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BJP का शक्ति प्रदेश 'उत्तर प्रदेश': लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है

उत्तर प्रदेश भाजपा का शक्ति प्रदेश है। खास बात यह है कि भाजपा का जब भी प्रधानमंत्री बना है तो वह उत्तर प्रदेश के रास्ते ही संसद पहुंचा है।

tiwarishalini
Published on: 27 May 2017 10:04 AM IST
BJP का शक्ति प्रदेश उत्तर प्रदेश: लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है
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लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है

लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है

Anurag Shukla

लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा का शक्ति प्रदेश है। खास बात यह है कि भाजपा का जब भी प्रधानमंत्री बना है तो वह उत्तर प्रदेश के रास्ते ही संसद पहुंचा है। पिछली बार अटल बिहारी वाजपेयी तो लखनऊ के ही सांसद थे तो इस बार देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह प्रदेश की राजधानी के सांसद हैं। अटल के प्रधानमंत्रित्व काल में लखनऊ जिस तरह चमका था वह लोगों को आज तक याद है। अब राजनाथ सिंह इसे चमकाने की कोशिश में जुटे हैं। स्वाभाविक भी है क्योंकि इस बार जनता ने पिछली बार से ज्यादा भरोसा किया है।

राजनाथ सिंह ने सबसे पहले लखनऊ की उस समस्या पर वार किया है जिससे सबका वास्ता है यानी ट्रैफिक जाम। प्रदेश की राजधानी, भाजपा-सपा-बसपा का मुख्यालय, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ, शासन का केंद्र और तेजी से बढऩे वाला शहर होने की वजह से लखनऊ में जाम की समस्या काफी विकट है। लखनऊ के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक 2010 में लखनऊ में 11,07,455 वाहन सडक़ों पर थे जबकि 2015 में यह संख्या 17,09,662 तक पहुंच गई।

वाहन इतने बढ़ गए मगर सडक़ें नहीं बढ़ीं। ऐसे में अब लकीर के फकीर वाली सोच से काम नहीं चलने वाला था। ऐसे में राजधानी में आउटर रिंग रोड का निर्माण शुरू कराया गया। इसके निर्माण के लिए पहले चरण का टेंडर जारी कर दिया गया है। पहले चरण के 29 किलोमीटर में करीब 890 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वैसे आउटर रिंग रोड के निर्माण में कुल 5500 करोड़ का और खर्च आना है।

आउटर रिंग रोड पूरे लखनऊ के साथ-साथ आसपास के इलाकों को भी कवर करेगी। यह रोड बक्शी का तालाब से लेकर पूरे शहर को घेरते हुए कानपुर रोड तक जाएगी। आउटर रिंग रोड यातायात के साथ ही शहर का नक्शा भी बदल देगी। 104 किमी लंबी यह आउटर रिंग रोड एक नए लखनऊ की बुनियाद कही जा सकती है। यह रोड पांच नेशनल, छह स्टेट हाईवे और 104 गांवों को शहर से कनेक्ट करेगी।

लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है

आउटर रिंग रोड पर बनेगी चार हजार एकड़ की हाईटेक टाउनशिप

माना जा रहा है कि यह सडक़ बनने से राजधानी के विकास के लिए करीब 10 हजार एकड़ जमीन आसानी से मिल जाएगी। इस रोड से 32 कनेक्टिंग सडक़ें बनेंगी। टाउन प्लानिंग विभाग ने 18 से 60 मीटर तक चौड़ी इन सडक़ों का चार्ट भी तैयार कर लिया है और इससे शहर से 204 गांव जुड़ेंगे। शहर में हर साल करीब एक लाख की आबादी बढ़ रही है। अच्छी लोकेशन पर फ्लैट और प्लॉट की डिमांड बढ़ रही है। आउटर रिंग रोड बन जाने से राज्य सरकार न केवल अच्छी विकास योजनाएं चला सकती है बल्कि राजधानी को एक नया शहर भी दे सकती है। आउटर रिंग रोड पर करीब चार हजार एकड़ की हाईटेक टाउनशिप बसाई जाएगी। एलडीए बिल्डरों को लाइसेंस देगा और खुद की योजनाएं लाएगा। सुलतानपुर रोड और बीकेटी में योजनाओं के लिए 3,172 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की जा चुकी है।

यह राजनाथ सिंह की ही देन है कि लखनऊ मेट्रो में केंद्र सरकार ने न सिर्फ परियोजना को मंजूरी दी बल्कि यह भी तय कर दिया कि केंद्र से नार्थ-साउथ कॉरिडोर के लिए 1350 करोड़ रुपये की मदद मिलेगी। यह परियोजना 20 फीसदी केंद्रीय, 20 फीसदी राज्य के अंशदान और बाकी 60 फीसदी ऋण से वित्तपोषित होगी। पहले फेज का कुल बजट 6900 करोड़ रुपये का है। काम तेजी से कराने के लिए बीते वित्तीय वर्ष में ही केंद्र से 173 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। इस योजना में किसी तरह की रोक न हो, इसके लिए यह तय किया गया कि केंद्र और राज्य दोनों ही एलएमआरसी में अब 50-50 फीसदी के भागीदार होंगे। इससे कुल 4100 करोड़ रुपये के विदेशी ऋण की राह आसान हुई है।

लखनऊ और राजनाथ- थोड़ा है, बहुत की जरूरत है

पांच मॉडल स्टेशन व पांच नई ट्रेनें

लखनऊ के सिटी, ऐशबाग, गोमतीनगर, आलमबाग और बादशाहनगर स्टेशनों को देश के मॉडल स्टेशनों में शामिल किया गया है। गोमतीनगर स्टेशन को देश का सबसे अत्याधुनिक स्टेशन बनाने पर काम चल रहा है। इसके अलावा लखनऊ को पांच नई ट्रेनें मिली हैं। राजनाथ की कोशिश का नतीजा है कि एनएचएआई से मटियारी पर टू वे फ्लाईओवर तेजी से बना और लोगों को जाम से निजात मिली। इसके अलावा गृहमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र के एक ही सत्र में करीब 400 बच्चों का केद्रीय स्कूलों में एडमीशन करवाकर एक तरह का रिकार्ड ही बनाया है। सैकड़ों मरीजों को अनुदान दिलाकर उनका इलाज कराया।

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अब राजनाथ व सरकार की असली परीक्षा

विकास में राजनीति नहीं होनी चाहिए। दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने भाजपा को बहुत से बहाने भी दिए हैं और मौके भी। राजनाथ का संसदीय क्षेत्र में काम देख रहे प्रदेश के क्षेत्रीय महामंत्री राजीव मिश्र कहते हैं कि लखनऊ की तो तस्वीर बदल जाती पर सपा ने सहयोग नहीं किया। केंद्र पैसे भेजता था मगर योजनाएं चलती नहीं थी। पैसा कहीं और खर्च हो जाता था। कुछ इसी तर्ज पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं कि अखिलेश सरकार ने इसलिए काम नहीं किया कि कहीं केंद्र की तारीफ न हो जाय। अब दोनों जगह भाजपा की सरकार है। बहाने की गुंजाइश नहीं और सिर्फ दो साल बचे हैं। अब राजनाथ और सरकार की असली परीक्षा होगी।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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