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Yoga Day 2021: योग करें, घर पर रहें

Yoga Day 2021: योग की प्रथाओं और अवधारणाओं की उत्पत्ति भारत में हमारी प्राचीन सभ्यता की शुरुआत के साथ हुई थी।

Ramesh Pokhriyal
Written By Ramesh PokhriyalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 20 Jun 2021 3:04 PM GMT (Updated on: 20 Jun 2021 3:05 PM GMT)
There are many types of yoga asanas, in which shavasana and shasakasana reduce stress
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योग दिवस (फोटो-सोशल मीडिया)

Yoga Day 2021: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को अंगीकृत किया था। यह दो कारणों से एक ऐतिहासिक क्षण था: पहला कारण यह कि वर्ष 2014 में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस प्रस्ताव के रखे जाने के बाद, इसे संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों द्वारा 90 दिनों से भी कम समय में लागू किया गया और दूसरा कारण यह कि इसके सह-प्रायोजक के रूप में 177 राष्ट्र शामिल हुए थे जो किसी भी आम सभा के प्रस्ताव के लिए अब तक की सबसे अधिक संख्या है।

आज, जब हम योग दिवस की 7वी वर्षगांठ मना रहे हैं और कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर के लोगों का सामान्य जीवन लगातार अस्त-व्यस्त हो रहा है और आजीविका में बाधाएं आ रही हैं तो ऐसी स्थिति में योग की प्रासंगिकता कई गुना बढ़ गई है।

शारीरिक व्याधियों को कम करने के लिए प्रयासरत

योग की प्रथाओं और अवधारणाओं की उत्पत्ति भारत में हमारी प्राचीन सभ्यता की शुरुआत के साथ हुई थी। हमारे महान संतों और ऋषियों ने शक्तिशाली योग विज्ञान को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहुँचाया और इसे आम आदमी के लिए सुलभ बनाया।

यह सर्वाधिक आश्चर्यजनक अभ्यासों में से एक है जो मन, आत्मा और शरीर को सुव्यवस्थित करता है और मन की शुद्धता चाहने वालों के लिए पारितोषिक का काम करता है। योग उन व्यक्तियों के लिए एक आवश्यक उपकरण की तरह है जो अपने दैनिक जीवन में तनाव और अत्यधिक दबाव का सामना कर रहे हैं और साथ ही, अपनी गतिशीलता को सुधारने और अन्य शारीरिक व्याधियों को कम करने के लिए प्रयासरत हैं।

आज, कोविड-19 ने मानवता के लिए सबसे बडा संकट पैदा कर दिया है। इस महामारी ने मानव जीवन को काफी नुकसान पहुंचाया है और जन-स्वास्थ्य के लिए अभूतपूर्व चुनौतियां पैदा की हैं। अभी जो स्थिति बनी हुई है, उसके कारण हम सभी अपने घरों में ही रहकर प्रतिबंधित जीवन जीने को मजबूर हैं और हमें लगातार संक्रमण के खतरे का डर सता रहा है और इसलिए हमारी चिंता भी बढ़ती जा रही है।

इतने लंबे समय तक एक जगह बंधकर रहने की स्थिति ने हमारी अन्य शारीरिक बीमारियों के लिए ईंधन का काम किया है और हमारे मानसिक तनाव और चिंता में वृद्धि की है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न हुए इस संकट ने प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के और इसलिए एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के महत्व को रेखांकित किया है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में योग की प्रभावशीलता कई अध्ययनों से साबित हो चुकी है। योग शारीरिक व्यायाम, सांस लेने के अभ्यास और एकाग्रता की बेहतरी का एक संयोजन है जिससे शरीर और दिमाग सुदृढ़ बनते हैं और फलस्वरूप हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।


योगा सबके लिए जरूरी

योग आसन कईं प्रकार के हैं, जिनमें शवासन और शसाकासन से तनाव कम होता है और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। प्राणायाम जैसे श्वसन अभ्यास से हमारा श्वसन तंत्र मजबूत बनता है और फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।

त्रिकोणासन से रक्त के संचरण में सुधार होता है और सभी अंगों का इष्टतम कामकाज सुनिश्चित होता है। इसलिए योग का अभ्यास न केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक है बल्कि यह मानव शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

कई चिकित्सकों और विशेषज्ञों का सुझाव है कि कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले जिन रोगियों को घर पर पृथकवास में रहने की सलाह दी गई है, उन्हें इस घातक वायरस से लड़ने के लिए योग-आसन और सांस लेने का व्यायाम करना चाहिए। चूंकि यह वायरस सीधे फेफड़ों पर असर डालता है, इसलिए श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है।

सुझाए गए योगासन संतृप्ति के आदर्श स्तर को प्राप्त करने और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बहाल करने में मददगार हैं। योग का अभ्यास करने की सलाह न केवल कोविड पॉजिटिव मरीजों को बल्कि वायरस से ठीक हो चुके मरीजों को भी दी जा रही है।

योगिक श्वसन, शुरुआती स्तर के योगासनों और एकाग्रता से मानसिक शांति मिलती है और उन रोगियों के पूरे शरीर में शांति एवं ठंड का आभास होता है, जिनको कोविड-19 का दर्दनाक अनुभव हुआ है।

इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित संशोधित श्वसन तकनीक और योग मुद्रा से ठीक हुए कोविड रोगियों में थकान को कम करने और ऊर्जा के स्वाभाविक स्तर की बहाली में सहायता मिली है ।



योग के लाभ केवल वयस्कों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि यह उन बच्चों के लिए भी मददगार हो सकता है जिन्होंने तनाव का अनुभव किया है। कोविड की दूसरी लहर के चलते हमारे अधिकांश स्कूलों को अपनी पारंपरिक भौतिक कक्षाओं को अनिश्चित काल के लिए बंद करने हेतु मजबूर होना पड़ा।

दैनिक जीवन में योग का अभ्यास

इससे हमारे बच्चों पर सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और शैक्षणिक सभी दृष्टियों से अकल्पनीय प्रभाव पड़ा है। हमारे देश में बच्चों और युवाओं की सबसे अधिक आबादी है, इस नाते इस महामारी के दौरान आई बाधाओं से निपटने के लिए हमें और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी ताकि उनका स्वास्थ्य इससे न्यूनतम प्रभावित हो। इसलिए, मैं सभी अभिभावकों और शिक्षकों से अपील करता हूं कि वे अपने बच्चों को अपने दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करें।

योग का अभ्यास बच्चों के लिए अपनी अंतरात्मा से अधिक गहनता से जुड़ने और अपनी ताकत, गतिशीलता एवं समन्वय क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा। इसके अतिरिक्त, इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपनी एकाग्रता को बढ़ाने तथा मन में शांति और तनाव-मुक्ति की भावना को बनाए रखने से युवावर्ग अत्यधिक लाभान्वित होगा ।

आज, जब दुनिया ठहर सी गई है, ऐसे में योग हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने और आंतरिक आत्म-संतुलन बनाए रखने की सबसे प्रभावी स्वास्थ्य कसरत के रूप में उभरा है। योग को वैश्विक स्तर पर अत्यधिक प्रशंसा और लोगों के बीच स्वीकारोक्ति प्राप्त हुई है तथा यह लोगों के व्यावहारिक जीवन एवं सोच में शामिल हो चुका है और इस प्रकार यह भारत की सॉफ्ट पावर का एक प्रबल स्रोत बन चुका है।

आज अगर कोविड का दौर न होता तो हम सभी मन, शरीर और आत्मा के इस मिलन पर्व को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मना रहे होते, परंतु कोविड महामारी के कारण हमसे अपने घरों में ही रहने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। मैं अपने देश के सभी नागरिकों और छोटे बच्चों से अपील करता हूँ कि आप लोग इस वायरस के कारण अपने हौसले और उत्साह को कम न होने दें।

आइए, हम सभी योग के लिए चटाई उठाएं तथा अपने घर पर ही योग दिवस मनाना शुरू करें ताकि हमारे भीतर का उजियारा बाहर आकर प्रकाशमान हो सके और हम इस कठिन समय में भी एक स्वस्थ एवं शांतिपूर्ण मन:स्थिति प्राप्त कर सकें।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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