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बुआ-बेटी की जंगः बंगाल में फैसला मतों से, ममता के नारे को बेदम करने में जुटी भाजपा

Shivani Awasthi
Published on: 28 Feb 2021 9:16 AM IST
बुआ-बेटी की जंगः बंगाल में फैसला मतों से, ममता के नारे को बेदम करने में जुटी भाजपा
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ममता का सबसे बड़ा सियासी दांव, अपने लिए इस कारण चुना नंदीग्राम का रणक्षेत्र

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद भाजपा और टीएमसी के बीच सियासी जंग और तीखी हो गई है। भाजपा के हिंदुत्व और जय श्रीराम के नारे की हवा निकालने के लिए टीएमसी की ओर से दिया गया नारा बंगाल को चाहिए अपनी बेटी लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है।

अब भाजपा ने टीएमसी के इस नारे को बेदम बनाने के लिए नौ महिला नेताओं का पोस्टर जारी करते हुए कहा है कि बंगाल को बेटी चाहिए, बुआ नहीं। हालांकि इस नारे का जवाब देते हुए टीएनसी की ओर से सवाल खड़ा किया गया है कि आखिर कौन सी बेटी। अभी तक भाजपा की ओर से इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया है।

भाजपा कर रही यह कोशिश

भाजपा और टीएमसी के बीच चल रही तीखी तकरार से साफ हो गया है कि इन दोनों दलों के बीच अब बेटी बनाम बुआ की जंग शुरू हो चुकी है। हालांकि भाजपा ने राज्य में ध्रुवीकरण के लिए जय श्रीराम के नारे को किनारे नहीं रखा है मगर इतना जरूर है कि वह बेटी के नारे पर ममता के समर्थन में पैदा होने वाली सहानुभूति की संभावना को खत्म करने में जरूर जुट गई है।

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टीएमसी जोरशोर से उछाल रही नारा

बंगाल की सियासी जंग में भाजपा को करारा जवाब देने के लिए तृणमूल कांग्रेस की ओर से 20 फरवरी को नया अभियान शुरू किया गया था। इस कैंपेन का नारा था बंगाल को चाहिए अपनी बेटी। टीएमसी की ओर से कोलकाता सहित राज्य के अन्य बड़े शहरों में प्रमुख स्थानों पर लगे होर्डिंग पर इस नारे को लिखा गया था।

mamata-didi

जानकारों का कहना है कि यह नारा चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज है और यह नारा जल्द ही लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया। टीएमसी की ओर से आयोजित विभिन्न जनसभाओं में भी पार्टी नेताओं की ओर से यह नारा जोरशोर से उछाला जा रहा है।

जवाब देने में जुटी भाजपा

टीएमसी के इस इमोशनल कार्ड का बढ़ता असर देखकर अब भाजपा भी इसका जवाब देने में जुट गई है। टीएमसी के इस कैंपेन का जवाब देने के लिए बंगाल भाजपा ने नौ महिला नेताओं के पोस्टर जारी कर कहा है कि बंगाल को बुआ नहीं, बेटी चाहिए।

भाजपा ने पोस्टर में बंगाल की नौ महिला नेताओं के चेहरे लगाए हैं। इनमें रूपा गांगुली, देवश्री चौधरी, लॉकेट चटर्जी, भारती घोष और अग्निमित्र पॉल शामिल है। पोस्टर पर लिखा गया है कि बंगाल अपनी खुद की बेटी चाहता है, पिशी (बुआ) नहीं।

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टीएमसी के सवाल का जवाब देना मुश्किल

भाजपा की ओर से ये पोस्टर जारी किए जाने के बाद टीएमसी ने तीखा सवाल करते हुए कहा है कि भाजपा यह तो बताए कि इन नौ महिला नेताओं में पार्टी की ओर से सीएम कैंडिडेट कौन है। टीएमसी नेता जितेंद्र तिवारी ने कहा कि भाजपा को सीएम पद की उम्मीदवार बेटी के नाम का खुलासा करना चाहिए।

mamata and amit shah

भाजपा को जवाब देते हुए टीएमसी की महिला नेता चंद्रिका भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि बुआ भी बंगाल की बेटी हैं। सभी की एक बुआ होती है। जिन चेहरों का भाजपा की ओर से इस्तेमाल किया गया है वे भी किसी की बुआ हैं।

बुआ कहकर भतीजे पर निशाना

भाजपा और टीएमसी की बुआ और बेटी की लड़ाई में कौन जीतता है, यह तो आने वाला चुनाव तय करेगा मगर इतना तो साफ है कि भाजपा ममता को बुआ कहकर कहीं और निशाना लगा रही है।

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दरअसल इस बहाने पार्टी अभिषेक बनर्जी की ओर इशारा करना चाहती है। हाल के दिनों में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अभिषेक बनर्जी पर जमकर निशाना साधा है। उनका कहना है कि ममता बनर्जी अभिषेक बनर्जी के लिए रास्ता तैयार करने की कोशिश में जुटी हुई है।

बंगाल की सियासत में ममता की जुझारू छवि

जानकारों का कहना है कि भाजपा और टीएमसी के बीच बेटियों की इस लड़ाई में एक बात तो साफ है कि भाजपा की ओर से बंगाल की बेटियां बताकर आगे की गईं महिला नेता ममता बनर्जी के सामने कहीं नहीं ठहरती। ममता की स्ट्रीट फाइटर की छवि रही है और बंगाल की सियासत में उन्हें एक जुझारू महिला के तौर पर जाना जाता है।

उन्होंने जनता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लड़ाई लड़ते हुए 2011 में लेफ्ट के 34 साल के शासन का अंत किया था। यही कारण है कि ममता को सत्ता से बेदखल करने के लिए भाजपा को पूरी ताकत लगानी पड़ रही है।

देखने वाली बात यह होगी कि टीएमसी की और से ममता को बंगाल की बेटी बताकर खेले गए इमोशनल कार्ड का जवाब देने में भाजपा कहां तक कामयाब हो पाती है।



Shivani Awasthi

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