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CM तो बन गए लेकिन क्या इतनी आसान है 'उद्धव' के लिए MLC की राह, यहां जानें

महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना ने राज्य विधान परिषद की नौ सीटों के लिए 21 मई को होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पार्टी की वरिष्ठ नेता नीलम गोरे की उम्मीदवारी पर मोहर लगा दी है।

Aditya Mishra
Published on: 6 May 2020 10:57 AM GMT
CM तो बन गए लेकिन क्या इतनी आसान है उद्धव के लिए MLC की राह, यहां जानें
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मुंबई: महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना ने राज्य विधान परिषद की नौ सीटों के लिए 21 मई को होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पार्टी की वरिष्ठ नेता नीलम गोरे की उम्मीदवारी पर मोहर लगा दी है। विपक्षी पार्टी बीजेपी में भी विधान परिषद सीट को लेकर जबर्दस्त रस्साकशी देखी जा रही है।

दरअसल, ठाकरे न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के इसलिए उन्हें किसी एक सदन की सदस्यता हासिल करनी जरूरी है। संविधान के अनुसार, पद ग्रहण करने के छह माह के भीतर उनका विधानसभा या विधान परिषद दोनों में से किसी एक का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है और ऐसा नहीं कर पाने की हालत में उन्हें पद त्यागना होगा।

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एमएलसी चुनाव से मिलेगा विधायक के रूप करियर शुरू करने का मौका

महाराष्ट्र विधान परिषद(एमएलसी) के आगामी चुनाव से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधायक के रूप में अपना चुनावी करियर शुरू करने का मौका मिलेगा और यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या खाली पड़ी नौ सीटों के लिए चुनाव होगा।

कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि रिक्त पड़ी नौ सीटों के लिए प्रत्याशियों के निर्विरोध चुनाव की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन अगर चुनाव की स्थिति पैदा होती है तो परिषद चुनावों के लिए इलेक्टोरेल कोलेज के सभी 288 विधायकों को वोट डालने के लिए मुंबई आना पड़ेगा।

लॉकउाउन बढ़ने पर विधायकों के सामने खड़ी हो सकती है ये मुश्किलें

अगर 17 मई के बाद भी लॉकउाउन बढ़ता है तो विधायकों के लिए मुंबई आना मुश्किल होगा। कांग्रेस नेता ने कहा, सभी पार्टियों को चुनाव से बचने पर फैसला लेना होगा और इस दिशा में कोशिशें की जा रही है। उन्होंने बताया कि पार्टी के प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने मंगलवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी।

बाद में ठाकरे समेत महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के नेताओं ने परिषद चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी। थोराट ने मंगलवार को बताया कि एमवीए सहयोगियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और छह उम्मीदवारों को खड़ा किया है यानी कि गठबंधन की हर पार्टी से दो-दो उम्मीदवारों को उतारा गया है।

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बीजेपी में कई दावेदार

बीजेपी को तीन विधान परिषद की सीटें मिलनी तय मानी जा रही हैं। इसके अलावा उसकी नजर चौथी सीट पर भी है। बीजेपी से विधान परिषद के लिए कई दावेदार माने जा रहे हैं। बीजेपी के दिवंगत दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद से प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रही हैं। ऐसे में पंकजा मुंडे को पार्टी दावेदार बना सकती है।

ऐसे ही ओबीसी के दिग्गज नेता पूर्व शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को बीजेपी ने विधानसभा के चुनाव में टिकट नहीं दिया था, ऐसे में वो भी विधान परिषद के जरिए सदन में पहुंचना चाहते हैं। माना जा रहा है तावड़े को पार्टी एमएलसी का प्रत्याशी बना सकती है।

गोपीनाथ मुंडे खेमे के ही एक और दिग्गज नेता एकनाथ खडसे भी उम्मीदवारी की उम्मीद लगाए बैठे हैं जबकि बीजेपी के सहयोगी दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) भी एक सीट मांग रही है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी एमएलसी के लिये किस पर दांव खेलती है।

कुल 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें शिवसेना के 56 विधायक, एनसीपी के 54 विधायक, कांग्रेस के 44 विधायक और अन्य 16 विधायक उनके साथ हैं। वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाले विपक्ष के पास 115 विधायक हैं जबकि 2 एआईएमआईएम और एक मनसे के विधायक हैं।

विधान परिषद की एक सीट के लिए तकरीबन 33 वोटों की प्रथम वरियता के आधार पर जरूरत होगी। इस लिहाज से महाअघाड़ी छह सीटों को लेकर समीकरण बना रही है। वहीं बीजेपी की नजर भी चार सीटों पर है। इसके लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की नजर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों पर है।

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