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मुखिया अखिलेश यादव की कमियां जिससे सपा आयी हाशिये पर

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर गठबंधन के भविष्य पर चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में अच्छा जनाधार रखने वाली समाजवादी पार्टी के भविष्य पर भी चर्चा चल निकली है। केवल पांच सीटों पर जीतने वाली सपा के मुखिया से हुई गलतियों पर एक नजर डालते है।

Anoop Ojha
Published on: 25 May 2019 3:28 PM GMT
मुखिया अखिलेश यादव की कमियां जिससे सपा आयी हाशिये पर
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर गठबंधन के भविष्य पर चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में अच्छा जनाधार रखने वाली समाजवादी पार्टी के भविष्य पर भी चर्चा चल निकली है। केवल पांच सीटों पर जीतने वाली सपा के मुखिया से हुई गलतियों पर एक नजर डालते है।

यादव कुनबे में बिखराव

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में चले पारिवारिक ड्रामें से पार्टी लोकसभा चुनाव तक उबर नहीं पायी। सपा के वरिष्ठ नेता व अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी बना कर सपा की सांगठनिक ताकत को कम कर दिया। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सपा को कही कम तो कही ज्यादा नुकसान पहुंचाया।

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मुलायम की भूमिका

सपा के पांच सीट पर सिमटने में पार्टी के संस्थापक और पूर्व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का ढुलमुल रवैया भी बहुत अधिक जिम्मेदार रहा। मुलायम ने संसद में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने की इच्छा की जाहिर कर दी। मुलायम के इस बयान ने सपा कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिराने का काम किया।

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कांग्रेस से गठबंधन

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया लेकिन उनका यह प्रयोग असफल साबित हुआ और भाजपा यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही। इससे सपा का गैर यादव पिछड़ा वोट सरक कर भाजपा के पाले में चला गया। इस प्रयोग से उनके पहले ही राजनीतिक कदम पर प्रश्न चिन्ह लग गये।

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बसपा से गठबंधन

अखिलेश ने चुनाव पूर्व ही बसपा से गठबंधन कर लिया और बहुत अधिक झुक कर किया। इसके साथ ही उन्होंने बसपा मुखिया की रणनीति के मुताबिक कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने का फैसला किया। यह उनके परम्परागत यादव वोट बैंक को पसंद नही आया। इसके अलावा कन्नौज में अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव का जनसभा के मंच पर मायावती के पैर छूना भी सपा के परम्परागत वोटर को पसंद नहीं आया। यही कारण है कि तीसरे चरण के चुनाव के बाद सपा का वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हो पाया।

अत्याधिक आत्मविश्वास

अखिलेश हमेशा यही मानते रहे कि प्रदेश का अधिकांश पिछड़ा वोट और मुसलमान उनके साथ है लेकिन वह यह नहीं भाप पाये कि भाजपा के जातीय सम्मेलनों ने उनके इस वोट बैंक में खासी सेंध लगा दी है और मतदान होने तक अखिलेश के पास पिछडे़ वोट बैंक के नाम पर केवल यादव ही बचा था और मुस्लिम वोट बैंक में कांग्रेस ने सेंधमारी कर दी।

अंकगणित देखी केमेस्ट्री नहीं

अखिलेश यादव ने बसपा व रालोद से गठबंधन कर बीते चुनाव में मिली सीटों और मत प्रतिशत को ही हकीकत मान कर भाजपा को घेरने का दावां कर दिया लेकिन वह यह नहीं समझ पाये कि प्रदेश में यादव और दलितों में खेत-मेढ से लेकर हर तरह के झगड़े परम्परागत तौर पर वर्षों से चले आ रहे है और उनके गठबंधन करने से यह दो परस्पर विरोधी विचारधाराओं का मिलना बहुत ही मुश्किल है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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