नीतीश को लेकर लगातार बदल रहे BJP के सुर, क्या बदलेगा राजनीतिक समीकरण?

aman
By aman
Published on: 28 Nov 2016 8:47 AM GMT
नीतीश को लेकर लगातार बदल रहे BJP के सुर, क्या बदलेगा राजनीतिक समीकरण?
X
नीतीश कुमार ने किया स्पष्ट, PM मोदी की ओर से आयोजित भोज में होंगे शामिल

नीतीश को लेकर लगातार बदल रहे BJP के सुर, क्या बदल रहा राजनीतिक समीकरण? Vinod Kapoor

लखनऊ: बिहार के सीएम और जनतादल यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार को लेकर अब लगातार बीजेपी के सुर बदल रहे हैं। पिछले बीस दिन में गंगा में काफी पानी बह गया। याद करें 8 नवंबर के पहले के नीतीश और बीजेपी के रिश्ते। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहे थे। नीतीश कुमार पीएम नरेंद्र मोदी को उनके घर यानि संसदीय क्षेत्र वाराणसी में घुसकर चुनौती दे रहे थे। बीजेपी भी उनके खिलाफ आक्रामक होने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी।

पहले आक्रामक, फिर तटस्थ और अब तारीफ

अब सवाल ये उठाना लाजिमी है कि पिछले बीस दिन में ऐसा क्या हो गया कि जो बीजेपी नीतीश कुमार पर पूरी तरह आक्रामक थी, वो पहले तटस्थ हुई और अब तारीफ कर रही है। याद कीजिए नीतीश ने जब नोटबंदी का समर्थन किया तो बीजेपी पहले तटस्थ रही। यहां तक कि उनके समर्थन का स्वागत भी बीजेपी की ओर से नहीं किया गया।

नीतीश का लगातार विरोध करने वाले भी खामोश

बिहार में नीतीश सरकार की कमियों को उजागर करने में वहां के बीजेपी के नेता कोई कोर कसर नहीं छोड रहे हैं। बिहार में नीतीश विरोध की कमान सुशील कुमार मोदी और नंदकिशोर यादव ने संभाल रखी है। बिहार बीजेपी के दोनों नेता सरकार की कमजोरी की कोई ना कोई बातें लेकर जनता के सामने आते रहे हैं। नीतीश के नोटबंदी के समर्थन पर जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से पूछा गया तो उन्होंने कहा वो सिर्फ अपनी पार्टी के बारे में बात कर सकते हैं। कोई समर्थन कर रहा है तो ये उनका विषय नहीं है। लेकिन बीजेपी अपनी तटस्थता पर कायम नहीं रह सकी।

आगे की स्लाइडस में पढ़ें कैसे बदल रहे समीकरण ...

अमित शाह ने खुलकर की नीतीश की तारीफ

नीतीश ने पहले पीएम मोदी से नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति पर कड़ी कार्रवाई की मांग की, तो 27 नवंबर को ये ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी 28 नवंबर को होने वाले भारत बंद का समर्थन नहीं करती। भारत बंद से नीतीश समेत अन्य नेताओं के बाहर हो जाने से कांग्रेस को बंद की अपील वापस लेनी पड़ी। उसने इसे 'आक्रोश दिवस' का नाम दिया। ये पहली बार हुआ कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार की तारीफ की। भारत बंद के नीतिश विरोध पर अमित शाह बोले, 'वो नोटबंदी पर समर्थन और बंद के विरोध पर नीतीश कुमार जी का हार्दिक स्वागत करते हैं।'

नीतीश ने पहले बढ़ाया था दोस्ती का हाथ

जब संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर जोरदार बहस जारी थी और विरोध हो रहा था तब नीतीश ने इसे लागू करने में कुछ सुझाव रखे थे जिसे अंशत: मान लिया गया था। नतीजा ये हुआ कि जीएसटी को लागू की घोषणा करने वाला बिहार 'पहला राज्य' बन गया। ये नीतीश की ओर से दोस्ती के लिए बढ़ाया गया पहला कदम माना गया।

आगे की स्लाइड में पढ़ें लालू यादव से किन मुद्दों पर असहमत हैं नीतीश ...

बिहार सरकार में सब कुछ ठीक नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव में जनतादल यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राजद और कांग्रेस से हाथ मिलाया था और सरकार बनाई। लालू पहले ही कह चुके थे कि गठबंधन की सरकार बनी तो नीतीश ही सीएम होंगे। बिहार चुनाव को एक साल बीत गए और गंगा में काफी पानी बह गया है। नीतीश कई बार सरकार चलाने में हो रही दिक्कतों को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। ताजा मामला, नोटबंदी को लेकर है। जिसे लेकर दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं। लेकिन ये पहला मामला नहीं है जिसमें दोनों नेता अलग-अलग राय रखते हैं।

शराबबंदी के फैसले से लालू नाखुश

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार लालू, नीतीश कुमार से उनकी शराबबंदी के फैसले से नाराज हुए। नीतीश कुमार पूर्ण शराबबंदी चाहते थे जबकि लालू प्रसाद इसका समर्थन नहीं कर रहे थे। नीतीश ने लालू के कुछ समर्थक जो बलात्कार और अपराध में लिप्त थे उनपर कड़ी कानूनी कार्रवाई कर दी। ‘विकास बाबू’ और साफ छवि वाले नीतीश को ये गंवारा नहीं था कि कोई समर्थक पार्टी उनकी छवि को दागदार करे। हालांकि लालू प्रसाद इस मामले में कुछ नहीं बोले लेकिन वो अंदर-अंदर नाराज हो गए।

आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या है नीतीश की चाल ...

नीतीश संभलकर चल रहे चाल

यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भी शुरू में समाजवादी पार्टी (सपा) के महागठबंधन बनाने के प्रयास से नीतीश अलग जाते दिखे। उनका बिहार चुनाव को लेकर ही मुलायम से मनमुटाव चल रहा था। मुलायम सिंह यादव ऐन वक्त पर महागठबंधन से बाहर हो गए थे। लिहाजा नीतीश ने मुलायम से बात न कर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष अजित सिंह के साथ गठबंधन जरूरी समझा। अजित सिंह का पश्चिमी यूपी के जाट इलाके में अच्छा प्रभाव है। नीतीश, सपा के स्वर्ण जयंती समारोह में भी नहीं आए और राज्य में छठ त्योहार का बहाना बनाया ।

क्या लालू के बेटे परेशानी का सबब?

दूसरी ओर, लालू प्रसाद ने साफ कह दिया कि उनकी पार्टी यूपी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। उनका कहना था कि वो नहीं चाहते कि वोटों का बंटवारा हो और बीजेपी को इसका फायदा मिले। राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि नीतीश को ज्यादा परेशानी लालू प्रसाद के दो 'अशिक्षित' बेटों से है जिनमें एक उपमुख्यमंत्री भी है। दोनों के बयान सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर देते हैं। नीतीश अब लालू से धीरे-धीरे दूर जाते दिख रहे हैं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या हैं नेचुरल एलायंस की संभावनाएं ...

जेडीयू और बीजेपी का रहा है 'नेचुरल एलायंस'

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के नजदीक जाते दिख रहे हैं। बिहार में जनतादल यू और बीजेपी का 'नेचुरल एलायंस' था। कानून व्यवस्था की हालत पूरी तरह सुधर गई थी और बिहार विकास के रास्ते पर आ गया था। बडे उद्योगपति और व्यापारी बिहार में निवेश के लिए उत्सुक दिखाई दे रहे थे लेकिन सरकार बदलने के बाद कानून व्यवस्था की हालत भी खराब हुई और उद्योग व्यापार को भी धक्का लगा।

साथ आए तो बदलेगी दशा-दिशा

यदि नीतीश नोटबंदी या कानून व्यवस्था की हालत को लेकर सरकार से अलग होते हैं तो वो फिर से बीजेपी की मदद से सरकार बना सकते हैं। लेकिन ये सब ऐसी बातें हैं जिनकी चर्चा अभी बेमानी है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि नीतीश धीरे-धीरे नरेंद्र मोदी के करीब जा रहे हैं। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि यदि मोदी और नीतीश दो साफ छवि के नेता एक साथ आते हैं तो देश और राजनीति की दशा, दिशा बदल सकती है ।

aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story