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आखिर BJP ने विधान परिषद में सपा को क्यों दिया वॉकओवर, सताया बगावत का डर
बीजेपी की आंतरिक कमजोरियों को समाजवादी पार्टी ने भलीभांति पहचान लिया है। समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव का एलान होने के साथ अपने दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की घोषणा कर दी।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: विधान परिषद की 12 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नामांकन का सोमवार को आखिरी दिन है और भारतीय जनता पार्टी ने अब तक केवल 10 प्रत्याशियों के नामों का एलान किया है। इससे समाजवादी पार्टी के 2 प्रत्याशियों के जीतने का रास्ता खुलता दिखाई दे रहा है क्या भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद में समाजवादी पार्टी को वाक ओवर दे दिया है यह बहुत बड़ा सवाल है जो भाजपा समर्थकों को भी बेचैन कर रहा है। इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या भारतीय जनता पार्टी में विधायकों का असंतोष इस स्तर पर बढ़ गया है कि भाजपा विधान परिषद में चुनाव का जोखिम मोल लेने की स्थिति में नहीं है।
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बीजेपी की आंतरिक कमजोरियों को समाजवादी पार्टी ने भलीभांति पहचान लिया है
बीजेपी की आंतरिक कमजोरियों को समाजवादी पार्टी ने भलीभांति पहचान लिया है। समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव का एलान होने के साथ अपने दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की घोषणा कर दी। सबसे पहले दोनों प्रत्याशियों का नामांकन कराया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद दोनों प्रत्याशियों को लेकर नामांकन कराने पहुंचे । यह समाजवादी पार्टी के बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ ही ठोस रणनीति की सफलता का विश्वास भी है। अखिलेश यादव ने नामांकन वाले दिन खुद कहा कि उनके दोनों प्रत्याशी जीत हासिल कर सदन में पहुंचेंगे।
bjp-flag (PC: social media)
भाजपा में इसी आत्मविश्वास की कमी दिखाई दे रही है
लेकिन भाजपा में इसी आत्मविश्वास की कमी दिखाई दे रही है। भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा में सदस्य संख्या 309 है और 9 विधान परिषद सदस्यों के चुनाव होने पर भाजपा के केवल 288 मतों का ही प्रयोग हो पाएगा। ऐसे में उसके पास 21 मत शेष बचते हैं। अपना दल के नौ विधायक हैं और वह सदन में भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन थामने वाले विधायकों की संख्या भी 3 से ज्यादा बताई जा रही है ऐसे में भाजपा को 10 सीटों पर जीत मिलना तय है लेकिन 11वीं सीट के लिए उसे बहुजन समाज पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी और अन्य छोटे दलों के विधायकों का समर्थन मिलना आवश्यक है।
सपा को हराने के लिए भाजपा के साथ जाने को भी तैयार है
दिसंबर में राज्यसभा चुनाव के दौरान मायावती ने समाजवादी पार्टी से नाराजगी दिखाते हुए यह कहा था कि वह सपा को हराने के लिए भाजपा के साथ जाने को भी तैयार हैं ऐसे में भाजपा को बसपा का तो भरोसा मिल सकता है लेकिन दूसरे दलों में सेंध लगाना चुनौती भरा है जबकि इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी में कई विधायक बगावत का झंडा बुलंद कर चुके हैं। सीतापुर, हरदोई गाजियाबाद के विधायक तो बार बार योगी सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
विधायकों की योगी सरकार से ऐसी नाराजगी है
भाजपा के जानकार ही मानते हैं कि विधायकों की योगी सरकार से ऐसी नाराजगी है कि अगर मतदान की नौबत आए तो मुमकिन है की दो दर्जन से ज्यादा विधायक क्रास वोटिंग करते दिखाई दें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भाजपा के डेढ़ सौ से ज्यादा विधायक पिछले साल सदन में धरने पर बैठ चुके हैं। विधायकों के इस बगावती तेवर को देखते हुए भाजपा किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचना चाह रही है। गोपनीय मतदान होने की वजह से किसी भी विधायक पर क्रास वोटिंग का आरोप नहीं बनेगा और भाजपा उनके खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं कर सकेगी यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ग्यारहवां प्रत्याशी लड़ा कर चुनाव की स्थिति उत्पन्न होने से बचने की कोशिश कर रही है ।
भाजपा की इसी कमजोरी को समाजवादी पार्टी ने अपनी ताकत बना लिया है
विधान परिषद में निर्विरोध चुनाव होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी के भले ही 2 प्रत्याशी चुनाव जीत जाएंगे लेकिन भारतीय जनता पार्टी को अपने विधायकों के बगावत की आंधी का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी की इसी कमजोरी को समाजवादी पार्टी ने अपनी ताकत बना लिया है। समाजवादी पार्टी की ओर से अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी के नामांकन मौके पर मौजूद सपा के विधान परिषद सदस्य और रणनीतिकार उदयवीर सिंह ने भी कहा कि हमारे पास जीत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन हासिल है। भाजपा के लोग अपना सोचे हैं कि वह चुनाव होने की स्थिति में अपने 10 प्रत्याशी कैसे जिताएंगे।
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विधान परिषद की 12 सीटों के लिए सोमवार को 3 बजे तक नामांकन कराया जा सकेगा अगर इस दौरान बहुजन समाज पार्टी की ओर से कोई सामने नहीं आता है तो सभी प्रत्याशियों का निर्विरोध चयन होना सुनिश्चित हो जाएगा और भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव की फजीहत से बच जाएगी ऐसे में सभी की निगाह अब बसपा की ओर रहेगी कि वह अंतिम समय में नामांकन दाखिल कराकर कहीं भाजपा की मुश्किल ना बढ़ा दे।
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