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'CAA' पर हिंसा को देखते हुए मोदी सरकार ने बदली रणनीति, उठाया ये बड़ा कदम
नागरिकता कानून पर मचे बवाल के बीच बीजेपी ने निर्णय लिया है कि वह लोगों को नागरिकता कानून समझाने के लिये अभियान चलाएगी। इस अभियान के तहत देशभर में तीन करोड़ परिवारों से संपर्क साधा जाएगा।
नई दिल्ली: नागरिकता संसोधन कानून(CAA) पर मचे बवाल के बीच मोदी सरकार ने निर्णय लिया है कि उनकी पार्टी बीजेपी लोगों को नागरिकता कानून समझाने के लिये अभियान चलाएगी। इस अभियान के तहत देशभर में तीन करोड़ परिवारों से संपर्क साधा जाएगा।
साथ ही एक हजा़र से अधिक रैलियां और 250 से अधिक प्रेस कॉंफ़्रेंस होंगे। यह अभियान अगले दस दिनों तक चलता रहेगा। बीजेपी के मुताबिक इस अभियान के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के बारे में लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जाएगा। बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव के मुताबिक विपक्ष के प्रचार का खंडन होगा।
बता दें कि यह फैसला कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में बुलाई बैठक में हुआ. इस दौरान बीजेपी ने कांग्रेस पर गलत प्रचार करने का भी आरोप लगाया।
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3 करोड़ परिवारों को नागरिकता कानून के बारे में देगी जानकारी
बीजेपी की योजना करीब 3 करोड़ परिवारों को नागरिकता कानून के संबंध में जानकारी देने की है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर नागरिकता कानून को लेकर झूठ फैलाने और प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने का आरोप लगाया था।
बता दें कि भाजपा ने राजस्थान में इस कानून के समर्थन में रैली की थी, जिसमें कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी शिरकत की थी। इस दौरान कई नेताओं ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से इस कानून के समर्थन में सड़क पर उतरने की अपील की थी।
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1100 शिक्षाविद समर्थन में उतरे
CAA और NRC पर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं। छात्रों के शुरू किए आंदोलन ने कहीं उग्र प्रदर्शन का रूप लिया तो किसी जगह इसी की आड़ में हिंसा पनपी। पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और आगजनी तक की गई।
वहीं, एक धड़ा ऐसा भी है, जो केंद्र द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन कर रहा है। उसका कहना है कि ये देश विरोधी नहीं है। इसी बीच, शनिवार को CAA के समर्थन में लगभग 1100 शिक्षाविद और बुद्धिजीवी आ गए हैं।
और, इन सभी ने इस बाबत साझा बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। बयान में हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा के सदस्य स्वपन दासगुप्ता, आईआईएम शिलांग के प्रमुख शिशिर बजोरिया, नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति सुनैना सिंह, जेएनयू के डीन (एसएलएल और सीएस) ऐनुल हसन, इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कन्फ्लिक्ट स्टडीज में सीनियर फेलो अजिभीत अय्यर मित्रा और पत्रकार कंचन गुप्ता शामिल हैं।
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