हेमंत सोरेन को सीएम पद की शपथ लेते ही करना होगा इन चुनौतियों का सामना... 

Shivani Awasthi
Published on: 24 Dec 2019 5:15 AM GMT
हेमंत सोरेन को सीएम पद की शपथ लेते ही करना होगा इन चुनौतियों का सामना... 
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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand) जीतने के बाद गठबंधन के नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की असली अग्निपरीक्षा शुरू होगी। भाजपा को हराकर राज्य की सत्ता में गठबंधन की वापसी के साथ हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय है। अब हेमंत सरकार के लिए अगली चुनौती अपने वादों को पूरा करना है। वैसे देखा जाएँ तो इन वादों को पूरा करना नई सरकार के लिए इतना आसान भी नहीं होगा। सीएम पद की शपथ के साथ ही हेमंत सोरेन को अग्निपरीक्षा देनी होगी। दरअसल, उनके पांच बड़े वादें ही उनके लिए मुश्किलें और दबाव बनाने का काम करेंगे।

जान लें हेंमत सोरेन की ये पांच चुनौतियां

दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अपने अलग अलग घोषणा पत्र जारी कर राज्य की जनता से कई वादें किये थे। अब सीएम बनने के बाद सोरेन के कंधों पर इन वादों को पूरा करने का भार होगा। अब जान लीजिये गठबंधन सरकार के वो पांच बड़े वादें...

छः महीनों में सभी खाली सरकारी पदों पर भर्ती:

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में रोजगार को लेकर ये वादा किया था कि सरकार बनने के अगले छः महीनों के भीतर वो राज्यों में खाली सभी सरकारी पदों को भरेंगे। अब इस वादें को आगामी छः महीनों में पूरा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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किसानों को दो लाख तक की कर्ज माफ़ी:

गठबंधन के घोषणा पत्र का एक चुनावी वादा राज्य के किसानों का दो लाख रुपये तक की कर्ज माफ़ी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हेमंत सोरेन पर ये वादा पूरा करने की जिम्मेदारी है। हालाँकि इस वादें को पूरा करने से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।

गरीब परिवारों को आर्थिक मदद :

झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी बड़ी समस्या है। ऐसे में लोगों की मौलिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। जेएमएम ने अपने घोषणा पत्र में ये वादा किया था कि गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपयों की आर्थिक मदद देने की व्यवस्था की जायेंगी। अब नवनिर्वाचित सरकार को यह वादा भी पूरा करना है।

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निजी क्षेत्र में 75% नौकरियों में स्थानीय नागरिक को आरक्षण:

बेरोजगारी झारखंड का बड़ा मुद्दा है। इसे लेकर जेएमएम ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो राज्य के निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षण दिया जाएगा।

बेरोजगार ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स को पांच से सात हजार महिना भत्ता

सरकार के लिए सब से बड़ी चुनौती राज्य के स्नातक और परास्नातक छात्रों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा। उन्होंने वादा किया था कि बेरोजगार स्नातक छात्रों को पांच हजार रुपये महीना और परास्नातकों को सात हजार रुपये महीना भत्ता देने का ऐलान किया था। अब इस वादें को पूरा करने का समय आ गया है।

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Shivani Awasthi

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