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मायावती न जाने कितने विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं

वहीं दूसरी तरफ बसपा के भिनगा विधायक असलम राईनी भी कह चुके हैं कि जल्द ही एक नया दल प्रदेश की राजनीति में दिखाई देगा। यहां यह भी बताना जरूरी है

Roshni Khan
Published on: 18 Feb 2021 7:51 AM GMT
मायावती न जाने कितने विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं
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मायावती न जाने कितने विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं (PC: social media)

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: अपने जन्म काल से लेकर बहुजन समाज पार्टी न जाने कितने बार टूट चुकी है। अपने इतिहास को दोहराते हुए बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर टूटने को तैयार है। इन विधायकों का पार्टी नेतृत्व पर आरोप है कि उन्हे बसपा विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया। इसलिए सदन में उनके बैठने की अलग व्यवस्था की जाए।इससे साफ हो गया है कि जल्द ही बसपा एक बार फिर टूटने को तैयार है। यदि विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित उनकी बात को स्वीकार कर लेते हैं तो एक बार फिर बसपा टूट हो जाएगी।

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उन्हे सदन में बसपा से अलग बैठाया जाए

आज विधानसभा के बजट सत्र के दो घंटे पहले बसपा के विधायकों असलम राइनी (भिनगा श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना हापुड), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-प्रयागराज), हाकिम लाल बिंद (प्रयागराज), हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल (मुंगरा-बादशाहपुर) और वंदना सिंह (सगड़ी-आजमगढ़) ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि उन्हे सदन में बसपा से अलग बैठाया जाए।

वहीं दूसरी तरफ बसपा के भिनगा विधायक असलम राईनी भी कह चुके हैं कि जल्द ही एक नया दल प्रदेश की राजनीति में दिखाई देगा। यहां यह भी बताना जरूरी है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा से सम्पर्क साधने के कारण मायावती इन विधायकों को निलम्बित कर एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेज चुकी हैं।

mayawati mayawati (PC: social media)

बहुजन समाज पार्टी में इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है

बतातें चलें कि बहुजन समाज पार्टी में इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है । इसके पहले न जाने कितने कददावर नेताओं को बसपा से बाहर किया जा चुका है भले ही वह पार्टी के लिए कितना ही उपयोगी क्यों न हो। बसपा की स्थापना से लेकर अबतक कई नेताओं ने अपना अलग दल बनाकर सियासी पारी खेली तो कई पार्टी से बाहर होने के बाद फिर बसपा में लौट आए। यहां तक कि पार्टी के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय को भी बसपा सुप्रीमों मायावती बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल स्वामी प्रसाद मौर्या का रहा।

इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए

अतीत पर गौर करें तो पार्टी की स्थापना के कुछ वर्षो बाद पार्टी संस्थापक कांशीराम के खासमखास रहे जंग बहादुर और राजबहादुर ने खुद पार्टी छोड़ दी थी। राजबहादुर ने बसपा (राजबहादुर) पार्टी बनाई और जंगबहादुर सपा में शामिल हो गए। यहीं नहीं मायावती के बढ़ते प्रभाव के चलते ही डॉ. मसूद ने पार्टी छोडी और बाद में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी बनाई। इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए।

डॉ. सोनेलाल पटेल को भी उसी दौरान 1995 में बसपा से बाहर किया गया

प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए डॉ. सोनेलाल पटेल को भी उसी दौरान 1995 में बसपा से बाहर किया गया। तब उन्होंने अपना दल की स्थापना की। इसके बाद भी यह सिलसिला यहीं नहीं रूका और 2001 में बरखूराम वर्मा और आरके चौधरी को बसपा से बाहर किया गया। आरके चैधरी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाई ।

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2013 में वह फिर बसपा में वापस आ गये। लेकिन उनका बसपा में एक बार फिर जब मन नहीं लगा तो फिर उन्होंने बसपा छोड दी। इसी तरह ओमप्रकाश राजभर भी 2002 में बसपा से बाहर हुए और फिर उन्होंने सुहेलदेव समाज पार्टी बनाई और 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की सत्ता में शामिल हुए। इनके अलावा दददू प्रसाद बाबू सिंह कुशवाहा नसीमुददीन सिददीकी इन्दरजीत सरोज भी बसपा से बाहर हुए।

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