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तेज प्रताप की साली को झटकाः RJD का भरोसा इनपर, बिहार का ये चुनावी समीकरण...
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का माई समीकरण पर हमेशा भरोसा रहा है और इस समीकरण के बल पर वे दूसरे दलों को मात देते रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने एक बार फिर एमवाई (माई) समीकरण पर ही भरोसा जताया है। राजा ने अपने कोटे की 144 सीटों में से तीन सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं। 141 में से 75 सीटों (करीब 52 फीसदी) पर राजद की ओर से यादव और मुस्लिम प्रत्याशी उतारे गए हैं। इस बीच पटना की बहुचर्चित दानापुर सीट से लालू के बेटे तेजप्रताप यादव की साली करिश्मा राय का टिकट कट गया है। इस सीट को लेकर काफी कशमकश के बाद पार्टी की ओर से रीतलाल को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
लालू की राह पर ही पार्टी बढ़ी आगे
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का माई समीकरण पर हमेशा भरोसा रहा है और इस समीकरण के बल पर वे दूसरे दलों को मात देते रहे हैं। पार्टी की ओर से एक बार फिर माई समीकरण को ही खासा महत्व दिया गया है। पार्टी की ओर से अभी तक घोषित 141 उम्मीदवारों में से 58 यादव और 17 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए हैं।
अति पिछड़ों पर भी लगाया दांव
इससे समझा जा सकता है कि पार्टी एक बार फिर मुस्लिम-यादव समीकरण के जरिए सत्ता में पहुंचने का सपना देख रही है। माई समीकरण के बाद अति पिछड़ों को पार्टी की ओर से महत्व दिया गया है और इस वर्ग से जुड़े 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए हैं।
केवल तीन सीटों पर प्रत्याशी तय करना बाकी
राजद ने इस बार अपने 18 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। सात विधायकों ने पहले ही पार्टी छोड़ दी थी और इनमें से एक विधायक प्रेमा चौधरी को छोड़कर 6 विधायकों ने एनडीए से टिकट भी हासिल कर लिया है।
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राजद के चार सिटिंग विधायकों की जगह उनके परिजनों को चुनाव मैदान में उतारा गया है। राजद ने अपने कोटे की 144 में से 141 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं जबकि तीन सीटों अलीनगर, कोचाधामन और कटिहार के लिए अभी भी माथापच्ची जारी है। अलीनगर से राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी विधायक हैं मगर इस बार वे अपना चुनाव क्षेत्र बदल कर केवटी से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
दानापुर से तेज प्रताप की साली का टिकट कटा
पटना के दानापुर विधानसभा सीट पर इस बार राजद की ओर से तेज प्रताप यादव की साली करिश्मा राय को टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही थी मगर उनका टिकट कट गया है। पार्टी ने इस सीट से डेढ़ महीना पहले जेल से छूटे रीतलाल राय को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है। राजद के इस फैसले पर सियासी हलकों में हैरानी जताई जा रही है।
करिश्मा ने शुरू कर दिया था चुनाव प्रचार
पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती और ऐश्वर्या राय की बहन करिश्मा राय को चुनाव मैदान में उतारने की शर्त पर ही तीन महीना पहले राजद की सदस्यता दिलाई गई थी। तेजस्वी यादव की मंजूरी के बाद उन्होंने दानापुर में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था, लेकिन आखिरकार उनका टिकट कट गया है।
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दानापुर विधानसभा सीट पर करिश्मा और रीतलाल के अलावा पूर्व डीजी अशोक गुप्ता भी दावेदार बताए जा रहे थे। उन्होंने टिकट के संबंध में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात भी की थी मगर उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी। इस सीट से टिकट पाने के लिए मंगलवार की देर रात तक रस्साकशी चलती रही मगर आखिरकार रीतलाल पार्टी का सिंबल लेने में कामयाब रहे।
लालू भी दो बार जीत चुके हैं दानापुर सीट
दानापुर को वीआईपी सीट माना जाता रहा है और राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लालू प्रसाद यादव ने 1995 और 2000 का विधानसभा चुनाव दानापुर सीट से जीता था। इसके बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई और पिछले चार चुनावों से भाजपा के कब्जे में है।
मौजूदा समय में आशा सिन्हा इस सीट से विधायक हैं और पार्टी की ओर से उन्हें एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा गया है। आशा सिन्हा के पति की हत्या में राजद प्रत्याशी रीतलाल आरोपी रहे हैं।
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रीतलाल को टिकट देने पर आशा सिन्हा ने हैरानी जताई है और कहा है कि राजद अपराधियों को बढ़ावा देने में जुटी हुई है।
करिश्मा के लिए खत्म हो गए सारे विकल्प
राजद का टिकट कटना करिश्मा राय के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने चाचा और पूर्व मंत्री चंद्रिका राय के परिवार का विरोध करके राजद का झंडा थामा था। राजद ने पहले और दूसरे चरण की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर दिए हैं।
इसलिए करिश्मा राय के पास सारे विकल्प भी अब खत्म हो चुके हैं। उनकी दावेदारी परसा और दानापुर सीटों पर थी मगर परसा सीट पर भी राजद की ओर से छोटे लाल राय को चुनाव मैदान में उतारा जा चुका है।
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