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सोनिया की इमरजेंसी मीटिंग: इसलिए बुलाई बैठक, ये हैं पांच बड़ी वजह
सोनिया गांधी ने 19 दिसंबर पार्टी की आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में नाराज वरिष्ठ नेताओं को भी बुलाया गया है, जिन्होंने पत्र लिख पार्टी में संगठन के चुनाव कराकर बदलाव करने की मांग की थी
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 19 दिसंबर को आपात बैठक बुलाई है। खास बात ये है कि इस बैठक में नाराज वरिष्ठ नेताओं को भी बुलाया गया है, जिन्होंने पत्र लिख पार्टी में संगठन के चुनाव कराकर बदलाव करने की मांग की थी। बता दें कि कांग्रेस पार्टी के अंदर बीते काफी समय से नाराज नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। जिससे पार्टी में फूट की स्थिति पैदा हो गई थी। लेकिन अब पार्टी ने अंतर्कलह को खत्म करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसलिए इस मीटिंग में नाराज चल रहे नेताओं को भी शामिल होने को कहा गया है।
असंतुष्ट नेताओं का भी सम्मान करती है पार्टी
इस आपात बैठक में उन्हें भी बुलाया गया है, जिन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे। अब सोनिया गांधी असंतुष्ट नेताओं से मिलकर इस बैठक के जरिए यह संदेश देना चाहती हैं कि कांग्रेस ना केवल गांधी परिवार के वफादारों बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी सम्मान करती है। इस बैठक के जरिए असंतुष्ट नेताओं को साधने का दांव माना जा रहा है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
एक के बाद एक हार
इसके अलावा बैठक की एक और बड़ी वजह है और वो है लगातार चुनावों में कांग्रेस को हार मिलना। लगातार हार का सामना करने से गांधी परिवार पर सवाल खड़े होने लगे थे। बिहार विधानसभा चुनाव हो या देश के कई राज्यों में उपचुनाव, उनमें पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। वहीं सत्ता में आने के बाद राजस्थान पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है। वहीं केरल में हार के बाद सत्ता में वापसी की उम्मीदों पर भी संकट छाया हुआ है। तेलंगाना में भी पार्टी के खराब प्रदर्शन के चलते पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जिससे यह बैठक बुलानी पड़ी।
कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव
इस बैठक को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि साल 2021 में जनवरी-फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होगा। अगस्त में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में ही यह तय किया गया था। ऐसे में सोनिया गांधी भी समय से चुनाव कराए जाने पर अडिग हैं। मतदाता लिस्ट को संकलित करने की भी कवायद पूरी हो गई है और ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही चुनाव के लिए पूर्ण सत्र की तारीखों का ऐलान करेगी। ऐसे में असंतुष्ट नेताओं को राहुल गांधी के नाम पर भी सहमति के लिए राजी करना है।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
एकजुटता का संदेश
इस बैठक का एक और मकसद है और वो ये है कि कांग्रेस इसके जरिए एकजुटता का संदेश देना चाहती है और साथ ही खुद को सामूहिक नेतृत्व में विश्वास करने वाली पार्टी के रूप में पेश करना चाहती है। इसलिए इसमें वरिष्ठ नेताओं के साथ असंतुष्ट नेताओं को भी राजनीतिक परिदृश्य पर मंथन के लिए बुलाया गया है। इसके लिए गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा शशि थरूर जैसे नेताओं को न्योता भेजा गया है।
गिले शिकवों को दूर करना चाहती है पार्टी
यह बैठक कांग्रेस पार्टी के स्थापना दिवस से पहले हो रही है। स्थापना दिवस से पहले कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रहे मतभेदों और गिले शिकवों को दूर करना चाहती है। इसलिए भी यह बैठक काफी अहम है। गांधी परिवार संदेश देना चाह रहा है कि संकट के समय में भी पार्टी एक साथ है।
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