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नंबर-2 ही रह गए प्रणब मुखर्जी, राजनीति में लंबी पारी, फिर भी....

प्रणब मुख्रर्जी कांग्रेस पार्टी के लिए मूल्यवान तो वो इंदिरा गांधी के जमाने से ही थे, लेकिन यूपीए एक और दो दोनों सरकारों के लिए तो वो कुछ ऐसे अमूल्य हो गए थे

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 Sep 2020 2:50 PM GMT
नंबर-2 ही रह गए प्रणब मुखर्जी, राजनीति में लंबी पारी, फिर भी....
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प्रणब मुख्रर्जी कांग्रेस पार्टी के लिए मूल्यवान तो वो इंदिरा गांधी के जमाने से ही थे, लेकिन यूपीए एक और दो दोनों सरकारों के लिए तो वो कुछ ऐसे अमूल्य हो गए

नई दिल्ली: पांच दशक से ज्यादा लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले प्रणब मुखर्जी सचमुच भारतीय राजनीति की एक बड़ी शख्सियत थे। कांग्रेस पार्टी के लिए मूल्यवान तो वो इंदिरा गांधी के जमाने से ही थे, लेकिन यूपीए एक और दो दोनों सरकारों के लिए तो वो कुछ ऐसे अमूल्य हो गए थे कि ऐसा लगता था कि उनके बिना गाड़ी चलेगी ही नहीं. 2004 से लेकर 2012 में राष्ट्रपति बनने से ठीक पहले तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रणब मुखर्जी का स्थान प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ठीक बाद ही था।

जो पद संभाले

प्रणब मुखर्जी ने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, सांसद, लोक सभा में नेता सदन, कम से कम 100 मंत्री समूहों के अध्यक्ष और पार्टी के प्रमुख संकटमोचक – इतने पदों को सम्भाला था ।

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पार्टी में नंबर दो ही रहे

इतने विशाल व्यक्तित्व के स्वामी होने के बावजूद प्रणब अपनी पार्टी की नजरों में हमेशा नंबर दो ही रहे, कभी नंबर एक नहीं बन पाए। वे न तो प्रधानमंत्री बन पाए और न ही सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी की जगह खुद को इंदिरा का उत्तराधिकारी मान लेना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी, जिसके लिए गांधी परिवार ने उन्हें कभी माफ नहीं किया और कभी प्रधानमंत्री पद के लिए विश्वसनीय पात्र नहीं समझा। बहरहाल, मुखर्जी राजनीति से कभी सेवानिवृत्त नहीं हुए, सिर्फ सक्रिय राजनीति से ओझल हो गए।

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गजब की मेमोरी

2009 में लगातार दूसरी बार लोक सभा चुनावों में जीत दर्ज कर जब यूपीए एक बार फिर सत्ता में आई, तब मुखर्जी ने वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली। जुलाई में उन्होंने अपना बजट पेश किया. प्रणब मुखर्जी बजट के जटिल आकड़ों को बजट भाषण के बाद मीडिया साक्षात्कारों में याद्दाश्त से दोहरा देते थे और इनमें सिर्फ वही आंकड़े नहीं, जिस विषय पर प्रश्न पूछा जाता उससे संबंधित और भी आंकड़े और जानकारी ऐसे ही बता दिया करते थे एक साथ चार-पांच किताबें पढ़ने वाले प्रणब मुखर्जी की याद्दाश्त और तजुर्बे का लोहा हर कोई मानता था। जो भूल जाता था उसके लिए तुरंत उदाहरण प्रस्तुत कर दिया जाता था।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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