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उद्धव के मनोनयन पर छिड़ी रार, भाजपा-शिवसेना आमने-सामने
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधानपरिषद में मनोनयन के प्रस्ताव को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच जंग छिड़ गई है। भाजपा का कहना है कि राज्यपाल द्वारा उद्धव का मनोनयन उचित नहीं होगा। दूसरी और शिवसेना का कहना है कि भाजपा इसे नाहक तूल दे रही है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधानपरिषद में मनोनयन के प्रस्ताव को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच जंग छिड़ गई है। भाजपा का कहना है कि राज्यपाल द्वारा उद्धव का मनोनयन उचित नहीं होगा। दूसरी और शिवसेना का कहना है कि भाजपा इसे नाहक तूल दे रही है। उद्धव की डिग्री, व्यक्तित्व और जीवन का पिछला हिस्सा एमएलसी के रूप में उनके मनोनयन के लिए पर्याप्त है। वैसे अभी तक राज्यपाल ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला नहीं किया है।
कैबिनेट ने पारित किया है प्रस्ताव
महाराष्ट्र की कैबिनेट ने दो दिन पूर्व उद्धव को विधानपरिषद का सदस्य मनोनीत करने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा है। उद्धव अभी तक विधानसभा और विधानपरिषद दोनों में किसी के सदस्य नहीं हैं और इसे लेकर उनकी कुर्सी पर संकट खड़ा हो गया है।
उद्धव ने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी और उनके लिए 29 मई से पहले विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य है। ऐसा ना होने पर उनकी सीएम की कुर्सी चली जाएगी। कोरोना संकट के कारण चुनाव आयोग द्वारा राज्य में चुनाव टाले जाने के बाद उद्धव के सामने अपनी कुर्सी को बचाने का भारी संकट खड़ा हो गया है।
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प्रस्ताव पर सियासत गरमाई
महाराष्ट्र कैबिनेट के उद्धव के मनोनयन के संबंध में प्रस्ताव पारित करने के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल वैधानिक रूप से उद्धव को राज्यपाल द्वारा एनएलसी मनोनीत करने के योग्य नहीं मानते। कई और भाजपा नेताओं ने भी कैबिनेट के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है।
उद्धव के पास थे तीन रास्ते
भाजपा नेताओं का कहना है कि नियम के मुताबिक उद्धव के पास तीन रास्ते थे। वे या तो विधानसभा का चुनाव लड़कर सदन का सदस्य बनते या विधानपरिषद में चुनकर आते। तीसरा रास्ता यह था कि वह पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान की तरह सीएम पद से इस्तीफा देकर दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते मगर उन्होंने तीनों रास्तों को छोड़कर मनोनयन का रास्ता चुना जो कि स्वीकार्य नहीं है।
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नहीं हो सकता विशेष श्रेणी में मनोनयन
भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों और वैधानिक परंपरा के अनुसार भी उद्धव का मनोनयन उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे एक राजनीतिक व्यक्तित्व हैं और उनका एमएलसी के रूप में विशेष श्रेणी में मनोनयन नहीं किया जा सकता।
शिवसेना ने तर्कों को खारिज किया
दूसरी और शिवसेना का कहना है कि भाजपा नाहक इस मामले को तूल दे रही है। लोकसभा में शिवसेना के नेता विनायक राउत ने पाटिल के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वन्यजीवों पर शानदार फोटोग्राफी की है।
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इस आधार पर करें मनोनयन
राउत ने कहा कि उद्धव एक अच्छे फोटोग्राफर होने के साथ ही शिवसेना के मुखपत्र सामना के प्रधान संपादक रहे हैं। उनकी तमाम पुस्तकें हैं और तमाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रोफेशनल फोटोग्राफर के रूप में उनके फोटो प्रकाशित हुए हैं। राउत का कहना है कि यदि उद्धव की डिग्री, व्यक्तित्व और उनके जीवन के पिछले हिस्से को देखा जाए तो वह राज्यपाल द्वारा उनके एमएलसी के रूप में मनोनयन के लिए पर्याप्त है।
मनोनयन पर ना करें राजनीति
राउत ने कहा कि इस समय महाराष्ट्र कोरोना वायरस की चपेट में है। मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई जिलों में इसका प्रकोप है। इसलिए राज्यपाल को उद्धव के मनोनयन को लेकर कोई राजनीति नहीं करनी चाहिए। महाराष्ट्र के लोग उद्धव ठाकरे को ही सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। राज्य में उनके समर्थकों की भारी संख्या है। यदि इस मुद्दे पर राज्यपाल या भाजपा के नेताओं ने कोई राजनीति की तो उन्हें महाराष्ट्र की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
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आपत्ति से पहले अन्य लोगों को देखें
शिवसेना नेताओं का यह भी कहना है कि इससे पहले तमाम लोग राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए गए हैं। उद्धव के नाम पर आपत्ति जताने से पहले मनोनीत अन्य लोगों की प्रोफाइल देख लीजिए। ऐसे लोगों की तुलना में उद्धव की प्रोफाइल कहीं हल्की नहीं मिलेगी। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने उद्धव को एमएलसी मनोनीत करने की सिफारिश ठोस आधार पर की है।
हमारे पास और भी विकल्प
इस बीच कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पास और भी विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि उद्धव कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के सहयोग से बनी सरकार के मुख्यमंत्री हैं और आगे भी बने रहेंगे। उन्होंने राज्यपाल द्वारा उद्धव के मनोनयन की उम्मीद जताते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी हम इस मुद्दे पर राज्यपाल के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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