्र है। इसलिए यह योग अद्धभुत हैं । राहु के दोष को खत्म करने के लिए बुधवार या शनिवार को अनुष्ठान किया जाता है। आज माँ छिन्नमस्ता की जयंती और राहु के नक्षत्र के दिन इस योग का लाभ उठाएं।

सारे कार्य को सिद्ध करने वाली, दस महाविद्याओं में से एक मां छिन्नमस्ता की पूजा से व्यक्ति को तंत्र-मंत्र की सिद्धि भी प्राप्त होती है। मां छिन्नमस्ता दया और ममता की पराकाष्ठा हैं और इस बात का प्रमाण इसी से मिलता है कि उन्होंने अपनी दो सहचरियों की भूख मिटाने के लिये अपना सिर काट दिया था, जिससे वो रक्त पी कर अपनी भूख शांत कर सकें।

( छिन्नमस्ता मतलब कटा हुआ सर )

माँ छिन्नमस्ता की साधना से आप अपार लक्ष्मी, जीवन में बेहतरी, अच्छा स्वास्थ्य और वाणी की सिद्धि भी पा सकते हैं। राहु का साल है 2020 2+2 = 4 मतलब राहु, राहु अंधकार हैं, भ्रम हैं, राहु सर हैं, उसको कुछ महसूस नहीं होता सिर्फ वो सोच सकता है और लोगों को अपने वश में कर सकता है।

अब आते हैं कोरोना पर। कोरोना की राशि मिथुन है, मिथुन नैसर्गिक कुंडली में तीसरा स्थान आता है। तीसरा स्थान मतलब पराक्रम या भुजायें, बिना पराक्रम कुछ भी सम्भव नहीं। मिथुन राशि में स्वयं राहु विराजमान हैं। राहु के आर्द्रा नक्षत्र में आते ही बीमारी ने अपना स्वरूप फैलाया। इसलिए माँ छिन्नमस्ता के स्वरूप का ध्यान करके संसार से इस बीमारी को खत्म करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

क्यों देवी छिन्नमस्ता आपको राहुकृत पीड़ा से मुक्ति दिला सकती हैं। दोनों के ही सिर कटे हुए हैं, लेकिन फरक ये है कि दोनों के सर कटने का कारण अलग-अलग है। राहु चोरी से अमृत पी रहे थे इसलिए उनका सिर कटा और देवी छिन्नमस्ता ने अपनी सहचरियों की भूख मिटाने के लिए अपना सिर खुद काटा और उनकी भूख मिटाई।

जमीन और आसमान का फरक है दोनों के उद्देश्यों में, दोनों का सर कटा हुआ है, उगता हुआ सूरज भी लाल रंग का होता है और डूबता हुआ सूरज भी लाल रंग का, लेकिन बड़ा फरक है दोनों में, डूबते हुए सूरज को कोई नहीं पूछता। और अगर सूरज डूबने के कारण अंधेरा हो जाए तो उस अंधेरे को फिर उगता सूरज ही खत्म कर सकता है।

राहु के मिथुन राशि में गोचर के कारण कोरोना फैल रहा है, मानव जाति के आगे अंधेरा छा गया है, राहु अंधकार है तो देवी छिन्नमस्ता सूर्य का प्रकाश है इस प्रकाश रूपी पर्व से राहु रूपी अंधकार को मिटायें।

(लेखिका आध्यात्मिक गुरु हैं)



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राम केवी

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