×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

स्वामी विवेकानंद: देश के युवाओं के कधों पर है युग की कहानी

raghvendra
Published on: 18 Jan 2019 4:56 PM IST
स्वामी विवेकानंद: देश के युवाओं के कधों पर है युग की कहानी
X

देवेन्द्रराज सुथार

युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, दरिद्र नारायण मानव सेवक, तूफानी हिन्दू साधु, करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत व प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी,1863 को कलकत्ता में पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। उस समय यूरोपीय देशों में भारतीयों व हिन्दू धर्म के लोगों को हीन भावना से देखा जा रहा था व समस्त समाज दिशाहीन हो चुका था। भारतीयों पर अंग्रेजियत हावी हो रही थी। ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद ने जन्म लेकर न केवल हिन्दू धर्म को अपना गौरव लौटाया अपितु विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता का परचम भी लहराया। नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बनने का सफर उनके हृदय में उठते सृष्टि व ईश्वर को लेकर सवाल व अपार जिज्ञासाओं का साझा परिणाम था। स्वामी विवेकानंद ने देश के कोने-कोने में जाकर गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के आशीर्वाद से धर्म, वेदांत और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।

4 जुलाई, 1902 को स्वामी विवेकानंद पंचतत्व में विलीन हो गए। वह अपने पीछे असंख्यक युवाओं के सीने में आग जला गए जो इंकलाब एवं कर्मण्यता को निरंतर प्रोत्साहित करती रहेगी। युवाओं को गीता के श्लोक के बदले मैदान में जाकर फुटबॉल खेलने की नसीहत देने वाले स्वामी विवेकानंद सर्वकालिक प्रासंगिक रहेंगे। आज भारत की युवा ऊर्जा अंगड़ाई ले रही है और भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश माना जा रहा है। इसी युवा शक्ति में भारत की ऊर्जा अंतर्निहित है। महत्व इस बात का है कि कोई भी राष्ट्र अपनी युवा पूंजी का भविष्य के लिए निवेश किस रूप में करता है। हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व देश के युवा बेरोजगारों की भीड़ को एक बोझ मानकर उसे भारत की कमजोरी के रूप में निरूपित करता है या उसे एक कुशल मानव संसाधन के रूप में विकसित करके एक स्वाभिमानी, सुखी, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनाता है। यह हमारे राजनीतिक नेतृत्व की राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों की समझ पर निर्भर करता है। साथ ही युवा पीढ़ी अपनी ऊर्जा के सपनों को किस तरह सकारात्मक रूप में ढालती है, यह भी बेहद महत्वपूर्ण है।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। यहां लगभग 60 करोड़ लोग 25 से 30 वर्ष के हैं, जबकि देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। यह स्थिति वर्ष 2045 तक बनी रहेगी। अपनी बड़ी युवा जनसंख्या के साथ भारत अर्थव्यवस्था की नई ऊंचाई पर जा सकता है लेकिन आज देश की बड़ी जनसंख्या बेरोजगारी से जूझ रही है। केंद्र सरकार के रोजगार सृजन पर जोर के बावजूद देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, देश की बेरोजगारी दर 2015-16 में पांच प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पांच साल का उच्च स्तर है।

हमें इस युवा शक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का संतुलित उपयोग करना होगा। यदि हम इस युवा शक्ति का सकारात्मक उपयोग करेंगे तो विश्वगुरु ही नहीं अपितु विश्व का निर्माण करने वाले विश्वकर्मा के रूप में भी जाने जाएंगे। किसी शायर ने कहा है कि ‘युवाओं के कधों पर, युग की कहानी चलती है। इतिहास उधर मुड़ जाता है, जिस ओर जवानी चलती है।’ हमें इन भावों को साकार करते हुए अंधेरे को कोसने की बजाए दीपक जलाने की परंपरा का शुभारंभ करना होगा। युवावस्था एक चुनौती है। वह महासागर की उताल तरंगों को फांदकर अपने उदात्त लक्ष्य का वरण कर सकती है, तो नकारात्मक ऊर्जा से संचालित व दिशाहीन होने पर अध:पतन को भी प्राप्त हो सकती है। उसमें ऊर्जा का अनंत स्रोत है, इसलिए उसका संयमन व उचित दिशा में संस्कार युक्त प्रवाह बहुत आवश्यक है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)



\
raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story